“मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इस वन्यप्राणी सफारी का शिलान्यास इसी साल 17 जनवरी 2017 को किया था। इसके शिलान्यास समारोह में बिहार सरकार के कई मंत्री शामिल हुए थे ।”
इसके निर्माण के लिए 60 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत की गई है। वन्यप्राणी सफारी के चहारदीवारी निर्माण के लिए जरासंध के अखाड़े से जेठियन जाने वाली मार्ग के किनारे जंगल झाड़ की कटाई आरंभ हो गई है। भगवान बुद्ध कभी इसी रास्ते से राजगीर से जेठियन का सफर तय करते थे।
इस सफारी के निर्माण में करीब 500 श्रमिक काम करेंगे। उनके और सफारी निर्माण मैटेरियल रखने के लिए जंगल काट कर वन भूमि को चौरस किया जा रहा है।
बिम्बिसार का किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है । इस पर पेड़ों की कटाई और निर्माण कार्य कराया जा रहा है । लेकिन पुरातत्व विभाग से इसके लिए सफारी निर्माण एजेंसी ने स्वीकृत नहीं लिया है । दूसरी तरफ पुरातत्व विभाग के स्थानीय पदाधिकारी ने भी कोई आपत्ति नहीं की है । यहां से पुरावशेष मिलने की भी चर्चा है, जिसकी सूचना और अवशेष का फोटो पुरातत्व विभाग को भेज दी गयी है ।
राजगीर केवल अपने देश का ही नहीं बल्कि दुनिया का अनूठा धरोहर है। यह प्राकृतिक, पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक महत्व की रोचक एवं मनोहारी स्थलों, भग्नावशेषों एवं स्मृतियों का संगम है। यहां पुरातन काल से वर्तमान राजनीतिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक घटनाओं एवं कृतियों का एक साथ दर्शन होता है।
यह वन्यप्राणी सफारी देश- दुनिया के सैलानियो का आकर्षक का केन्द्र तो होगा ही वन विभाग को राजस्व संग्रह में सोने का अंडा देने वाली मुर्गी भी सावित होगी ।
इस वन्यप्राणी सफारी में हिंसक वन्यप्राणियों के लिए पांच बाड़े बनाए जाएंगे। इन बाड़ो में बाघ, शेर, तेंदुआ, भालू , हिरण( चितल एवं सांभर ) रहेंगे। यहां चिड़ियों के लिए एक एवियरी भी होगी तथा रंगविरंगी तितलियों का एक आकर्षक पार्क भी होगा।
इस सफारी में वन्यप्राणियों को रहने के लिए बड़े-बड़े बाड़ो का निर्माण कराया जाएगा, जहां मांसाहारी और शाकाहारी पशु स्वच्छंद विचरण कर सकेंगे । सैलानियों को बंद संरक्षित गाड़ियों में बाड़ो के अंदर ले जाकर वन्यप्राणियों को ज्यादा प्राकृतिक रूप से देखने का अवसर मिलेगा। राजगीर में बनाए जा रहे इस सफारी में दिन में तो पर्यटक आनंद उठाएंगे ही रात में भी उनके सफारी भ्रमण के प्रबंधक किए जाएंगे।
सूत्रों के अनुसार मांसाहारी वन्य प्राणी रात्रि में अधिक क्रियाशील होते हैं। अपना शिकार भी रात्रि नहीं करते हैं। वे स्थल परिवर्तन भी रात्रि में हीं करते हैं।
ऐसे तो राजगीर का पर्यटक मौसम शरद ऋतु है। इसी मौसम में देश-दुनिया के लाखों सैलानी और तीर्थयात्री यहाँ भ्रमण व दर्शन के लिए आते हैं । यहां ग्रीष्म ऋतु में गर्मी अधिक पड़ती है । गर्मी के मौसम में यहां आने वाले देशी – विदेशी सैलानियों को रात्रि में सफारी भ्रमण कराया जाए। इसके लिए रात्रि सफारी के रुप में इसे विकसित करने का भी प्रस्ताव है।
राजगीर की वन संपदाए और पहाड़ियां मनोरम दृश्य के लिए विश्व विख्यात है। यहां के जंगलों में विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों, दुर्लभ जड़ी – बूटियों , वन्य प्राणियों की विविधता भी काफी समृद्ध है। वन्य प्राणियों , पक्षियों एवं तितलियों को प्राकृतिक अधिवास में उन्मुक्त क्रियाशील देखने की अनुपम अनुभूति होती है। इसके लिए मांसाहारी पशुओं “सिंह घेरे” के आगे 500 हेक्टेयर में नेचर सफारी बनाया जाएगा।
……अधिकारी बोले
“राजगीर में देश के अनूठे वन्यप्राणी सफारी का निर्माण कराया जा रहा है । इसे दो साल में पूरा करने का लक्ष्य है। सफारी का निर्माण एजेंसी के द्वारा कराया जा रहा है। सफारी का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद वन्यप्राणियों को लाने की कार्यवाही आरंभ की जाएगी। यह सफारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसलिए उनसे अनुमति की जरूरत नहीं है ।” ……….डा. नेशामणि के , डी एफ ओ, नालंदा