“सवाल उठता है कि राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि से जुड़े इतने गंभीर मामले को लेकर शासन-प्रशासन के लोग वाकई इतने अज्ञान हैं या फिर वे किसी ‘अज्ञात’ दबाब में भू-माफियाओं-अतिक्रमणकारियों के आगे लाचार विवश।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। बिहार के सीएम नीतिश कुमार के कर कमलों द्वारा उद्घाटित नालंदा जिला प्रशासन की राजगीर मलमास मेला नामक ‘मोबाईल एप्प’ में उन होटलों को भी प्रमोट किया गया है, जो शासकीय तौर पर मलमास मेला सैरात भूमि की जमीन को अतिक्रमण कर बनाया गया है। उसमें एक होटल के मालिक समेत दोषी तीन सरकारी-कर्मी को खिलाफ स्थानीय थाना में एफआईआर भी दर्ज हो चुका है।
राजगीर गेस्ट हाउस का स्थान कॉलेज रोड, राजगीर कुंड और उसके सिंगल एसी रुम तथा डबल नन एसी रुम का किराया 1000 रुपया प्रतिदिन एवं संपर्क मोबाईल नंबर- 7781860495 बताया गया है।
वहीं, दूसरे सिद्धार्थ होटल का स्थान अपोजिट ओल्ड जापानीज मंदिर और उसके सिंगल एसी रुम का किराया-2450, डवल एसी रुम का किराया- 2900, नन एसी सिंगल रुम का किराया- 1250, नन एसी डबल रुम का किराया-1500 रुपये प्रति दिन एवं संपर्क मोबाईल नंबर-9304013642 बताया गया है।
इस आदेश के आलोक में राजगीर के वर्तमान भूमि उप समाहर्ता प्रभात कुमार ने राजगीर गेस्ट हाउस के मालिक एवं उसके फर्जीबाड़ा के शासकीय सहयोगी तात्कालीन राजगीर अंचलाधिकारी, भूमि उप समाहर्ता और राजस्व कर्मचारी के खिलाफ स्थानीय थाना में कांड संख्या-85/2018 कर रखा है।
इस संबंध में जब एक्सपर्ट मीडिया न्यूज की ओर से राजगीर के वर्तमान एसडीओ संजय कुमार ने राजगीर मलमास मेला नामक ‘मोबाईल एप्प’ में दी गई जानकारी की बाबत पूरी तरह से अनभिज्ञता प्रकट किया। वहीं मलमास मेला सैरात भूमि का अतिक्रमण कर बने राजगीर गेस्ट हाउस और उसके मालिक पर हुई हालिया एफआईआर पर नो कमेंट का लिबादा चढ़ा दिया।
उधर नालंदा जिला प्रशासन के आईटी सेल इन्चार्य आशीष कुमार ने बताया कि राजगीर मलमास मेला नामक ‘मोबाईल एप्प’ में जो जानकारी दी गई है, वे राजगीर भूमि उप समाहर्ता और नगर प्रबंधक द्वारा उपलब्ध आकड़ों पर आधारित है। अगर कोई ऐसी आपत्तिजनक जानकारी है तो उसे जल्द ही संशोधित कर लिया जायेगा।
बहरहाल, एसडीओ को राजगीर मलमास मेला नामक ‘मोबाईल एप्प’ की जानकारी न होना और राजगीर गेस्ट हाउस से जुड़े मामले पर बारंबार नो कमेंट के जुमले से ढकना तथा दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने वाले भूमि समाहर्ता-नगर प्रबंधक द्वारा आपत्तिजनक विवादित सूचनाएं उपलब्ध कराने के आखिर क्या मायने हैं?