साथियो आज मैं बहुत ही चिंतित हूं। चिंता का कारण कोई व्यक्तिगत नहीं, बल्कि एक छात्र की पीड़ा है, जिसे सुन कर मैं विचलित हूं। आप भी सुनिये उस पीड़ा को।
उसे बताया गया कि 2014 में उसे रेगुलर डिग्री मिल जायेगी। उषा मार्टिन एकेडमी के नाम पर वह छात्र प्रभावित हुआ। उस जैसे हजारों छात्र प्रभावित हुए। वह रांची में रह कर पढ़ाई करने लगा। रेगुलर क्लास होने लगा। छह सेमेस्टर में उसने 1.20 लाख रुपये जमा किये। रांची में रहने में उसे हर माह दस हजार रुपये खर्च हो रहे थे। तीन साल में उसने साढ़े तीन लाख रहने, खाने में खर्च किये।
उसके परिजनों ने जमीन बेच कर फीस दी। उसे 2014 की जगह 2015 में डिग्री दी गयी। उसे उषा मार्टिन एकेडमी की तरफ से करेक्टर सर्टिफिकेट मिला। उसे उषा मार्टिन एकेडमी की तरफ से मनी रिसिप्ट दी गयी। डिग्री देख वह अवाक हो गया। डिग्री पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी की थी।
खैर, उसने सोचा कि चलिए वही सही, रेगुलर डिग्री तो है। लेकिन आज उस बच्चे के ऊपर पहाड़ टूट पड़ा। आज यानी भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि 9 जून को वह पिस्का मोड़ स्थित एक्सिस बैंक में इंटरव्यू देने गया। वह खुश था। भगवान बिरसा मुंडा को भी मनन कर रहा था। सोच रहा था, नौकरी पाकर उसकी तकदीर संवर जायेगी। उसका इंटरव्यू हो गया। मैनेजर आलोक प्रकाश बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि आप अपनी डिग्री जमा कर दें और ज्वाइन कर लें।
लेकिन जब उसने डिग्री दिखायी, तो उसे बताया गया कि यह रेगुलर डिग्री नहीं, बल्कि डिस्टेंस कोर्स की डिग्री है। न हम आपको नौकरी दे सकते हैं और न ही सरकारी बैंक। यह सुन छात्र रोने लगा। घर आया। उसके पिता मेडिका में एडमिट हैं। उसने सोचा था कि जिस पिता ने अपनी कमाई खर्च कर, जमीन बेच हमें पढ़ाया, हम उनके काम आयेंगे, लेकिन वह अब अपने को असहाय महसूस कर रहा है।
वह बरियातू थाने गया। उसने लिखित शिकायत की है। उसके बाद वह आजाद सिपाही कार्यालय आया। अपनी पीड़ा कहते-कहते वह रोने लगा। उसका सवाल था: इतनी बड़ी कंपनी उषा मार्टिन और उसके मालिकों ने हमारे साथ धोखाधड़ी क्यों की? अगर उन्हें डिस्टेंस कोर्स ही कराना था, तो उन्होंने उषा मार्टिन एकेडमी के बोर्ड पर डिस्टेंस कोर्स का जिक्र क्यों नहीं किया। वहां पावर्ड बाइ उषा मार्टिन इंडस्ट्री क्यों लिखा गया?
अखबार में भी जो बड़े बड़े विज्ञापन दिये गये, उसमें कहीं भी पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी और डिस्टेंस कोर्स का जिक्र नहीं था। पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी का डिस्टेंस कोर्स तो छह हजार रुपये में होता है। रांची में उसके कई ब्रांच हैं, जहां छात्र जाते ही नहीं। और हमें अगर डिस्टेंस कोर्स ही करना होता तो फिर रांची में रह कर प्रति महीने हम दस हजार रुपये खर्च क्यों करते। फिर तो घर पर रह कर यहां आकर परीक्षा दे देते। उसने कहा, क्या हमें न्याय मिलेगा? क्या मुझे अब नौकरी मिल पायेगी?
मित्रो, आप भी कुछ कहिए ताकि हम उस छात्र को आपकी तरफ से कोई सुझाव दे सकें।