झारखण्ड राज्य सूचना आयोग पूरी तरह दिवालिया हो चूका है। कहनें को तो झारखण्ड राज्य सूचना आयोग एक संबैधानिक संस्था है पर आयोग में सूचना की जगह सिर्फ कबूतरबाजी का करतब देखने को मिल रहा है |
आयोग पर सालाना करोडो रुपये खर्च हो रहे हैं पर मुख्य आयुक्त से लेकर एक चपरासी तक सभी गेटिंग सेटिंग के धंधे में लगे हुए है ,आयोग में भ्रष्टाचार का आलम यह है की हर किसी नें अपनी फीस निर्धारित कर रखी है।
मसलन हांक लगानें वाले पियून का रेट 50 रुपये से लेकर 200 रूपये तक | स्टेनो बाबू का 500 से 1000 रुपये तक यदि आदेश में आंशिक परिवर्तन करना हो अर्थार्त सूचना आयुक्त की जानकारी के बिना आदेश में परिवर्तन करना हो तो 2000 से 5000 रुपये तक सूचना आयुक्त का 20,000 से 200,000 तक।
अब वर्तमान मुख्य सूचना आयुक्त के कार्यकाल में नए अपीलों को बिना किसी उपयुक्त आधार के खारिज किया जा रहा है जिसका फ़ीस 1 ,00,000 से 3,00,000 तक गवन जितना बड़ा चढ़ावा भी उसी प्रकार का अर्थार्त जैसा देवता वैसा अक्षत |
अब आप समझ लीजिये जिस आपील को अधिकारी नहीं चाहेंगे वो अपील खारिज होगा| और आयोग से सूचना की जगह मिलेगा बाबा जी का ठुल्लू |
……गुमला से वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ सिंह अपने फेसबुक वाल पर।