वेशक यात्रियों की जान पर बसों का संचालन हो रहा है । बाबजूद जिला प्रशासन की तंद्रा भंग नही होती।बसों को जिस मानक पर परमिट दी जाती है उसका जरा सा भी पालन नहीं हो रहा है । कहीं खटारा बसे चल रही है तो कही क्षमता से अधिक सवारी लादे जाते हैं। बस की छतों पर भी यात्री बैठे देखे जा सकते हैं ।
बसों में सबसे पहले फर्सट एड की सुविधा होनी चाहिए लेकिन एक भी बस में इसकी सुविधा नही है।खिड़की दरवाजे ऐसे की हालत इतनी खस्ता होती है कि कुछ कहना नही।जर्जर बसों पर जान हथेली लेकर यात्री यात्रा को विवश है।
निजी बस संचालक परमिट के नाम पर लूट मचाए हुए हैं ।उनकी चांदी कट रही है।इनकी मनमानी और दुस्साहस इतना बढ़ा हुआ है कि परमिट दो बस की होती है लेकिन उसी परमिट पर दो से ज्यादा बसे चलाते आ रहे हैं ।
सबसे चौंकाने वाली बात यह कि सभी बसें एक ही नम्बर से चलते हैं ।जिससे प्रशासन भी चकमा खा जाता है ।उधर बस मालिक विभाग की आंखों में धूल झोंक मोटी कमाई कर रहे हैं । लेकिन यात्रियों को बस में किसी प्रकार की सुविधा नही मिलती है।उपर से आए दिन बस संचालकों और यात्रियों में बस भाड़े और सीट को लेकर किचकिच और मारपीट की घटनाएँ आम हो गई है ।
जिला मुख्यालय बिहारशरीफ बस डीपो से पटना, गया ,नवादा, शेखपुरा और झारखंड की बसें खुलती है ।सभी बसों का हाल कमोबेश एक ही जैसा है।बस में निर्धारित सीट होती है। लेकिन बसों में यात्रियों को भेड़ बकरियों की तरह ठूसकर भरा जा रहा है ।
हरनौत बस हादसे के बाद पटना प्रशासन तथा नालंदा डीएम ने बाबा रथ बस के परिचालन पर रोक लगा दी है। साथ ही बस मालिक और चालक पर केस दर्ज करने का आदेश दिया गया है ।
पटना के डीएम संजय कुमार अग्रवाल ने “बाबा ट्रेवल्स”का पटना से परिचालित होने वाले बसों के परिचालन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। उन्होंने लोक व्यवस्था एवं सुरक्षा के मद्देनजर आपदा प्रबंधन के प्रावधानों के तहत लिया यह निर्णय लिया है।डीएम ने
बाबा ट्रेवल के वाहनों का परमिट निलंबित करने हेतु राज्य परिवहन आयुक्त तथा प्रमंडलीय आयुक्त से अनुशंसा की है। इसके अलावा बसों एवं अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट (जिसमें लोगो का परिचालन होता है) में ज्वलनशील पदार्थो के परिवहन पर लगाई रोक। उन्होंने कहा है कि आदेश का अनुपालन नहीं करने वालो के विरुद्ध होगी कठोर कार्रवाई। पटना से परिचालित होने वाली सभी बसों की जांच होगी। अग्नि सुरक्षा के साथ- साथ आकस्मिक व्यवस्था तथा बसों की मैकेनिकल स्थिति कि भी की जायेगी जाँच। यह भी देखा जायेगा कि ड्राइवर एवं खलासी ,आपदा अथवा आकस्मिकता की स्थिति में रिस्पांस हेतु प्रशिक्षित हैं अथवा नहीं।
फिलहाल देखना है कि पटना प्रशासन की यह कदम कितना कारगर साबित होगा तथा इस आदेश का पालन कितना होता है।या फिर यह आदेश कही ठंडे बस्ते में न चला जाए।