उसमें लिखा है कि अगर कोई प्राइवेट निजी चार पहिया एवं दो पहिया वाहन पर पुलिस, प्रेस, सरपंच या अध्यक्ष का मोनोग्राम लिखाकर सड़क पर चल रहे हैं तो उस वाहन को नालंदा पुलिस अब जब्त करेगी। चाहे चौकीदार, थानाध्यक्ष, पत्रकार, मुखिया, सरपंच या अध्यक्ष क्यों ना हो, वे अपने निजी वाहन पर मोनोग्राम लिखकर नहीं चलेंगे।
यह सख्त आदेश बिहार के पुलिस महानिदेशक से मिले दिशा-निर्देश के आलोक मे नालंदा के पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष ने दिये है।
एसपी कुमार आशीष ने साफ किया कि सिर्फ थाना के जीप व अन्य वाहन पर पुलिस लिखा रहेगा। अगर कोई भी पुलिस कर्मी, चौकीदार या थानाध्यक्ष, पत्रकार, मुखिया, सरपंच, अध्यक्ष अपने निजी वाहन मोटर साइकिल, कार आदि पर अपना होलोग्राम लिखवायें हुए हैं तो उसे तुरंत मिटवा लें,अन्यथा वैसे सभी वाहन को जब्त कर लिया जायेगा। यह नियम प्रेस लिखे वाहनों पर भी लागू होगा।
नालंदा एसपी कुमार आशीष ने पुलिस उपाधीक्षक,पुलिस निरीक्षक एवं सभी थानाध्यक्षों को साफ तौर पर निर्देश देते हुए कहा कि अपने-अपने क्षेत्राधीन चेकिंग अभियान के दौरान पुलिस व प्रेस लिखे अनाधिकृत वाहनों को तुरंत जब्त करें।
उन्होंने कहा कि कई घटनाओं को ऐसे वाहन से ही अपराधियों गतिविधि को अंजाम दिया जाता है। जिस कारण सरकार व प्रशासन इस तरह की सख्ती पेश कर रही है।
नालंदा एसपी ने पुलिस पदाधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि नियमित वाहन जांच अभियान में तेजी लाए एवं इस तरह के वाहनों के विरुद्ध मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा-177 एवं 179 के तहत करवाई करना सुनिश्चित करे।
लेकिन यह है सच
सबाल उठता है कि नालंदा जिले के विभिन्न थानों में एसपी के उपरोक्त आदेश का कितना अनपालन किया गया है। इस आलोक में पुलिसकर्मी, चौकीदार, थानाध्यक्ष, पत्रकार, मुखिया, सरपंच, अध्यक्ष आदि के निजी वाहन मोटर साइकिल, कार आदि जब्त किये गये हैं।
एक सर्वेक्षण के अनुसार नालंदा जिले के चप्पे-चप्पे में पुलिस-प्रशासन से जुड़े लोग ही ऐसे आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। थाना से जुड़े चौकीदार हो या पुलिस जवान, वे स्वंय के वाहन तो दूर , उनके दूर-दूर के रिश्तेदार तक अपने वाहन के आगे-पिछे पुलिस लिख रौब झाड़ते कहीं भी दिख जाते हैं। बिहार के किसी भी क्षेत्र-कार्यालय में पुलिस के किसी भी स्तर पर जुड़े हों, उनके परिजन-रिश्तेदार पुलिस के होलोग्राम का जम कर दुरुपयोग करते हैं।
मीडिया यानि यानि आम तौर पर पत्रकारिता से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष जुड़े लोगों ने तो और भी गंध फैला रखी है। यहां हर थाना क्षेत्र स्तर पर दर्जनों लोग अपने वाहनों पर प्रेस लिख व्यवस्था और समाज में फड़फड़ाते फिरते हैं। ऐसे कई लोगों के बारे में कोई नहीं जानता कि वे किस समाचार पत्र-पत्रिका या न्यूज चैनल आदि से जुड़े हैं, लेकिन उनके पास जितने तरह के वाहन होते हैं, सब पर प्रेस का लेवल चिपका डालते हैं। जबकि प्रेस शब्द के इस्तेमाल का भी अपना एक अलग कानूनी स्वीकृति और अधिकार हैं, जिसकी मान्यता में प्रशासनिक महकमा का ही योगदान होता है। मीडिया से किसी भी रुप में जुड़े हर लोग प्रेस शब्द के इस्तेमाल करने के अधिकार नहीं रखते। ऐसे वाहनों की सूची एसडीओ कार्यालय और थानों में सूचीबद्ध होनी जरुरी है।
नालंदा जिले में राजनीतिक दलों के प्रखंड, पंचायत, वार्ड लेवल पर भी अपने पद-नाम के बड़े-बड़े बोर्ड लगाये घुमते हैं। जिला, प्रखंड, पंचायत के निर्वाचित लोगों ने इसे अपनी अलग पहचान का लेबल समझ लिया है। ऐसे लोग कहीं भी, कभी भी देखे जा सकते हैं।
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