“बिहार में सुशासन बाबू की सरकार है। पुलिस को पब्लिक के साथ फ्रेंडली व्यवहार करने की हिदायत दी जाती है, मगर नालंदा पुलिस अपनी संदिग्ध कार्यशैली से बाज नहीं आ रही….
उस चयन आमसभा के समय रिकार्डेड वीडियो में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि आंगनबाड़ी सेविका सहायिका के चयन में हो रहे भ्रष्टाचार पर ग्रमीण धर्मेंद्र कुमार ने आपत्ति करते हुए वहां मौजूद पर्यवेक्षिका से चयनित का मूल प्रमाण पत्र की मांग की एवं केवल इतना ही कहा कि यह तो मनमानी हो रहा।
धर्मेंद्र का बस इतना बोलना ही इसके लिए महंगा हो गया और अपने वरीय पदाधिकारियों के पुलिस पब्लिक फ्रेंडली आदेश निर्देश को यूं ताक पर रखकर वहां मौजूद इस्लामपुर थाना के उन्मादी जमादार सत्येंद्र सिंह और एक सिपाही ने आग बबूला होकर आपत्ति कर रहे आपत्तिकर्ता धर्मेंद्र कुमार के ऊपर बेवजह थप्पड़ चला दिया, जिससे वहां मौजूद ग्रामीणों में उन्माद का माहौल फैल गया।
और पुलिस पब्लिक के बीच में झड़प हो गई देखते देखते ग्रामीण के दो गुट के बीच रोड़ेबाजी शुरू हो गई। पुलिस मामला को बढ़ता देख कर पहले फायरिंग भी कर दी, जिसमें एक महिला रिंकू देवी को पैर में पुलिस की गोली लगी, जिससे वह घायल हो गई और तत्काल इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करा दिया गया।
वहीं आत्मा पंचायत के मुखिया पति चंद्रभूषण यादव ने बताया कि पुलिस की मिलीभगत से कुछ अपराधकर्मी दूसरे जगह से आए हुए थे, जो उनकी हत्या करने की मंशा से आए थे, मगर वह वहां मौजूद नहीं थे।
बकौल मुखिया, आपत्तिकर्ता का मांग जायज थी। वहां मौजूद आंगनबाड़ी की पर्यवेक्षिका से उन्होंने केवल चयनित अभ्यर्थी के मूल प्रमाण पत्र को दिखाने की मांग की। बस इतना में ही वहां मौजूद इस्लामपुर थाना के जमादार सत्येंद्र सिंह आग बबूला होकर आपत्तिकर्ता को आकर थप्पड़ मार बैठा।
सवाल उठता है कि जब आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका के चयन की आमसभा में पुलिस समाज की सुरक्षा के बजाय प्राप्त वीडियो के अनुसार खुद को एक पर्यवेक्षिका का किरदार निभाएगा और माहौल को भड़कयेगा तो नालंदा पुलिस के ऐसे उन्मादी जमादार पर किस हद तक कार्रवाई होती है और इसके खिलाफ कब नालंदा डीएम-एसपी कार्रवाई करते हैं।