सबाल उठता है कि जब किसी भी समुदाय या व्यक्ति विशेष ने जुलूस को लेकर कोई आपत्ति नहीं की तो फिर पुलिस ने शांतिपूर्वक बढ़ते जुलूस को अचानक किस आशंका से रोक दिया। जिससे लोग आक्रोशित हो उठे। समूचा प्रशासनिक महकमा तात्कालिक उठे उस आक्रोश वुद्धिमता से ठंढा करने के बजाय जुलूस पर खुद ‘समुदाय विशेष’ बन टूट पड़े?
खबर है कि रामनवमीं की शोभायात्र निकालने के दौरान पुलिस और पब्लिक के बीच हुई नोकझोंक के बाद जमकर रोड़ेबाजी हुई। इस घटना में कुछ पुलिस वाले भी चोटिल हो गए।
उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने पहले आंसू गैस छोड़े उसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। इससे दर्जनों लोगों को चोटें आई।
यह सब घटनास्थल पर मौजूद डीआइजी राजेश कुमार, डीएम डॉ त्यागराजन एसएम, एसपी सुधीर कुमार पोरिका के अलावा कई प्रशासनिक व पुलिस पदाधिकारी की मौजूदगी में हुई।
मीडियाई खबरों के मुताबिक कल यानि बुधवार को रामनवमी के जुलूस में आसपास के गांवों से हजारों लोग जुटे थे। स्थानीय श्याम सरोबर ठाकुरबाड़ी से बजरंग दल, भाजपा व अन्य कई संगठनों के लोगों ने बारह बजे के आसपास जुलूस निकाला।
जुलूस जैसे ही बाइपास पहुंची तो पुलिस की मौजूदगी में ही शोभा यात्र में शामिल लोगों ने बैरियर को उठा कर आगे बढ़ गए। कड़ाह रोड में पहले से ही पुलिस बलों की पर्याप्त संख्या बल में तैनाती की गई थी।
बैरियर तोड़कर आगे बढ़ने पर पुलिस ने लोगों को रोक दिया। इस बीच शरारती तत्वों ने पुलिस पर पत्थर फेंक दिया। जिसके बाद पुलिस ने जुलूस में शामिल लोगों पर लाठीचार्ज कर दिया। इस घटना के बाद भगदड़ मच गई।
उसके बाद जुलूस में शामिल लोगों ने पत्थर चलाना शुरू कर दिया। इस घटना में कुछ पुलिस कर्मी चोटिल हो गए। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एक दर्जन के आसपास आंसू गैस के गोले छोड़े।
आंसू गैस छोड़ने के उपरांत पुलिस ने जुलूस में शामिल लोगों को खदेड़कर पीटना शुरू कर दिया। इस बीच लोग जान बचाकर भागने लगे। पूरा इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो गया।
उधर आक्रोशितों ने श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन को करीब एक घंटे तक सिलाव रेलवे स्टेशन पर रोक हाउस पाइप लेकर भाग गए। जिसके कारण ट्रेन करीब एक घंटे तक रूकी रही। बाद में ट्रेन का परिचालन शुरू कराया गया।
फिलहाल इस घटना के बाद लोगों में दहशत के साथ भीतर से आक्रोश भी पनप रहा है। यह आक्रोश किसी समुदाय या गुट विशेष के प्रति नहीं अपितु पुलिस-प्रशासन के प्रति है।
इसके पूर्व सिलाव के हैदरगंज कड़ाह में रामनवमी के अवसर पर शोभा यात्रा निकालने में एक बैठक हुई थी। इस बैठक में जिलाधिकारी एमएस त्याग राजन, पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार पोरिका, राजगीर अनुमंडलाधिकारी ज्योति नाथ सहदेव, आरक्षी उपाधीक्षक संजय कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी अलख निरंजन, अंचलाधिकारी शैलेश कुमार ने सिलाव थाने में ग्रामीणों के साथ बैठक की।
इस बैठक में जिलाधिकारी ने कहा था कि किसी भी कीमत पर नया लाइसेंस नहीं दिया जायेगा। अगर दोनों समुदाय के लोग आपस में मिलकर बिना विवाद के रामनवमी का शोभा यात्रा निकालना चाहते हैं तो प्रशासन को कोई आपत्ति नहीं है।
इसके बाद हैदरगंज कड़ाह के दोनों समुदाय ने मिलकर निर्णय लिया कि 28 मार्च को निकलने वाली शोभा यात्रा को गांव के गणमान्य लोग, प्रशासन, दोनों समुदाय के दस-दस लोग मिलकर शोभा यात्रा का रथ निकालेंगे और वही शोभा यात्रा सिलाव बाजार से निकलने वाली भव्य शोभा यात्रा में शामिल हो जायेगी।
अब सबाल उठता है कि जब किसी भी समुदाय या व्यक्ति विशेष ने जुलूस को लेकर कोई आपत्ति नहीं की तो फिर पुलिस ने शांतिपूर्वक बढ़ते जुलूस को अचानक किस आशंका से रोक दिया। जिससे लोग आक्रोशित हो उठे।
समूचा प्रशासनिक महकमा तात्कालिक उठे उस आक्रोश वुद्धिमता से ठंढा करने के बजाय जुलूस पर खुद ‘समुदाय विशेष’ बन टूट पड़े?
जबकि जिस समुदाय को लेकर आशंका थी, वे जुलूस के हर संभव सहयोग को तत्पर दिखे।
इन सबाल का जबाव प्रशासनिक स्तर के किसी महकमे के पास नहीं है।
हो सकता है कि जुलूस संबंधित बैठक में जो तय किये गये थे कि गांव के गणमान्य लोग, प्रशासन, दोनों समुदाय के दस-दस लोग मिलकर शोभा यात्रा का रथ निकालेंगे और वही शोभा यात्रा सिलाव बाजार से निकलने वाली भव्य शोभा यात्रा में शामिल हो जायेगी। इस आशय के विपरित अधिक लोग जुट गये होगें।
लेकिन इसका भी समाधान यह नहीं है कि प्रशासनिक महकमा उससे सीधे भिड़ जाये। प्रयाप्त प्रशासनिक व्यवस्था के बल उससे शांतिपूर्ण तरीके से निपटा जा सकता है।
लेकिन पूरे मामले में उसका चेहरा जिस तरीके से सामने आया है, उसकी कार्य कुशलता पर सबाल खड़ा करता है और हिटलरशाही मानसिकता उजागर करती है।