एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम की सबसे बुरी हालत सीएम नीतिश कुमार के गृह जिले नालंदा में है। यहां तक कि डीएम स्तर के जिम्मेवार अफसर इस ओर खुद लापरवाह दिखते हैं।
कई चर्चित मामलों के अवलोकन से नालंदा डीएम की कथनी और करनी में साफ अंतर नजर आती है। जहां एक ओर वे अपने अधिनस्थों को लोक शिकायत को मिशन मोड में करने के निर्देश देते हैं, वहीं खुद उनके मातहत मामलों में नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ रही है।
उदाहरणनार्थ राजगीर के बिचली कुआं निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट पुरुषोतम प्रसाद ने ‘जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी नालंदा के फैसले से असंतुष्ट’ संबंधित अनन्य वाद संख्या- 999990124121637691/2A दर्ज कर रखी है। इस मामले में द्वितीय अपीलीय प्राधिकार सह नालंदा जिला पदाधिकारी हैं।
आईये पहले एक नजर डालते हैं इस मामले पर….
तिथि-18/11/2017 |
आदेश का प्रकार- Adjourn |
आदेश का विवरण: इन्टरनेट की स्थिति सही नहीं होने के कारण |
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तिथि-16/11/2017 |
आदेश का प्रकार- Adjourn |
आदेश का विवरण: इन्टरनेट की स्थिति सही नहीं होने के कारण |
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तिथि-14/11/2017 |
आदेश का प्रकार- Adjourn |
आदेश का विवरण: इन्टरनेट की स्थिति सही नहीं होने के कारण |
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तिथि-28/10/2017 |
आदेश का प्रकार- अन्तरिम आदेश |
आदेश का विवरण: अपीलार्थी उपस्थित| अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, राजगीर एवं अंचल अधिकारी, राजगीर उपस्थित| उभय पक्ष को सुना| अभिलेख आदेश पर रखें| |
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तिथि-31/10/2017 |
आदेश का प्रकार- Adjourn |
आदेश का विवरण:इन्टरनेट की स्थिति सही नहीं होने के कारण |
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तिथि-06/10/2017 |
आदेश का प्रकार- अन्तरिम आदेश |
आदेश का विवरण:
अपीलार्थी उपस्थित| अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, राजगीर एवं अंचल अधिकारी, राजगीर उपस्थित| अपीलार्थी ने यह अपील अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, राजगीर एवं अपर समाहर्ता (लो0शि0नि0)-सह-प्रथम अपीलीय प्राधिकार, नालंदा के निर्णय से असंतुष्ट होकर दायर किया है| अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, राजगीर द्वारा आदेश पारित किया गया है कि प्रस्तुत वाद पुरषोतम प्रसाद पता- बिचलीकुऑ, राजगीर पोस्ट- राजगीर, जिला- नालन्दा ने अंचल अधिकारी, राजगीर द्वारा अतिक्रमण नहीं हटाने के संदर्भ में दायर किया है। इससे पूर्व भी परिवादी ने इसी विषय पर परिवाद दायर किया था। इसमें कार्रवाई नहीं होने से व्यथित होकर पुन: परिवाद दायर किया गया है। अंचल अधिकारी, राजगीर वादी के मॉग पर अतिक्रमण हटाने के प्रति सजग नहीं है। इस सुनवाई के दौरान अंचल अधिकारी, राजगीर ने तो स्वयं उपस्थित हुए और न ही कभी अपना पक्ष रखा। अंचल अधिकारी, राजगीर का रवैया नकरात्मक है। बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम 2015 के अनुच्छेद 8 के अंतर्गत अंचल अधिकारी, राजगीर पर शास्ति अधिरोपण का मामला बनता है। उनके द्वारा शास्ति अधिरोपण की अनुशंसा के साथ वाद की कार्यवाही समाप्त की गई है। अपर समाहर्ता (लो0शि0नि0)-सह-प्रथम अपीलीय प्राधिकार, नालंदा द्वारा आदेश पारित किया गया है कि अंचल अधिकारी, राजगीर द्वारा प्रतिवेदित किया गया है कि अतिक्रमण वाद संख्या- 01/2017-18 में अतिक्रमणकारियों को दिनांक 06.07.2017 तक अतिक्रमित जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करने का अंतिम आदेश पारित किया गया है। उनके द्वारा अंचल अधिकारी, राजगीर को