रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड प्रदेश के पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत गम्हरिया क्षेत्र के मोहनपुर गांव में भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा की उपस्थिति में उनके समर्थकों और ग्रामीणों तथाकथित झामुमो समर्थकों के बीच हुई झड़प को लेकर एक सनसनीखेज सूचना सामने आई है।
खबरों के अनुसार भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा का गम्हरिया प्रखंड क्षेत्र में दौरा को लेकर तैयार किया गया मिनट-टू-मिनट रूट चार्ट में मोहनपुर का नाम नहीं था। इसके बाद भी प्रचार में शामिल काफिला का अचानक मोहनपुर की ओर कूच कर गया।
रूट चार्ट के अनुसार सुबह साढ़े नौ बजे गोपीनाथपुर से शुरू होकर प्रचार का काफिला डुमरा, कांड्रा आदि क्षेत्रों से होते हुए बुरूडीह जाना था। वहीं, दोपहर ढाई बजे बुरूजीह से सालमपाथर, पिंड्राबेड़ा होते हुए रापचा जाना था, लेकिन उनका काफिला उक्त रूट को छोड़ मुर्गाघुटू होकर मोहनपुर चला गया।
ऐसे में सवाल उठना लाजमि है कि आखिर किन परिस्थितियों में भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा का मिनट-टू-मिनट रूट चार्ट चेंज किया गया। क्या उन्हों पता था कि मोहनपुर में ग्रामीण उनका विरोध करने वाले हैं। वहाँ अपनी ओर से भी पूरी तैयारी के साथ पहुंचना है।
घटना के दिन का जो लाइव वीडियो फुटेज सामने आए हैं, उससे साफ प्रतीत होता है कि अगर एक तरफ गीता कोड़ा का कड़ा विरोध हो रहा है तो दूसरी तरफ उनके समर्थक भी उसी तेवर से जूझते दिख रहे हैं। इस पूरी घटना को हमला की संज्ञा नहीं दिया जा सकता। भाजपा के कार्यकर्ता भी ग्रामीणों के साथ तीखी झड़प करते और मारते पिटते साफ दिख रहे हैं।
दरअसल, समस्या भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा की है। वह कांग्रेस की निर्वतमान सांसद हैं औऱ आसन्न चुनाव में भाजपा की टिकट पर पुनः मैदान में हैं। पिछले पांच वर्षों तक आम जनता से दूर रहने वाली सांसद गीता कोड़ा अपनी चुनावी नैया पार करने के लिए अचानक भाजपा में चली गई। चंद घंटे पहले वे कांग्रेस के कार्यक्रम में थी और उस परिस्थिति में अचानक पाला बदलना कई मायने स्पष्ट करते हैं। इससे भी चाईबासा के लोगों में उनके प्रति काफी आक्रोश बढ़ा है।
उनके पति पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा निर्दलीय सांसद बने थे। उसके बाद गीता कोड़ा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस की नाव पर सवार हो गई। और अब भाजपा की ओर से ताल ठोका है। उन्हें विश्वास है कि इस बार वह ‘मोदी मैजिक’ की छांव में सुरक्षित हो गई है। मोहनपुर घटना के बाद खुद गीता कोड़ा के सामने आए बयान का विश्लेषण करें तो उनका किस स्तर तक विरोध हो रहा है, साफ दर्शाता है।
हो सकता है कि इसमें उनके हालिया प्रतिद्वंदी झामुमो-कांग्रेस गठबंधन के कार्यकर्ता शामिल हों, लेकिन यह प्रश्न भी तो खड़ा होता ही है कि जिन कार्यकर्ताओं-ग्रामीणों ने पिछले चुनाव में मोदी लहर के विपरित चुनाव जीताकर भेजा था, उन्हें आज चुनावी माहौल में सवाल उठाने का हक तो बनता ही है?
बहरहाल, गीता कोड़ा हमला प्रकरण को लेकर भाजपा के नेता काफी हमलावर हैं। उन्होंने मामला स्थानीय पुलिस से लेकर चुनाव आयोक तक पहुंचाई है। संभावना है कि भाजपा के सर्वोच्च प्रचारक पीएम नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी इसका जिक्र अपनी सभाओं में अवश्य करेंगे। इस चुनावी समर में इसका कितना लाभ किसके मिलेगा, यह तो चुनाव परिणाम ही बताएगा, लेकिन ऐसी ओछी राजनीति मुद्दों से भटकाने का प्रयास ही माना जाएगा।
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