“वेशक विकास पागल हो गई है या फिर वह हाई लेवल माइग्रेन का शिकार है। बिहार के सीएम नीतिश कुमार के गृह जिले नालंदा की बात तो और भी निराली है। सुशासन और जीरो टॉलरेंस की नीति के सरकारी दावे-प्रतिदावे की सच्चाई की व्याख्या जितनी जरुरी है, उतना ही विकास की।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ( चन्द्रकांत सिंह / मुकेश भारतीय। ) सीएम नीतिश कुमार नालंदा जिले के हिलसा अनुमंडल के एकगंरसराय प्रखंड के चम्हेड़ा गांव पहुंच रहे हैं। इस गांव को सरकारी तौर पर आदर्श गांव घोषित किया जाना है। इस मुहिम में सीएम के कार्यक्रम के ठीक पहले पूरा सरकारी महकमा-दल जिस कदर पिल पड़ा है, वे कई तरह के सबाल खड़ा करते हैं।
आखिर किसी गांव का विकास करने का यह कैसा तरीका है? किसी राजनेता द्वारा विकास पुरुष बनने और चेहरा चमकाने की ऐसी गलत परंपरा की शुरुआत गांवों के सर्वांगिन विकास पर एक बड़ा कुठाराघात से अधिक कुछ नहीं कहा जा सकता।
नालंदा जिले में सीएम सात निश्चय योजना लागू है। अगर यहां के अधिकारी और जनप्रतिनिधि चाहते तो हर गांव की सूरत कुछ और दिखती। चम्हेड़ा गांव उससे अलग नहीं होती। रातोरात विकास करने की जरुरत नहीं पड़ती। सीएम सरकारी मंच से बोलते कि “देखिये यहां के गांवों की सुधरी हालत को। विकास की समीक्षा कीजिये। हमारे दावे सच जानिये” तो बात कुछ और होती।
लेकिन, अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की अचानक बढ़ी आवाजाही के बीच हो रही तैयारी ही एकंगरसराय के चम्हेड़ा गांव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आने का एहसास करा दे रहा है। अनुमंडल मुख्यालय से करीब बारह किमी दूर बसा है चेम्हड़ा गांव। कुर्मी जाति बहुल्य इस गांव की आबादी करीब बारह सौ बताई जाती है।
इस गांव में कुर्मी के अलावा मांझी, पासवान, धोबी, ब्राह्मण, कुम्हार और मुस्मिल जाति के लोग भी रहते हैं। इस गांव तक पहुंचने के लिए हिलसा-एकंगरसराय मुख्यमार्ग के कोशियावां से पूरब की तरफ पक्की सड़क है। इस गांव के ठीक आसपास ओरियावां और लोदीपुर गांव है।
बाबजूद इस गांव को लोग पहले चम्हेड़ा-रसलपुर गांव के नाम से जानते थे, लेकिन हाल के दिनों में यह गांव अब सीधे चम्हेड़ा के नाम से जाना जाने लगा है। इसका मुख्य वजह जिला प्रशासन द्वारा इस गांव को आदर्श ग्राम घोषित किए जाने तथा गांव में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम तय हो जाना बताया जा रहा है।
गांव में अचानक पदाधिकारियों की आवाजाही बढ़ गई। सभी विभाग अपने-अपने स्तर से विकास कार्यों को पूरा करने में जुट गए। गांव की ओर जाने वाली मुख्य सड़क के किनारे न केवल नये-नये पौधे लगा उसे सुरक्षित किया जा रहा, बल्कि पुराने पेड़ों की रंगाई भी हो रही है।
गांव से होकर गुजरने वाली सड़कों का ढलाई हो रही है। कहीं ईंट सोलिंग का काम जारी है। सड़क के किनारे नालों का निर्माण हो रहा है। गांव की गलियों का भी कायाकल्प हो रहा है। सभी गलियों को पक्कीकरण किया जा रहा है। आवश्यकतानुसार नाले का भी निर्माण किया जा रहा है। नल-जल योजना के तहत हर घर में पाईप के जरिए पानी भी पहुंचायी जा रही है।
