जिंदगी तूने मौत से कम दी है, ज़मी पे पांव फैलाऊ तो, दीवार से भी सिर लगता है,
भले ही शराब के नशे के लिए इन दोनों भाइयों को पांच वर्ष और एक लाख रूपये के जुर्माना की सज़ा सुनाई गयी है, लेकिन खामियाजा इनके परिवार को भी भुगतना पड़ रहा है। सरकार की सही नियत इन परिवारों के लिए गले का फाँस बन गई है।
शराब पी कर सजा पाये दोनों भाइयों के परिजनों के समक्ष यह समस्या उत्पन्न हो गयी है कि वो अपने पेट की आग बुझायें या सजा पाने वाले परिवार के दो सदस्यों को जुर्माना देकर छुड़ायें।
जहानाबाद नगर थाना क्षेत्र के ऊंटा मोहल्ले के रहने वाले दो भाई पेंटर मांझी और मस्तान मांझी को शराब पीने के जुर्म में मई माह में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। दोनों शराबबंदी कानून के तहत सजा पाने वाले पहले शख्स बने जिन्हें इस साल दस जून को कोर्ट ने सजा सुनाई।
पेंटर की पत्नी क्रांति और मस्तान की पत्नी सियामनी की मानें तो दोनों भाइयों का परिवार दो जून से रोटी को मोहताज हो चुके हैं।
इधर इस मामले में भाकपा माले ने राज्य सरकार की शराब विरोधी नीति पर निशाना साधते हुए कहा है कि सूबे में शराब पीने और बेचने के पैंतालीस हज़ार मामले पेंडिंग पड़े हैं।
भाकपा माले नेता रामबली यादव ने कहा है कि जहानाबाद का यह मामला सरकार की गरीब विरोधी नीति को दर्शाता है। सूबे की सरकार इस तरह के अध्यादेश लाकर गरीबों पर दमनचक्र चला रही है।