अररिया (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। कोरोना से बचाव के लिए सरकार की ओर से लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है। साथ ही लोगों को कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण को लेकर जागरूक किया जा रहा है, लेकिन टीकाकरण को लेकर गलत आंकड़ा पेश किए जाने का मामला शुरू से ही सुर्खियों में रहा है।
भद पीटने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग अपने कारगुजारियों से बाज नहीं रहा है। जबकि कोरोना से बचाव के लिए तीसरे प्रीकॉशन डोज को लेकर अभियान चलाया जा रहा है।
अररिया स्वास्थ्य विभाग की फिर लापरवाही सामने आई और इस बार लापरवाही ऐसी की न्यायाधीश और उसकी पत्नी को बगैर डोज लिए ही न केवल दोनों के मोबाइल पर एसएमएस के माध्यम से सफलतापूर्वक प्रीकॉशन डोज लेने की सूचना ही प्राप्त हुई, बल्कि आरोग्य सेतु एप्प पर बकायदा दोनों का सर्टिफिकेट भी जारी हो गया।
फिर क्या था। न्यायाधीश ने जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के साथ जिला प्रशासन को लापरवाही को लेकर पत्राचार किया तो एएनएम पर दोषारोपण करते हुए उसके ऊपर निलंबन की गाज गिर गयी।
दरअसल, अररिया सिविल कोर्ट के एडीजे-सह-जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव धीरेन्द्र कुमार और उसकी पत्नी रश्मि कुमारी को एसएमएस के माध्यम से कोविड का प्रीकॉशन डोज लेने की सूचना के साथ आरोग्य सेतु एप्प के माध्यम से सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ। जबकि एडीजे धीरेन्द्र कुमार और उसकी पत्नी ने डोज लिया ही नहीं।
इस मामले को लेकर एडीजे धीरेन्द्र कुमार ने अपने पत्रांक 942 दिनांक-23.06.2022 के माध्यम से सिविल सर्जन समेत जिला प्रशासन को पत्र लिखकर पूरे वाकये की जानकारी देते हुए इतनी बड़ी लापरवाही पर ध्यान आकृष्ट कराया तो स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया।
प्रीकॉशन डोज के प्रमाण पत्र में टीकाकर्मी में एएनएम प्रमिला कुमारी का नाम अंकित है और टीकाकरण स्थल के रूप में अररिया का बेलवा अंकित था। न्यायाधीश का मामला सामने आने के बाद तुरंत ही स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हुआ और तत्काल ही सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने आदेश ज्ञापांक संख्या-1376 दिनांक-23.06.2022 निकालकर कार्य मे लापरवाही तथा कर्तव्यहीनता के आरोप में अररिया पीएचसी की एएनएम प्रमिला कुमारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
सीएस ने यह कार्रवाई बिहार सरकारी सेवक वर्गीकरण एवं अपील नियमावली 2005 के नियम 09 के तहत की। निलंबन अवधि में एएनएम प्रमिला कुमारी का मुख्यालय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कुर्साकांटा कर दिया गया और निलंबन अवधि के दौरान केवल जीवन भत्ता देय का आदेश दिया गया। साथ ही विभागीय कार्यवाही की भी बात कही गयी।
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