पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार राज्य में चल रही भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया (Bihar land survey) के तहत रैयतों (जमीन मालिकों) को खतियान के ड्राफ्ट के फाइनल होने से पहले तीन महत्वपूर्ण अवसर दिए जाएंगे, जिनमें वे अपनी आपत्ति या दावा प्रस्तुत कर सकते हैं। राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया हैं कि इस प्रक्रिया में कोई रैयत अपनी भूमि से जुड़ी समस्याओं का समाधान न कर पाए। इसलिए उन्हें सुनवाई का पूरा अवसर मिलेगा।
खतियान ड्राफ्ट प्रकाशित होने तक तीन अवसरः भूमि सर्वेक्षण के दौरान, जमीन मालिकों को पहली बार मौका तब दिया जाएगा, जब प्रारंभिक डेटा और नक्शा तैयार किया जाएगा। यदि किसी रैयत को अपनी जमीन के विवरण या माप में कोई त्रुटि लगती हैं तो वे फॉर्म-20 में इसका डेटा और नक्शा प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि इस पहले मौके पर सभी दस्तावेज न होने पर भी रैयत अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे।
दूसरी बार छह महीने बाद ऑनलाइन खतियान का ड्राफ्ट प्रकाशित किया जाएगा। इस ड्राफ्ट में अगर किसी रैयत को कोई आपत्ति हो तो वे ऑनलाइन या शिविर कार्यालय में जाकर अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।
इस अवसर पर रैयत सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी या बंदोबस्त पदाधिकारी के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं, जो सभी पक्षों को सुनकर और आवश्यक दस्तावेज़ों का अध्ययन कर अंतिम निर्णय लेंगे।
खतियान और नक्शा प्रकाशन के बाद अंतिम अवसर: सर्वे प्रक्रिया के अंत में जब खतियान का अंतिम ड्राफ्ट और नक्शा प्रकाशित होगा। तब यह अंतिम अवसर होगा, जब रैयत फॉर्म-21 भरकर अपनी आपत्तियां दायर कर सकते हैं। इस अंतिम अवसर में रैयत अपने दस्तावेज़ों और तथ्यों के साथ बंदोबस्त पदाधिकारी के समक्ष सुनवाई के लिए उपस्थित हो सकते हैं।
न्यायालय में अपील का अधिकारः यदि कोई रैयत बंदोबस्त पदाधिकारी के निर्णय से संतुष्ट नहीं होता तो उसे सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में अपील का अधिकार भी रहेगा। इसके लिए रैयत को शिविर कार्यालय में सुनवाई के दौरान अपने दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे और अपनी आपत्तियां दर्ज करानी होंगी।
समाप्ति तिथि जुलाई 2025: भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया को जुलाई 2025 तक समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया हैं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से आपत्तियां दर्ज कराने की व्यवस्था होगी। ताकि रैयतों को अधिकतम सहूलियत मिल सके।
वेशक बिहार में भूमि सुधार और डिजिटल भूमि रिकार्ड की प्रक्रिया को गति देने के लिए राज्य सरकार ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया हैं। जिससे सभी भूमि मालिकों को उनकी संपत्ति से संबंधित सटीक और पारदर्शी जानकारी मिल सकेगी।
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