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सीएम हेमंत सोरेन का इस्तीफा,चंपई सोरेन संभालेंगे प्रदेश की कमान

हेमंत चंपई सोरेन

रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड के बदलते राजनीतिक घटनाक्रम और सियासी समीकरणों के बीच बुधवार को एक बार फिर से नाटकीय घटनाक्रम सामने आया है। जहां करीब छः घंटे की पूछताछ के बाद बुधवार देर शाम ईडी ने सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

खबरों के अनुसार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद सीएम आवास में मंगलवार से ही डटे सत्ताधारी दल के मंत्री और विधायक मुख्यमंत्री का इस्तीफा लेकर राजभवन कूच कर गए।

CM Hemant Soren resigns arrested Champai Soren will take command of the stateइससे पहले आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुना गया। मंत्री चंपाई सोरेन को भावी मुख्यमंत्री के रूप में सत्ताधारी दल के मंत्रियों और विधायकों का समर्थन मिलते ही सारे कयासों पर विराम लग गया है।

चंपई सोरेन राज्य के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। चंपई सोरेन सरायकेला से विधायक है और 1991 से अब तक सरायकेला विधानसभा सीट से 6 बार विधायक चुने गए हैं। झारखण्ड बनने के बाद साल 2000 में उन्हें हार मिली, मगर उसके बाद लगातार सरायकेला सीट से वे चुनाव जीतते रहे हैं। तीन बार मंत्री भी रह चुके हैं।

झारखंड आंदोलन के अग्रणी नायकों में शुमार कोल्हान टाईगर के रूप में विख्यात चंपाई सोरेन की पारी अविभाजित बिहार से लेकर झारखंड की राजनीति में बेदाग रही है। वे पहली बार वर्ष 2010 में भाजपा- झामुमो गठबंधन वाली अर्जुन मुंडा की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे। इसके बाद वर्ष 2013 में झामुमो- कांग्रेस गठबंधन सरकार में मंत्री बने थे।

कौन हैं चंपई सोरेन? चंपई सोरेन सरायकेला-खरसावां जिले स्थित जिलिंगगोड़ा गांव के रहने वाले हैं। उनका पिता का नाम सिमल सोरेन है, जो कि खेती किसानी किया करते थे। चंपई चार भाई- बहनो में बड़े बेटे हैं।

उन्होंने 10वीं क्लास तक सरकारी स्कूल से चंपई ने पढ़ाई लिखाई की। इस बीच उनका विवाह कम उम्र में ही मानको से कर दिया गया। शादी के बाद चंपई के 4 बेटे और तीन बेटियां हुईं।

इसी दौरान बिहार से अलग झारखंड राज्य की मांग उठने लगी। शिबू सोरेन के साथ ही चंपई भी झारखंड आंदोलन में उतर गए। जल्द ही ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से मशहूर भी हो गए। इसके बाद चंपई सोरेन ने अपनी सरायकेला सीट से उपचुनाव में निर्दलीय विधायक बनकर अपने राजनीतिक करियर का आगाज कर दिया। इसके बाद वह झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गए थे।

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