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    Sunday, December 22, 2024
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      भू-माफियाओं के हाथ का यूं खिलौना बने नालंदा जिला परिषद अभियंता !

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। बिहार सूबे के मुखिया नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में हालिया पदास्थापित जिला परिषद के अभियंता के.एन.सिंह भू-माफियाओं के हाथ का खिलौना बने प्रतीत हो रहे हैं।

      अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन-धार्मिक नगरी राजगीर में थाना के बगल में अवस्थित जिला परिषद की भूमि को बिना कोई जांच-पड़ताल किये जिस तरह के पत्र राजगीर एसडीओ संजय कुमार को भेजी थी, उससे साफ स्पष्ट है कि उन्होंने भू-माफियाओं के हित में सरकारी नियमों-अधिनियमों की सरेआम धज्जियां उड़ा कर रख दी।rajgir gov land crime by admin 0

      नालंदा जिला परिषद अभियंता ने अपने कार्यालय पत्रांक- 622/जि.अ. दिनांक- 10.08.2018 के जरिये मौजा राजगीर खाता संख्या-234, खसरा संख्या-5214 के सीमांकन विषयगत राजगीर अंचलाधिकारी को प्रेषित पत्र में लिखा है कि भू-अर्जन अभिलेख केस संख्या-10/12-13 में मौजा राजगीर थाना संख्या-485, खसरा संख्या-5214 में मात्र 2.5 डीसमिल जमीन अधिग्रहित किया गया है। जिसकी सीमांकण प्रति आपको इस कार्यालय के ज्ञापांक-620 दिनांक- 08.08.2018 द्वारा उपलब्ध करा दिया गया है।

      जिला परिषद अभियंता ने आगे लिखा है कि श्री गौरव कुमार, पिता- स्व. कारु सिंह, जो प्लॉट संख्या-5214 में भू-अर्जित 2.5 डीसमिल जमीन दक्षिण तरफ छोड़कर शेष जमीन में किसी तरह का निर्माण करते हैं तो कोई अतिक्रमण वाद की कार्रवाई नहीं की जाय।

      बता दें कि इसके पूर्व राजगीर अंचाधिकारी मृत्युंजय कुमार ने अपने कार्यालय पत्रांक-1040 दिनांक- 09.08.2018 के जरिये विषयगत मौजा राजगीर थाना संख्या-485 खेसरा संख्या-5214 का सीमांकन एवं प्रसंगः जिला परिषद अभियंता का ज्ञापांक 620 दिनांक- 08.08.2018 के संबंध में साफ लिखा था कि विषयगत प्रसांगिक पत्र के आलोक में मौजा राजगीर थाना संख्या 485 में स्थानीय राजस्व कर्मचारी से जांच कराई गयी।rajgir gov land crime by admin 1 1

      जांचेपरांत पाया गया कि गौरव कुमार पिता स्व. कारु सिंह साकिन बंगालीपाड़ा के द्वारा खाता संख्या-234 खेसरा संख्या 5214 पक्का चाहरदीवारी दिनांक- 09.08.2018 को दे रहे हैं। निरीक्षण के उपरांत कार्यालय में उपलब्ध संचिका का अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि जिला परिषद अभियंता कार्यालय का पत्रांक 93 दिनांक 16.11.2017 में मौजा राजगीर खाता संख्या 234 खेसरा 5241 अराजी 45 डिसमिल जमीन भू-अर्जन केस संख्या-10/12-13 के नक्शा के अनुसार खेसरा 5214 पूरा भू-अर्जित है।

      जिला परिषद अभियंता का पत्रांक 144/ दिनांक-23.02.2018 के पत्र में जिला परिषद की जमीन राजगीर थाना से सटे उत्तर पर किये गये अतिक्रमित भूमि 17.15 डीसमिल चहरदीवारी पक्का मकान दर्ज है।

      जिला परिषद अभियंता का ज्ञापांक 620 दिनांक 08.08.2018 के आलोक में खाता संख्या 234 खेसरा संख्या 5214 का सीमांकण अनुसार कुल रकबा 1.5 डीसमिल भूमि भू-अर्जित है।

      कार्यालय अंचलाधिकारी के पत्रांक 841 दिनांक- 26.06.2018 के आलोक में खाता संख्या 234 खेसरा संख्या 5214 के आलोक में राजगीर भूमि उप समाहर्ता को सूचित किया गया था कि में मौजा राजगीर खाता संख्या 234 खेसरा 5214 पर श्री गौरव कुमार पिता स्व. कारु सिंह द्वारा भूमि पर चाहरदीवारी दिया जा रहा था, जिस पर रोक लगाते हुये इसकी सूचना राजगीर थाना को भी दिया गया है।

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      सीओ मृत्युजंय कुमार ने अपने पत्र में जिला परिषद अभियंता को साफ लिखा था कि आपके कार्यालय के द्वारा अलग-अलग पत्रांक एवं अलग-अलग दिनांक के द्वारा उपलब्ध कराये गये पत्र में भिन्न-भिन्न रकबा पर अतिक्रमण दर्शाया गया है। जिसके कारण असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इससे इतर आपका पत्रांक 114 दिनांक 23.02.2018 में अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई हेतु भी लिखा गया है।

      श्री कुमार ने जिला परिषद अभियंता से पूछा था कि आखिर वर्तमान स्थिति में यह स्पष्ट करेगें कि श्री गौरव कुमार पिता स्व. कारु सिंह पर अतिक्रमण वाद की कार्रवाई कितने रकवा भूमि पर की जाये।

      अब सबाल उठता है कि जब राजगीर अंचलाधिकारी ने  जिला परिषद द्वारा 47 डिसमिल जमीन अर्जित किये जाने को लेकर विरोधाभाषी निर्देशों को स्पष्ट करने को पत्र लिखा तो फिर जिला परिषद अभियंता ने पुनः उसी पत्र को प्रेषित क्यों कर दिया, जिसके आलोक में राजगीर स्थित जिला परिषद की जमीन पर अवैध कब्जा को लेकर एक तरफ हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा और दूसरी तरफ भू-माफियाओं द्वारा काफी तेजी से निर्माण होता रहा।

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      इस संबंध में जिला परिषद अभियंता के. एन. सिंह ने एक्सपर्ट मीडिया न्यूज को बताया कि उनके पास उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार संबंधित रकबा में जिला परिषद की 2.5 डिसमिल भूमि होने के प्रमाण हैं। हालांकि उन्होंने उन दस्तावेजों की सत्यता पर खुद भी संदेह प्रकट करते दिखे और मामले की गहराई से पड़ताल किये जाने की आवश्यकता जताई ।

      फिर सबाल उठता है कि जब जिला परिषद के अभियंता खुद असंतुष्ट थे तो फिर इस तरह से अस्पष्ट पत्र प्रेषित करने के पिछे उनकी मानसिकता क्या रही होगी। इसका बेहतर  जबाब जिला अभियंता के एन सिंह ही दे सकते हैं।

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज की पड़ताल के दौरान राजगीर नगर पंचायत या अनुमंडल स्तर के किसी भी अधिकारी-कर्मचारी या आम जन ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि जिला परिषद की भूमि पर कोई सर्वेयर-अमीन आकर नापी या सीमांकन का कार्य किया है। ऐसे में सिर्फ टेबुल पर ही  भू-माफिया-दलाल के प्रभाव में आकर नक्शा बना सीधे देने और उस पत्र को अनुमंडल पदाधिकारी कार्यालय को भेजने के पिछे का असली खेल का राज क्या है ?

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