गांव के लोगों का पारिवारिक सूची तैयार किया जा रहा है। परिवार की संख्या के मुताबिक शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है। मवेशियों को रखने के लिए सामुदायिक शेड का निर्माण कराया जा रहा है। हर-घर बिजली योजना के तहत लोगों के घरों में बिजली का कन्केशन दिया जा रहा है।
आदर्श ग्राम के रुप में चर्चित चम्हेड़ा गांव को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने की प्रशासनिक तैयारी चल रही है। इसके लिए गांव में कचरा प्रबंधन केन्द्र बनाया जा रहा है।
मनरेगा के तहत बन रहे इस केन्द्र का संचालन जीविका से जुड़ी महिलाओं के हाथों में होगी। केन्द्र निर्माण कार्य में तैनात खुशबू कुमारी ने बतायी कि इस कार्य के लिए जीविका से जुड़ी चौदह महिलाओं का विशेष तौर पर ट्रेंड किया गया है। कचरा प्रबंधन का मुख्य मकसद गांव को स्वच्छ रखने के साथ-साथ कचड़े का सही उपयोग में लाना है।
हालांकि अचानक बढ़े चहल-पहल से चम्हेड़ा गांव के लोग काफी खुश हैं। कनकनाती ठंड के बीच सूर्य की तपिश में बैठकर गांव के लिए अपनी नग्न आंखों से विकास कायों की गति देख काफी अहलादित हैं।
ग्रामीण कपिल चौधरी, अरविंद प्रसाद, चरित्र चौधरी, मुसाफिर रजक और अशोक प्रसाद की मानें तो इस तरह तेजी से कार्य होते पहले कभी नहीं देखा।
उक्त ग्रामीणों का कहना है कि सीएम नीतीश के कार्यक्रम से जहां गांव का कायाकल्प हुआ वहीं हमसबों का मान-सम्मान भी बढ़ गया।
सीएम नीतीश कुमार के प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर चम्हेड़ा गांव में किए जा रहे कार्यों के पल-पल की मॉनेटरिंग अधिकारी कर रहे हैं। हर काम के लिए अधिकारियों को जिम्मेवारी सौंप दी गई।
समय-समय पर जिलाधिकारी डॉ त्यागरंजन एस मनोहरराम के साथ-साथ एसडीओ सृष्टि राज सिन्हा न केवल अधिकारियों के साथ समीक्षा करते बल्कि चम्हेड़ा गांव पहुंच कर निर्माण कार्यों को भी देखते हैं।
चम्हेड़ा गांव के बीचों-बीच सीएम नीतीश कुमार की सभा होगी। लंबी-चौड़ी सरकारी जमीन के पश्चिम-उत्तर तरफ सीएम के लिए मंच का निर्माण किया जा रहा। जमीन में पड़े गढ्ढों कों मिट्टी से भरा जा रहा है।
मंच की सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की जा रही है। सीएम गांव के सटे पश्चिम हेलीपैड पर उतरेंगे और कारकेट से सीधे मंच पर पहुंचेंगे।
बहरहाल, सीएम के कार्यक्रम के मद्देनजर जिस तरह के विकास कर सरकारी राशि बहाये जा रहे हैं, उसकी क्या जरुरत थी। दरअसल नीतिश जी भलि-भांति जान गये हैं कि राजनीतिक तौर पर नालंदा के उस ईलाके में उनकी पैठ काफी कमजोर हो चुकी है। वे ऐसे कार्यक्रमों के जरिये विकास का आयना दिखाना चाहते हैं। यह दीगर बात है कि गांव विशेष वाले भले खुश हो जायें, लेकिन जेबार वाले खिल्ली ही अधिक उड़ाते नजर आते हैं।