एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (मुकेश भारतीय)। नालंदा के नगरनौसा प्रखंड के आदर्श पंचायत भूतहाखार के भदरु डीह गांव में बिजली विभाग में अनुबंध पर कार्यरत रंजन कुमार नामक कनीय अभियंता की ग्रामीणों द्वारा पिटाई कर दी गई।
चंडी अंचल के सहायक अभियंता ने इस संबंध में नगरनौसा थाना में एक महिला पार्वती देवी, उसके पति योगेन्द्र यादव एवं सुबोध कुमार समेत 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है।
इसके आगे की खबर है कि नगरनौसा बिजली अंचल के कनीय अभियंता की पिटाई को लेकर जिले में उसके अन्य सहयोगी बिहारशरीफ मुख्यालय पहुंच गये। उनकी शिकायत है कि ग्रामीणों ने चोरी की बिजली जलाते पकड़े जाने पर हमला किया गया है।
सरकार और प्रशासन जहां हर घर को मुफ्त बिजली कनेक्शन देने के ढिंढोरे पीट रही है, वहीं विभागीय लोगों ने निरिह ग्रामीणों के बीच सब कुछ का बेड़ा गर्क कर रखा है। बिना अवैध राशि लिये कनेक्शन नहीं दिये जाते। कनेक्शन ठीक नहीं किये जाते। लाइन मैन से लेकर विभागीय अभियंताओं तक एक ही कहानी है।
वेशक गांव वाले नये-नये पोल-तार में झिलमिलाती बिजली देख काफी खुश हैं। उसे भी लग रहा है कि वे 80 के दशक में लौट आये हैं, जब जिले के प्रायः गांवों में बिजली की सुदृढ़ व्यवस्था थी। जोकि बाद की सरकारों और प्रशासन की उदासीनता से नष्ट होते चली गई।
आज बिजली बिभाग को तोड़-मरोड़ दिया गया है। संचरण और वितरण में कौन लोग किस तरह की जिम्मेवारी के साथ कार्य कर रहे हैं, कुछ नही पता चलता है।
कनेक्शन देने-काटने के साथ मीटर चेकिंग, बीलिंग, सुधार आदि में सिर्फ मनमानी है। प्रायवेट और अस्थाई तौर पर इन कार्यों में जुड़े लोग जल्द से जल्द ग्रामीणों को लूटकर मालामाल होने की जुगत में है। शायद इसलिये कि उनमें यह भय है कि उन्हें विभाग या कंपनी द्वारा कब भगा दिया जाये।
किसी भी गांव में सबसे अधिक शिकायत बिजली विभाग की सुनाते हैं। सबसे अधिक लोग बिजली कनेक्शन देने, उसके बिलींग और उसमें सुधार में मनमाना वसूली करने के आरोप लगाते हैं।
इन सब शिकायतों पर बिजली विभाग के स्थानीय स्तर के अधिकारी ऐसे बात करते हैं कि वे विभागीय अध्यक्ष और मंत्री से भी उपर लेवल के हों। उपर स्तर के अधिकारी के कानों में भी ऐसी शिकायतों पर जूं नहीं रेंगते।
नगरनौसा के जेई के साथ जो कुछ हुआ, उसकी मूल वजह है कि अब सरकारी कर्मियो को अवैध कमाई के सामने शारीरिक सुरक्षा भी कोई मायने नहीं रखती। उन्हें पुलिस- प्रशासन से कहीं अधिक अपने संघठन की एकता और उसकी चिल-पों पर अधिक अहम है।
अगर गांव के लोग बिजली चोरी करते हैं तो उसकी जांच दिन के उजाले में भी हो सकती है। यदि रात में चोरी पकड़नी ही थी तो फिर स्थानीय थाना पुलिस का सहयोग क्यों नहीं लिया गया?
इस मामले में गांव वालों के आरोप भी गंभीर हैं। रात के आठ-नौ बजे कोई भी किसी अनहोनी के भय से सहम जायेगा। क्योंकि गांव में सूर्य ढलते ही प्रायः लोग अपने घरों में दरबाजा बंद होते हैं।
चंडी जेई ने जिस दंपति को नामजद अभियुक्त बनाया है, उसके घर के दरबाजा के बाहर दीवार पर बिजली बिल मीटर लगा था। एक अन्य नामजद का आरोप है कि जालसाजी कर जेई ने आटा चक्की चलाने के नाम पर उससे 35 हजार रुपये वसूल किये।
सच क्या है और क्या गलत। अब यह पुलिस की जांच का विषय है। लेकिन बिजली विभाग में जो कार्यशैली पनपी है, निःसंदेह चिंतनीय है। अगर इसमें सुधार नहीं हुआ तो कहीं एक बार फिर नालंदा के गांव बिजली के मायने में अस्सी के दशक की ढलान पर न आ जाये।
क्योंकि लोगों में विकास के पर्याय बिजली को लेकर पहले जितने उत्साह दिखते हैं, बाद में उससे कहीं अधिक व्यवस्था के शोषण-दमन के प्रति क्षोभ और आक्रोश। कमोवेश यह स्थिति समूचे जिले की है।
Comments are closed.