एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (चन्द्रकांत सिंह)। नालंदा जिले के हिलसा में पौने दो करोड़ रुपये मूल्य के चावल का घोटाला हुआ। इसका खुलासा तब हुआ जब जिला स्तरीय जांच टीम ने गोदामों की बारिकी से जांच की।
इस मामले में शुक्रवार को हिलसा थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। हिलसा के बीएओ-सह-सहायक गोदाम प्रभारी शंकर राम द्वारा दर्ज कराए गए एफआईआर में गोदाम में प्रतिनियुक्त कार्यपालक सहायक संजीव कुमार को नामजद अभियुक्त बनाया गया है।
एफआईआर के मुताबिक हिलसा में अनुमंडल स्तर पर चावल भंडारण के लिए हिलसा प्रखंड के टांड़पर, कामता, यारपुर एवं शहर के विस्कोमान गोदाम को केन्द्र बनाया गया था। इन्हीं गोदामों में मीलर द्वारा चावल जमा किया जाता था। मिलर द्वारा जमा चावल में से ही राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) के निर्गमादेश के आधार पर ही चावल निर्गत किया जाता था।
इन केन्द्रों पर एसएफसी द्वारा प्रतिनियुक्त कर्मी विक्रम कुमार एवं कार्यपालक सहायक (ईए) संजीव कुमार ही चावल का आगत और निर्गत करते थे। आगत-निर्गत संबंधी कागजातों पर कर्मी विक्रम और संजीव के हस्ताक्षर के बाद बतौर एजीएम प्रतिनियुक्त बीएओ श्री राम भी हस्ताक्षर बनाते रहे।
पिछले वर्ष के दिसम्बर माह में उक्त गोदामों में चावल की अद्यतन स्थिति की जांच को जिला स्तरीय टीम पहुंची। टीम द्वारा एक-एक सभी चारों गोदामों की जांच बारीकी से किया गया।
इस दौरान जांच टीम ने गोदाम में चावल के बोरों की संख्या पाई। जांच टीम की रिपोर्ट से सकते में पड़े बतौर एजीएम प्रतिनियुक्त बीएओ श्री राम गोदाम पर प्रतिनियुक्त एसएफसी कर्मी विक्रम और संजीव से अद्यतन रिपोर्ट मांगी। इन दोंनो कर्मियों द्वारा तैयार अद्यतन रिपोर्ट देख बीएओ श्री राम पेशोपेश में पड़ गए।
रिपोर्ट के मुताबिक टांड़पर पर स्थित गोदाम में एक हजार सात सौ क्विंटल, यारपुर स्थित गोदाम में चार हजार क्विंटल, तथा कामता स्थित गोदाम में एक हजार तीन सौ क्विंटल चावल कम पाया गया। गोदाम में कम पाए गए कुल चावलों की कीमत एक करोड़ पचहत्तर लाख रुपये बतायी गयी है।
एफआईआर के मुताबिक उक्त गोदामों का चाभी एसएफसी कर्मी संजीव कुमार के पास रहता था। घोटाले के उजागर होने के बाद संजीव गोदामों की चाभी बीएओ श्री राम के पास फेंक दिया। चाभी फेंकने का कारण पूछे जाने पर संजीव न केवल चावल बेच देने की बात कह अभद्र व्यवहार किया गया बल्कि केश करने पर बीएओ श्री राम को हत्या करने तक की धमकी भी दे दी।
थानाध्यक्ष रत्न किशोर झा ने इसकी पुष्टि करते हुए बताये कि मामले की गहराई से छानबीन शुरु कर दी गई। जांच में आए तथ्यों के आधार पर दोषियों के खिलाफ विधि-सम्मत कार्रवाई होगी।
चावल घोटाले में कई सफेदपोश भी हैं शामिल!
