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KGBV स्कूलों में मनमानी का आलम,अंशकालीन शिक्षिका को मिल रहा रोजाना 33 रुपए !

झारखंड अंशकालिक शिक्षक सह कर्मी संघ, कस्तूरबा गाँधी आवासीय बालिका विद्यालय के अध्यक्ष रितेश कुमार सिंह ने बताया कि इस तरह की मनमानी से राज्य शिक्षा परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी को अवगत कराया गया है। उन्होंने अपने स्तर से पड़ताल कर उचित कार्रवाई का भरोसा दिया है

राँची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। राष्ट्रीय पटल पर शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत पिछड़ा झारखंड सूबे के आवासीय विद्यालयों में मनमानी का आलम है। प्रायः सभी विद्यालयों में प्रबंध समिति, वार्डन, लेखापाल और जिला स्तरीय परियोजना प्रभारियों की मिलीभगत से शिक्षा व्यवस्था मजाक बन गई है।

इसी बाच राजधानी राँची जिला क्षेत्र अवस्थित ओरमाँझी कस्तूरबा गाँधी बालिका आवासीय विद्यालय से एक दिलचस्प मामला सामने आया है। यहाँ फिलहाल कोविड-19 लॉकडाउन के मद्देनजर ऑनलाईन क्लास ले रही अंशकालीन शिक्षकाओं को पिछले 5 माह से मात्र एक हजार रुपए मासिक मानदेय का भुगतान किया जा रहा है। इस हिसाब से देखा जाए तो रोजाना मात्र 33 रुपए की शैक्षणिक मजदूरी बनती है।

कक्षा-6 से कक्षा-8 तक की छात्राओं का ऑनलाईन क्लास ले रही अंशकालीन शिक्षिकाओं को आखिर किस आधार पर मासिक मात्र एक हजार रुपए का भुगतान किया जा रहा है, इसका जबाव न स्कूल के वार्डन-अकाउंटेट दे पा रहे हैं और न ही जिला परियोजना के पदाधिकारी।

ओरमाँझी स्कूल की एक अंशकालीन शिक्षिका ने वार्डन को भेजे आवेदन में लिखा है, “मैं लॉकडाउन के दौरान भी बतौर अंशकालीन शिक्षक के रुप में सक्रीय रही हूं, लोकिन उस लॉकडाउन के दौरान की राशि का भुगतान नहीं किया गया। इस वर्ष भी लॉकडाउन के दौरान वर्ग की छात्राओं को नियमित ढंग से ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करती आ रही हूं। लेकिन इस दौरान मुझे मात्र 1000 रुपए मासिक का भुगतान किया गया है”।

शिक्षिका ने आगे लिखा है कि  “बीते मई-जून-जुलाई माह में भी मात्र 5 दिन ऑनलाइन पढ़ाई करने के आधार पर मात्र एक हजार रुपए का ही भुगतान किया गया है। जबकि पूरे माह नियमित ढंग से छात्राओं का ऑनलाईन क्लास लेती रही हूं। इधर अगस्त माह में भी मेरा मात्र 5 दिन पढ़ाई का अटेंडेंस बनाकर भेजी गई है। यानि फिर इस माह भी मात्र 1000 रुपए यानि 33 रुपए प्रति दिन के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। जबकि अगस्त माह में भी मैंने लगन से नियमित ऑनलाईन क्लास लिया है। मेरे पास इसके प्रमाण भी है। जाहिर है कि इस सितबंर माह में मेरी नियमित ऑनलाईन क्लास लिए जाने के एक माह का आंकलन मात्र 5 दिन के रुप में किया जाएगा”।

शिक्षिका ने वार्डन को लिखे आवेदन की प्रति जिला परियोजना पदाधिकारी को भी भेजी है। जिसमें उल्लेख है कि “क्या छात्राओं का माह में 5 दिन ही ऑनलाईन क्लास लिया जाना है ? उचित मार्गदर्शन के अभाव में मैं यह मान बैठूगीं कि छात्राओं के भविष्य की चिंता किए वगैर  माह में मात्र 5 दिन ही ऑनलाइन क्लास लेनी है। इसे स्पष्ट करने की कृपा करेंगे”।

 

 

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