पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क ब्यूरो)। बिहार के नालंदा के चंडी तथा नगरनौसा के शाहपुर निवासी पूर्व मुखिया रघुवंश मणि के छोटे पुत्र नवोदित फिल्म प्रोड्यूसर विकास मणि और निर्देशक अश्विनी चौधरी की बहुचर्चित फिल्म ‘सेटर्स’ आज देश के कई राज्यों में एक साथ रिलीज हो गई।फिल्म रिलीज होते ही पहले दिन दर्शकों को भा गई ‘सेटर्स‘।
‘सेटर्स’ का मतलब आम बोल चाल की भाषा में सेटिंग करने वाला होता है। लेखक-निर्देशक अश्विनी चौधरी की ‘सेटर्स’ में एजुकेशन सिस्टम में सेंध लगाने वाले सेटर्स की कहानी को दर्शाया गया है।
‘सेटर्स’ फिल्म की कहानी बनारस, जयपुर, दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों के इर्दगिर्द घूमती है, जहां बनारस का बाहुबली भैयाजी (पवन मल्होत्रा) अपूर्वा (श्रेयस तलपड़े) और अपने दूसरे गुर्गों (जीशान कादरी, विजय राज, मनु ऋषि, नीरज सूद) के साथ मिलकर शिक्षा तंत्र में दीमक लगाने का काम करता है।
अपूर्वा की अगुवाई में रेलवे, बैंकिंग, टीचरी आदि के एग्जाम्स पेपर्स को इतनी चतुराई और हाईटेक अंदाज में लीक किया जाता है कि किसी को कानों- कान खबर नहीं होती।
भैयाजी अपने गिरोह के साथ बैंकिंग के पेपर्स लीक करने की प्लानिंग कर रहे होते हैं कि एसपी आदित्य (आफताब शिवदासानी) को एक टीम गठित करके इस गिरोह का पर्दाफाश करने की जिम्मेदारी दी जाती है।
एक जमाने में आदित्य और अपूर्वा गहरे दोस्त हुआ करते थे, मगर फिर हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि आदित्य पुलिस और अपूर्वा चोर बन जाता है।
आदित्य एजुकेशन सिस्टम के इस घपले को सामने लाने के लिए ईशा (सोनाली सहगल), अंसारी (जमील खान) और दिबांकर (अनिल मांगे) जैसे बागी पुलिस वालों की टीम बनाता है।
उधर अपूर्वा एजुकेशन सिस्टम में घुसपैठ करने के साथ-साथ भैयाजी की बेटी प्रेरणा (इशिता दत्ता) के प्यार में पड़ जाता है, मगर तब तक पुलिस और चोरों के बीच चूहे-बिल्ली का खेल शुरू हो चुका है।
फिल्म के निर्देशक अश्विनी चौधरी ने कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स के पेपर लीक होने की प्रक्रिया को बहुत ही रोचक अंदाज में दर्शाया है। उन्होंने पेपर लीक और नकल करवाने के सभी हाईटैक तरीकों का इस्तेमाल किया, जिसके कारण दर्शक कहानी से बंधा रहता है। इस कहानी को उन्होंने पुलिस इन्वेस्टिगेशन के साथ जोड़कर थ्रिलर बना दिया है।
रियल लोकेशंस पर शूट की गई यह फिल्म कहानी को बल देती है। हालांकि हर बार स्कैम करनेवाला गिरोह पुलिस की जांबाज और एक्सपर्ट टीम को अंगूठा दिखा जाता है।
निर्देशक के रूप में वे कुछ ट्रैक्स को विस्तार देने से चूक गए हैं। जैसे अपूर्वा और प्रेरणा की लव स्टोरी, भैयाजी और अपूर्वा के बीच की खुंदक। क्लाइमेक्स को और बेहतर बनाने की जरूरत थी।
फिल्म में श्रेयस तलपड़े अपनी कॉमिक इमेज से हटकर एक अलग अंदाज में नजर आए हैं और उन्होंने अपनी बोली और अभिनय के साथ अपनी भूमिका को विश्वसनीय बनाया है। आफताब शिवदासानी को एक अरसे बाद हैंडसम और गंभीर पुलिसवाले की भूमिका में देखना दर्शकों को अच्छा लगा होगा।
विजय राज अपनी भूमिकाओं को हर बार एक नया आयाम देते हैं और इस बार भी वह कामयाब रहे हैं। इशिता दत्ता और सोनाली सहगल जैसी नायिकाओं के हिस्से में कुछ खास करने जैसा नहीं था।
पवन मल्होत्रा, जीशान कादरी, जमील खान, मनु ऋषि, नीरज सूद, अनिल मांगे जैसे कलाकारों ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है।
फिल्म में संगीत सलीम-सुलेमान ने दिया है। जिसे कहानी के अनुसार औसत ही कहा जाएगा । फिल्म का ट्रीटमेंट इसे ग्रिपिंग बनाता है और इसकी सामयिकता और गहन रिसर्च दर्शकों को कहानी से जोड़े रखता
फिल्म ‘सेटर्स’ दर्शकों के उम्मीद पर खरा उतरने का भरसक प्रयास कर रहा है। थ्रिलर फिल्मों के शौकीन और एजुकेशन सिस्टम के फर्जीवाड़े को जानने के लिए दर्शकों को ‘सेटर्स’ जरूर देखनी चाहिए।
सेटर्स की कहानी को मिलते हैं तीन स्टार जबकि दर्शकों ने फिल्म को साढ़े तीन स्टार दिया है। ‘सेटर्स’ के रिलीज होने के पहले ही दिन दर्शकों ने फिल्म की कहानी को काफी सराहा है।