नालंदा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा मुख्यालय बिहार शरीफ अवस्थित सरकारी उर्दू स्कूल में PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के राजनीतिक संगठन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) का झंडा फहराए जाने का मामला सामने आया है।
झंडा फहराने की तस्वीरें सोमवार को सामने आई हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि झंडा फहराया कब गया है? प्रशासन ने अब मामले की जांच कर कार्रवाई किए जाने की बात कही है।
मामला सोहसराय थाना इलाके के उर्दू प्राथमिक विद्यालय, सोहडीह का है। सामने आई तस्वीरों में दिख रहा है कि कुछ लोग जिनमें बच्चे भी शामिल हैं, SDPI के लाल-हरे रंग के झंडे के नीचे खड़े होकर उसे सलामी दे रहे हैं।
कुछ युवकों ने SDPI लिखा लाल-हरे रंग का पट्टा भी गले में पहन रखा है। नीचे जमीन पर भी झंडे की आकृति बनी है। SDPI लिखा है और फूल गिरे हैं। इससे पता चल रहा है कि झंडे को ठीक उसी तरह फहराया गया है, जैसे आम तौर पर तिरंगा फहराया जाता है।
मामला सामने आने के बाद बिहार शरीफ के एसडीएम कुमार अनुराग ने कहा कि मामला हमारे संज्ञान में आया है। जिस तरह स्कूल परिसर में SDPI का झंडा फहराया गया है, यह खुलेआम कानून का उल्लंघन है। फोटो किस महीने का है, इसकी जांच की जा रही है। जो भी लोग इसमें शामिल हैं, फोटो से पहचान कर उन पर कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि विद्यालय प्रशासन को इस मामले की जानकारी है या नहीं, उनसे भी इस संबंध में पूछा जाएगा। इसमें अगर स्कूल की संलिप्तता पाई जाती है तो उनके ऊपर भी कार्रवाई की जाएगी।
आतंकी गतिविधियों में नाम आने से चर्चा में आया SDPI: बीते माह डुलाई में पटना पुलिस की कार्रवाई के बाद फुलवारी शरीफ से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े लोग पकड़े गए थे। इनपर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे। SDPI इसी PFI का राजनीतिक संगठन है।
जांच एजेंसियों ने इन दोनों संगठनों से जुड़े लोगों पर देशविरोधी और आतंकी कामों में शामिल होने के आरोपों पर कार्रवाई की है।
पटना में जिन 26 संदिग्धों पर FIR हुई, वे PFI और SDPI से जुड़े थेः पटना पुलिस ने देश के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। ये हैं अतहर परवेज, मो. जलालुद्दीन, अरमान मलिक और एडवोकेट नूरुद्दीन जंगी। पुलिस के मुताबिक ये चारों ही PFI से जुड़े हैं।
PFI बिहार में साल 2016 से सक्रिय है। पूर्णिया जिले में संगठन ने हेडक्वार्टर स्थापित करने की तैयारियां की थीं। इसके अलावा राज्य के 15 से अधिक जिले में ट्रेनिंग सेंटर भी चलाए हैं।
पटना में गिरफ्तारियों के बाद अब जांच NIA कर रही है। NIA ने PFI का नेटवर्क तलाशने के लिए बिहार के कई शहरों में छापेमारी भी की है।
पटना में जांच से जुड़े अधिकारियों ने बताया है कि PFI अनपढ़, बेरोजगार मुस्लिम युवाओं को टारगेट करके अपने साथ जोड़ रहा है। पुलिस जांच में सामने आया है कि युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी गई है।
PFI के तार विदेशों से जुड़े होने और बाहर से फंडिंग की भी जांच की जा रही है। पुलिस को PFI के अकाउंट में 90 लाख रुपए मिले हैं।
अतहर ने पुलिस को बताया था कि उसने 26 लोगों को ट्रेनिंग दी थी। इन सभी के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। सभी पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) से भी जुड़े थे।
2007 में बना, 20 राज्यों में फैला PFI: PFI की जड़ें 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए खड़े हुए आंदोलनों से जुड़ती हैं। 1994 में केरल में मुसलमानों ने नेशनल डेवलपमेंट फंड (NDF) की स्थापना की थी।
स्थापना के बाद से ही NDF ने केरल में अपनी जड़ें मजबूत कीं और इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई और इस संगठन की सांप्रदायिक गतिविधियों में संलिप्तता भी सामने आती गई।
साल 2003 में कोझिकोड के मराड बीच पर 8 हिंदुओं की हत्या में NDF के कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए। इस घटना के बाद BJP ने NDF के ISI से संबंध होने के आरोप लगाए, जिन्हें साबित नहीं किया जा सका।
केरल के अलावा दक्षिण भारतीय राज्यों, तमिलनाडु और कर्नाटक में भी मुसलमानों के लिए काम कर रहे संगठन सक्रिय थे। कर्नाटक में कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी यानी KFD और तमिलनाडु में मनिथा नीति पसाराई (MNP) नाम के संगठन जमीनी स्तर पर मुसलमानों के लिए काम कर रहे थे।
इन संगठनों का भी हिंसक गतिविधियों में नाम आता रहा था। नवंबर 2006 में दिल्ली में हुई एक बैठक के बाद NDF और ये संगठन एक होकर PFI बन गए। इस तरह साल 2007 में PFI अस्तित्व में आया और आज 20 राज्यों में ये संगठन काम कर रहा है।
अब PFI एक संगठित नेटवर्क है जिसकी देश के बीस से अधिक राज्यों में मौजूदगी है। PFI की एक राष्ट्रीय समिति होती है और राज्यों की अलग समितियां होती हैं। ग्राउंड लेवल पर इसके वर्कर होते हैं। समिति के सदस्य हर तीन साल में होने वाले चुनाव से चुने जाते हैं।
2009 में PFIने अपने राजनीतिक दल SDPI (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया) और छात्र संगठन CFI (कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया) का गठन किया था।
जैसे-जैसे PFI का प्रभाव बढ़ा, कई राज्यों के अन्य संगठन भी PFI के साथ जुड़ते चले गए। गोवा का सिटीजन फोरम, पश्चिम बंगाल का नागरिक अधिकार सुरक्षा समिति, आंध्र प्रदेश का एसोसिएशन ऑफ सोशल जस्टिस और राजस्थान का कम्युनिटी सोशल एंड एजुकेशन सोसायटी- ये सभी संगठन PFI का हिस्सा हो गए।
देश भर में आधार बनाने के बाद PFI ने अपना मुख्यालय भी कोझिकोड से दिल्ली स्थानांतरित कर लिया।
अब PFI देश के अधिकतर हिस्सों में सक्रिय है, लेकिन इसका मजबूत आधार दक्षिण भारत में ही है। हाल ही में जब कर्नाटक में हिजाब विवाद हुआ तो कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया और PFI ने अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए उसका जमकर इस्तेमाल किया।
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