नालंदा (जयप्रकाश नवीन )। वैधों की नगरी के रूप में देश-विदेश में प्रसिद्ध नालंदा का कतरीसराय एक बार फिर सुर्खियों में है। देश के किसी भी समाचार पत्र-पत्रिका को उठाकर देख लीजिए कतरीसराय का नाम जरूर आपको पढ़ने को मिलेगा। आखिर यहां हर मर्ज की दवा जो उपलब्ध हो जाती है। लेकिन इस बार पुलिस ने वैधों पर नहीं बल्कि कतरीसराय डाकघर में छापा मारा, जहां पुलिस के हत्थे साइबर अपराधी चढ़े।
पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष के निर्देश पर कतरीसराय के उप डाकघर में सोमवार को छापामारी की गई। इस छापामारी में 12 लोग सहित साइबर अपराधी ऑन द स्पाट गिरफ्तार किए गए। इस छापामारी में पार्सल बुक कराने के लिए लाए गए 6 बोरा दवा भी पुलिस ने बरामद की है। यह छापामारी कतरीसराय थाना अध्यक्ष पिंकी प्रसाद के नेतृत्व में काफी गोपनीय ढंग से की गई। छापामारी दल के सभी पदाधिकारी और जवान सादे लिबास में थे। इसलिए छापामारी की किसी को भनक तक नहीं लग सकी। पुलिस की इस कार्रवाई से साइबर अपराधियों समेत डाकघर के पदाधिकारियों और कर्मियों में हड़कंप मच गया है। पुलिस अधीक्षक को कतरीसराय उप डाकघर में हो रहे रोज- रोज के घालमेल की सूचना मिल रही थी। खुफिया विभाग ने भी पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष को अपने स्तर से अलर्ट किया था।
मालूम हो कि कतरीसराय के घर- घर में वैधों रहते हैं। इन वैधों का अकाउंट कतरीसराय के बैंकों और डाकघरों में खोले गए हैं। लेकिन इन बैंक खातों में किसी नाम के आगे वैद्य शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। यह शत प्रतिशत सत्य है। लेकिन जो भी V V P पार्सल की बुकिंग की जाती है। सभी पार्सल के उपर नाम के आगे वैद्य लिखा रहता है। यहीं से फर्जीवाड़ा शुरू होता है। ऐसा जानकार मानते हैं
कतरीसराय के उप डाकघर में जो भी खाता है। चाहे S B A/C, R D A/C, T D A/C, किसान विकास पत्र ,फिक्स डिपोजिट है, उनमें किसी भी अकाउंट में नाम के आगे वैद्य शब्द नहीं लिखा गया है। जबकि पार्सल वैद्य के नाम से की जाती है। यही से धोखाधड़ी का सारा खेल शुरू होता है ,जिसमें डाकघर का खुल्म खुल्ला सहयोग रहता है। इसीलिए जब-जब पुलिस की छापामारी होती है, तब-तब कतरीसराय उप डाकघर की संलिप्तता उजागर हो जाती है। वैद्यो को लाभ पहुंचाने के लिए कतरीसराय के उप डाकघर में देर शाम आठ-नौ बजे ग्राहकों को कैश का भुगतान किया जाता है, जो कानूनन वैद्य नहीं है।
डाक विभाग के अनुसार 2 बजे या अधिकतम 3 बजे तक ही कैश भुगतान का सरकारी प्रावधान है, लेकिन इस उप डाकघर में नियम कानून को तोड़कर साइबर अपराधियों को लाभ पहुंचाने के लिए रात में कैश का भुगतान किया जा रहा है।
छापेमारी के बाद धंधेबाज कुछ दिन अंडरग्राउंड हो जाते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद फिर से उनका धंधा चल पड़ता है। आखिर कब वैधो की ठगी के धंधे पर लगाम लगेगा कहा नही जा सकता है। लेकिन वैधो के कारनामे पुलिस के लिए सरदर्द बने हुए हैं ।