दिनांक-06.07.2017 तक अतिक्रमणकारियों द्वारा अतिक्रमण नहीं हटाने पर उक्त तिथि के वाद तीन सप्ताह के अंदर विधि सम्मत रूप से अतिक्रमण हटाने का निदेश दिया गया है। अपीलार्थी द्वारा यथाशीध्र अतिक्रमण हटाने की मॉग की गई है, ताकि ससमय मेला प्राधिकार का गठन हो सके। अंचल अधिकारी, राजगीर द्वारा प्रतिवेदित किया गया है कि आवेदक के आवेदन पत्र पर विधिवत अतिक्रमण चलाकर अतिक्रमित जमीन को खाली करने का आदेश निर्गत किया गया। अतिक्रमणकर्ता द्वारा अतिक्रमित जमीन को खाली नहीं किया गया। तदोपरांत अतिक्रमित जमीन को खाली करवाने हेतु दिनांक 17.07.2017 एवं 18.07.2017 को तिथि निर्धारित करते हुए दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी, महिला पुलिस पदाधिकारी, लाठी बल, डोजर एवं मजदूर की मांग किया गया। उपलब्ध पदाधिकारियों के सहयोग से दिनांक 17.07.2017 एवं 18.07.2017 को कुछ व्यक्तियों के मकान को छोडकर शेष को खाली करवाया गया। शेष वयक्तियों द्वारा स्थगन प्रतिवेदन समर्पित किया गया है। उक्त वादों में सरकारी अधिवक्ता के माध्यम से सरकार का पक्ष न्यायालय में समर्पित किया गया है एवं आवश्यक विधि सम्मत कार्रवाई की जा रही है। उभय पक्ष को सुना एवं अभिलेख में संलग्न कागजातों का अवलोकन किया। अभिलेख के अवलोकन एवं अंचल अधिकारी राजगीर के प्रतिवेदन से स्पष्ट होता है कि उनके द्वारा अतिक्रमण वाद संख्या-01/17-18 में कुछ व्यक्तियों के मकान को छोड़कर शेष अतिक्रमण को खाली कराया गया है| अंचल अधिकारी, राजगीर को निदेश दिया जाता है कि जिन मामलें में अतिक्रमण हटाने में किसी तरह का रोक नहीं है, वैसे मामलें में 15 अक्टूबर तक अतिक्रमण हटाकर प्रतिवेदित करें। जिन मामलें में अतिक्रमण हटाने से रोक है, उसका साक्ष्य अगली सुनवाई की तिथि को प्रस्तुत करें| अभिलेख दिनांक 28.10.2017 को रखें। |
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तिथि-07/10/2017 |
आदेश का प्रकार- Adjourn |
आदेश का विवरण: इन्टरनेट की स्थिति सही नहीं होने के कारण |
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तिथि-16/09/2017 |
आदेश का प्रकार- अन्तरिम आदेश |
आदेश का विवरण: अपीलार्थी उपस्थित | अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, राजगीर एवं अंचल अधिकारी, राजगीर उपस्थित| उभय पक्ष को सुना | अभिलेख आदेश पर रखें | |
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तिथि-20/09/2017 |
आदेश का प्रकार- Adjourn |
आदेश का विवरण: इंटरनेट की स्थिति सही नहीं होने के कारण |
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उपरोक्त मामले में कई रोचक बातें हैं। जो यह साफ स्पष्ट करती है कि जिलाधिकारी स्तर पर किस तरह का खेल होता है और उनका कार्यालय गंभीर मामलों में कितने सजग हैं।
वादी -सह- आरटीआई एक्टिविस्ट पुरुषोतम प्रसाद का तो यहां तक कहना है कि चूकि इस मामले से कई प्रभावशाली लोग जुड़े हैं, इसलिये इसे दबाने का कुचक्र रचा जा रहा है। एक तो उटपुटांग तारीखें दी जा रही है, वहीं नियमतः उन तरीखों की किसी भी माध्यम से उन्हें सूचना तक नहीं दी जाती है।
श्री प्रसाद के आरोपों में दम है। तिथि-16/09/2017 को आदेश का प्रकार- अपीलार्थी उपस्थित | अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, राजगीर एवं अंचल अधिकारी, राजगीर उपस्थित| उभय पक्ष को सुना | अभिलेख आदेश पर रखें | अन्तरिम आदेश का विवरण प्रकाशित किया गया है।
यही आदेश का हुबहू आदेश का विवरण- तिथि-28/10/2017 को आदेश का प्रकार- अन्तरिम आदेश :
इस मामले में सबसे चौंकाने वाली पहलु यह है कि तिथि-31/10/2017 के बाद दो दिन पहले की तिथि-28/10/2017 निर्धारित की गई है। यह अन्यन्न वाद संख्या- तिथि-20/09/2017 को दर्ज की गई थी लेकिन, अब तक कुल 6 बार इंटरनेट की स्थिति खराब बता कर आदेश के प्रकार को स्पष्ट नहीं किया गया है।