तकरीबन पौन दो करोड़ के चावल घोटाले में पर्दे के पीछे से कई सफेदपोश भी शामिल है? एफआईआर दर्ज होते ही इस तरह के आशंकाओं को लेकर तरह-तरह की चर्चा होने लगी।
चर्चा की मानें तो इस घोटाले में भले ही एक छोटे कर्मचारी को बलि का बकरा बना दिया, लेकिन हकीकत कुछ और ही है? चर्चा है कि घोटाले के इस खेल की बुनियाद धानक्रय शुरु होने के साथ ही रख दी गई थी।
चर्चा है कि कुछेक को छोड़ अधिकांश क्रय केन्द्र द्वारा धान की खरीद कर मिलर को भेजे जाने के बजाए ट्रक पर लदवाकर बड़े कारोबारी के यहां भेज दिया जाता था। उसके बदले दूसरे प्रदेश या फिर लोकल स्तर पर कालाबाजरी से चावल खरीद कर गोदाम में पहुंचाया जाता था।
चर्चा यह भी है कि कुछेक मिलर के कहने पर किसानों के नाम से सीधे क्रयकेन्द्र से चेक भी निर्गत कर दिया जाता था। इसके एवज में क्रय केन्द्र को मिलर द्वारा तय चावल दे देने का भरोसा दिया जाता है।
इस खेल में मिलर और क्रय केन्द्र का आपसी तालमेल बना रहता था। इस कारण हुए घपले घोटाले की आशंका को देख इस बार नियम में थोड़ा परिवर्तन किया गया। मिलर को सीधे एसएफसी को आपूर्ति करने के बजाए लोकल स्तर पर सरकार द्वारा चिन्हित गोदामों में धान के एवज में चावल पहुंचाने का आदेश दिया गया।
मिलरों के यहां से शत-प्रतिशत चावल का उठाव हो इसके लिए सरकारी स्तर पर कई प्रयास भी किया। इसके लिए चावल नहीं जमा करने वाले मिलरों को कार्रवाई का नोटिश भी थमाया गया।
प्रशासनिक कार्रवाई को भांप अवैध कमाई के आदि हो चुके सफेदपोशों ने ऐसा खेल खेला जिसकी उम्मीद भी किसी ने नहीं की। अगर जिला स्तरीय जांच टीम नहीं आती तो सब कुछ रफा-दफा हो जाता।
चर्चा है कि गोदाम में बिना चावल पहुंचे ही कर्मी द्वारा कागजी तौर आगत दिखा दिया जाता था। इसके लिए गोदाम के पिछले हिस्से और आगे के हिस्से में बोरे को इस तरह रखा जाता जिससे लगे कि गोदाम में चावल का बोरा ठसम-ठस भरा हुआ है। जबकि हकीकत ठीक इसके विपरीत होता था।
इसकी जानकारी धान के एवज में चावल आपूर्ति करने और गोदाम में चावल आगत करने वालों को ही रहता था। बहराल जो भी हो इस मामले में काली कमाई से चेहरा चमकाने वाले कौन-कौन सफेदपोश शामिल हैं इसका खुलासा पुलिसिया अनुसंधान पूर्ण होने के बाद ही होगा।
पहले भी हिलसा में हो चुका है चावल घोटाला, सीआईडी की देख-रेख में चार मिलरों की चल रही है जांच
हिलसा में चावल घोटला करने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी हिलसा में चावल घोटाला हो चुका है। इस मामले में छह मिलरों के खिलाफ थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई जा चुकी है।
दर्ज मामलों में से चार मिलरों के मामलों की जांच अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) देख-रेख में किया जा रहा है। वर्ष 2013 में चावल घोटाले के खुलासे के बाद जिला खाद्य निगम (एसएफसी) के तत्कालीन जिला प्रबंध द्वारा हिलसा थाने में तीन तथा करायपरशुराय थाने में एक मामला दर्ज कराया गया।
इस मामले में छह मिलरों को अभियुक्त बनाया गया। पुलिसिया अनुसंधान के बाद सभी मिलरों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र समर्पित कर दिया गया। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में सीआईडी मामले की समीक्षा की। तकरीबन एक करोड़ रुपये के घपले-घोटाले से जुड़े मिलरों की फिर से जांच शुरु की।
इस जांच की जद में हिलसा के एक तथा करायपरशुराय के तीन मिलर आ गए। इन मिलरों में तीन मिलरों की जांच का जिम्मा सीआईडी द्वारा हिलसा के इंसपेक्टर मदन प्रसाद सिंह तथा एक मामले की जांच का जिम्मा हिलसा के थानाध्यक्ष रत्न किशोर झा को सौंपी गई है।
इन मिलरों के खिलाफ ठोस साक्ष्य इक्कठा कर सजा दिलाने के लिए पुलिस गहराई से छानबीन शुरु कर दी। इन चारों मिलरों के घपले-घोटाले की राशि भी करीब दो करोड़ रुपये है।