“करीब दो माह पहले सड़क की मरम्मती का काम हुआ और एक नया पुलिया भी बना। मरम्मती का काम आरईओ द्वारा एफडीआर से कराया गया। मरम्मती कार्य में करीब पच्चीस लाख रुपये खर्च हुए। इन दावों के ठीक विपरीत जेई सड़क में सिर्फ करीब एक-डेढ लाख की लागत से पुलिया निर्माण की ही बात स्वीकारते हैं,अन्य मरम्मती का नहीं।”
एक लंबे अरसे से उपेक्षित इस सड़क का जीर्णोद्धार एफडीआर मद से ग्रामीण कार्य विभाग (आरईओ) द्वारा करवाया गया। सड़क मरम्मती में तकरीबन पच्चीस लाख रुपये खर्च किए जाने की बात बतायी जाती है। पटवन की सुविधा तथा अत्यधिक पानी के डिस्चार्ज के लिए एक नया पुलिया भी बनाया गया।
पिछले दिनों लोकाईन का पानी जब इधर-उधर फैला तो कुछ पानी उक्त सड़क के पास होते हुए भी गुजरा। इधर लगातार हो रही रिमझिम पानी के बीच सड़क के पास के पईन से तेजधार में गुजर रहा पानी निर्माण कार्य में बरती गई लापरवाही को उजागर कर दिया। रिमझिम बारिश से जहां सड़कों में कहीं दरार हो गया तो कहीं मिट्टी ही खिसक गई।
इतना ही नहीं सुविधा के लिए बनाई गई पुलिया का भी ढह गया। इधर सड़क में दरार होने, मिट्टी धंसने तथा पुलिया के ढह जाने के बाद लोगों की आवाजाही परेशानी का सबब बन गया।
ग्रामीण राजेश कुमार, धर्मवीर कुमार एवं सुधीर प्रकाश की मानें तो सरहजियापर गांव जाने वाली सड़क बहुत जीर्ण-शीर्ण थी। कुछ दिन पहले ही सड़क की मरम्मती हुई तो आवाजाही करना आसान हुआ। हल्की बारिश में सड़क की स्थिति और बदतर हो गई। सड़क में दरार होने, मिट्टी के खिसकने तथा पुलिया के ढह जाने से आवाजाही मुश्किल हो गया।
डीएम डॉ त्यागरंजन एस मनोहरराम ने लोहंडा-सरहजियापर सड़क की बदहाल स्थिति को काफी गंभीरता से लिया। बताया जाता है कि डीएम ने आरईओ के अधिकारियों को तत्काल सड़क की मरम्मती कर आवाजाही बहाल कराने का हुक्म दिया है। डीएम के हुक्म का असर भी दिखा। आरईओ द्वारा आवाजाही बहाल करने की कवायद भी शुरु कर दिया गया।
जीर्ण-शीर्ण रहे लोहंडा-सरहजियापर सड़क की मरम्मती का कार्य मुफ्त में हुआ है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि, दावे-प्रतिदावे से उभर कर आ रहे तथ्यों बता रहा है। सड़क में जगह-जगह हुए दरार, मिट्टी खिसकने और पुल ढहने के बाद उठ रहे सवालों के बीच यह तथ्य सामने आया है।
ग्रामीणों ने बताया कि करीब दो माह पहले सड़क की मरम्मती का काम हुआ और एक नया पुलिया भी बना। जानकार बताते हैं मरम्मती का काम आरईओ द्वारा एफडीआर से कराया गया। मरम्मती कार्य में करीब पच्चीस लाख रुपये खर्च हुए।
इन दावों के ठीक विपरीत जेई जेपी सिंह का जबाब है। जेई श्री सिंह सड़क में सिर्फ करीब एक-डेढ लाख की लागत से पुलिया निर्माण की ही बात स्वीकारते हैं अन्य मरम्मती का नहीं।
जेई बताते हैं कि नवनिर्मित पुलिया बेहतर ढंग से बनवाया गया था। ग्रामीणों द्वारा पटवन के लिए पानी के स्टॉरिंग से पुलिया का एक हिस्सा ढह गया।
अब सवाल उठता है कि जब सरकारी स्तर पर सिर्फ पुलिया ही निर्माण हुआ तो सड़क का मरम्मती कार्य कौन करवाया? किसने मिट्टी भरवाई और किसने कालीकरण कराने का रस्म पूरा किया? क्या ऐसा अलाप अब बचने और बचाने के लिए किया जा रहा है।
लोगों के मन में घूम रहे इस तरह के यक्ष प्रश्न का जबाब कौन देगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल हालात और लोगों की जुवानी आवाज के अलावे सड़क के पास ऐसा कुछ नहीं दिखा जिससे यह कहा जाए कि काम किसने करवाया।