“सूबे के मुखिया नीतीश कुमार विभागीय स्तर पर विकास की प्राथमिकता देते हैं, शायद इसीलिये लोग उन्हें विकास पुरुष की संज्ञा देते हैं, लेकिन उनके विकास को पागल करने में उनके ही सड़क छाप तथाकथित रहनुमाओं का हाथ रहता है और जो खुद को पार्टी स्तर के किसी बड़े मंत्री और नेता का आदमी बता कर भ्रष्टाचार और अपराध में संलिप्त रहता है।“
खबर है कि कार्यकारी एजेंसी ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल राजगीर, नालंदा के द्वारा आवंटित योजना 4515 के अंतर्गत 1 किलो मीटर 280 मीटर सड़क निर्माण के लिए 83 लाख 33 हजार रुपए की लागत से सड़क निर्माण का कार्य धर्मेंद्र कुमार नामक संवेदक को आवंटित की गई। जो कि 4 लाख 35 हजार 476 रुपए के 5 वर्षीय रख-रखाव राशि से निर्मित होने वाली सड़क है तथा इस कार्य का नाम- मीना बाजार से बेलदरिया पैमार पथ का शेष भाग का निर्माण कार्य है।
इस कार्य की प्रारंभिक तिथि 24 फरवरी 2018 है तथा कार्य के समाप्ति की तिथि 23 नवंबर 2018 है।
आसपास तथा कार्यस्थल पर काम कर रहे मजदूरों से मिली जानकारी के अनुसार इस निर्माण का कार्य मुख्य संवेदक धर्मेंद्र कुमार के द्वारा कार्य ना कराकर उनके द्वारा पेटी कोंटेक्ट पर दिए गए ठेकेदार अजीत कुमार जोकि राजगीर प्रखंड के पूर्व प्रमुख बताए जाते हैं और सत्तारूढ़ दल के किन्ही खास नेता के करीबी माने जाते हैं, उनके द्वारा ग्रामीण कार्य विभाग के इस ठेकेदारी कार्य को किया जा रहा है।
इस सड़क निर्माण के कार्य में मीना बाजार के पास नहर में एक छिलका (पुलिया) निर्माण का कार्य किया जा रहा है और इस निर्माण कार्य में एक नंबर ईंट की जगह तथाकथित ठेकेदार अजीत कुमार के द्वारा अपने मोटी कमाई के चक्कर में धड़ल्ले से तीन नंबर ईंट का प्रयोग किया जा रहा है।
इस कार्य को अंजाम दे रहे तथाकथित ठेकेदार अजीत कुमार से जब एक्सपर्ट मीडिया न्यूज़ रिपोर्टर जानकारी चाही तो वह कुछ बताने से हमेशा बचते नजर आए और फोन लाइन पर हमेशा अपनी व्यस्तता दिखाकर 10 मिनट, 20 मिनट, गाड़ी चला रहे हैं, जैसे बहानेबाजी में ैसे उलझाते रहे।
अजीत कुमार ने सिर्फ इतना बताया, “मुख्य ठेकेदार धर्मेंद्र कुमार है और साइड का सारा कार्य सिर्फ वह खुद देखता है। अभी बिहार शरीफ निकला हूं, गाड़ी पर हूं, गाड़ी से उतर कर बात करूंगा”।
सवाल उठता है की किन सफेदपोश रहनुमाओं की कृपा से जनता के इस सफेद धन को अजीत कुमार सरीखे तथाकथित ठीकेदार लूटने में लगा हुआ है और ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यों में तीन नंबर ईंट का प्रयोग कर रहा है।
देखना है कि विभागीय अफसरों के द्वारा इस संबंध में कोई जांच-कार्रवाई की जाती है या सरकारी राशि लूटने के लिए ही यूं ही खुला छोड़ दिया जाता है?