“जदयू-भाजपा-लोजपा-रालोसपा युक्त एनडीए की ‘नीतीश सरकार’ में मंत्री पद से इस्तीफा देने से पहले मंजू वर्मा जाति का कार्ड खेल दबाब बनाये थी। जब वह दांव बेसर रहा तो उन्होंने ऐसा दांव खेल गई है, वह बड़े अपराधिक संकेत दे रही है।”
उसके बाद मंजू वर्मा ने प्रेस वार्ता में ‘मेरा पति बेकसूर है’ की राग अलापने के बाद साफ शब्दों में कहा कि इस मामले में एक सफेदपोश-रसुखदार को बचाने के लिये उनके और उनके पति के खिलाफ षंडयंत्र रचा गया है।
इस दौरान मंजू वर्मा ने कहा, “मैं सामाजिक जीवन में हूं लिहाजा लोगों से बात करनी होती है। सिर्फ फोन पर बात होने से मेरे पति दोषी साबित नहीं होते। मुझे सीबीआई, हाईकोर्ट पर पूरा विश्वास है और भरोसा है कि जांच में मेरे पति निर्दोष साबित होंगे।”
इसके पहले मंजू वर्मा ने कहा था कि वे पिछड़ी जाति के कुशवाहा जाति से आती हैं, इसलिये उनके पति को निशाना बनाया जा रहा है। अगर उन्हें छेड़ा गया तो उनके जाति के लोग वर्दाश्त नहीं करेगें।
बता दें कि गत 26 जुलाई को अपने पति की इसमें संलिप्तता से इनकार किया था और उन पर लगाये जा रहे आरोप को आधारहीन बताते हुए कहा था कि आरोप सिद्ध होने पर वे मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगी।
मंजू ने पटना स्थित अपने सरकारी आवास पर गत 26 जुलाई को पत्रकारों को संबोधित करते हुए मुजफ्फरपुर बालिका गृह के गिरफ्तार सीपीओ रवि कुमार रौशन की पत्नी द्वारा लगाये इस आरोप को निराधार बताया था कि उनके पति चंद्रशेखर वर्मा बालिका गृह में अक्सर जाया करते थे।
मंजू वर्मा ने अपने पति को निर्दोष बताते हुए कहा था कि वह अपने पति पर आरोप सिद्ध होने पर मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा देने के साथ राजनीतिक और सामाजिक जीवन से सन्यास ले लेंगी। वे पिछड़ी और कमजोर जाति से हैं इसलिए उनके पति को मोहरा बनाया जा रहा है।
इस मामले में जेल में बंद बालिका गृह के सीपीओ रवि कुमार रौशन की पत्नी द्वारा समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा पर उक्त बालिका गृह में अक्सर जाने का गत 25 जुलाई को आरोप लगाया था।
उसके बाद विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मंजू वर्मा को मंत्री पद से बर्खास्त करने और उनके पति को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ किए जाने की मांग की थी।
रवि की पत्नी ने मंजू वर्मा के पति पर बालिका गृह में अपने साथ जाने वाले अधिकारियों को बाहर छोड़कर उसके भीतर जाने का आरोप लगाते हुए बताया था कि वहां की लड़कियां उन्हें नेताजी के तौर जानती थीं।
मंजू वर्मा ने अपने पति के अपने साथ फरवरी 2016 में उक्त बालिका गृह जाने की बात स्वीकार करते हुए कहा था कि इस मामले के उजागर हुए करीब एक महीना बीत चुका है, लेकिन जिला प्रशासन और पुलिस की जांच के क्रम में इस तरह का आरोप किसी पर नहीं लगा।
बहरहाल, खुले प्रेस वार्ता में इस्तीफा दे चुकी मंजू वर्मा द्वारा बड़े रसुखदार-सफेदपोश को बचाने के लिये उन्हें और उनके पति को फंसाने के षंडयंत्र से एक नया धमाका हुआ है कि आखिर कौन ऐसा बड़ा शख्स है, जिसके आगे कैबिनेट मंत्री को झुकना पड़ा। इसका खुलासा भी मंत्री को करनी चाहिये, क्योंकि मंत्री से उपर उप मुख्यमंत्री- मुख्यमंत्री का ही प्रभाव माना जाता है।