” जब मुरदलीचक गांव में मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर जब पल्स पोलियों कार्यक्रम का बहिष्कार किया तो इसकी सूचना मिलते ही प्रखंड के अधिकारियों की तंद्रा टूटी और गांव की ओर दौड़ पड़े।”
ग्रामीण अरुण प्रसाद, रामेश्वर महतो, संजय कुमार, सुरेंद्र प्रसाद, कृष्णा प्रसाद, शैलेन्द्र कुमार, शशिभूषण प्रसाद, कमलेश प्रसाद, शत्रुध्न मांझी, श्रवण मांझी सहित दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पिछले दो दशक से कोई विकास का कार्य नही हुआ हैं। जिससे गांव में मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है आने-जाने के लिए कोई समुचित व्यवस्था नही है। गांव में न ही सड़क है, न ही गांव में पक्की गली, न गांव से गंदा पानी निकासी के लिए समुचित नाली की व्यवस्था। ग्रामीणों को शुद्ध जल मिले इसके लिए भी कोई व्यवस्था नही । बारिश के मौसम में सबसे अधिक परेशानियां का सामना करना पड़ता है। गांव के गलियों में बारिश के मौसम में पानी जमा हो जाता है। घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। जनप्रतनिधि सिर्फ़ आश्ववाशन दिया करते है अंततः मजबूर होकर सरकारी कार्यक्रम का बहिष्कार करना पड़ा है।
जब मुरदलीचक के ग्रामीण गांव में मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर जब पल्स पोलियों कार्यक्रम का बहिष्कार किया तो इसकी सूचना मिलते ही प्रखंड के अधिकारियों का गांव में आना शुरू हो गया।
गांव में सबसे पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ कृष्ण कन्हैया पहुँचे उन्होने ग्रामीणों को समझा कर बच्चो को पोलियो खुराक पिलाने का आग्रह किया । साथ ही बच्चों को पोलियों खुराक पिलाने एवं न पिलाने से होने वाले नुकसाना के बारे में भी बताया
उसके बाद बीडीओ अरविंद कुमार,सीओ कुमार विमल प्रकाश ग्रामीणों को समझा बुझाकर गांव के समस्या को दूर करने को लेकर आठ दिनों के अंदर काम शुरू करवाने का आश्वासन दिया। तब जाकर ग्रामीण माने और उन्होंने पोलियो बहिष्कार वापस ले लिया ।लेकिन अब देखना है कि आठ दिन में बीडीओ- सीओ गाँव के विकास के लिए कौन सी जादू की छडी इस्तेमाल करते हैं ।