Home देश एफिलिएशन पूर्व बीएड कॉलेज में नामांकण से हाई कोर्ट हैरान, मांगा जबाव

एफिलिएशन पूर्व बीएड कॉलेज में नामांकण से हाई कोर्ट हैरान, मांगा जबाव

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। पटना हाईकोर्ट उस समय हैरान रह गया जब जानकारी मिली कि राज्य में अनेक बीएड कालेजों में छात्रों का नामांकन पहले ले लिया गया है और उन्हें एफिलियेशन बाद में मिला। मामला सत्र 2018 -20 का है। अर्थात नामांकन पहले बाद एफिलिएशन।

न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की अदालत ने कुलाधिपति कार्यालय से 3 सप्ताह के अंदर जानकारी देने कि ऐसे कितने बीएड कॉलेज हैं, जिसे नामांकन के कट ऑफ के बाद (10 मई 2018) के बाद एफिलिएशन मिला।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मां वैष्णो देवी महाविद्यालय बनाम उत्तर प्रदेश सरकार में साफ कर दिया था कि कोई कॉलेज नामांकन तभी ले सकता है, जब उसका एफिलियेशन एवं मान्यता संबंधी पक्रिया 9 महीने पूर्व हो गया हो।

मालूम हो कि प्रदेश में पहली बार सीइटी के माध्यम से बीएड कॉलेजों नामांकन हुआ। नालंदा ओपेन विश्वविद्यालय को नोडल विश्वविद्यालय बनाया गया था।

करीब 61 हजार छात्रों को सफल घोषित किया गया था। लेकिन नामांकन प्रक्रिया में गड़बड़ी कारण 15 हजार छात्रों का नामांकन नहीं हो पाया।

इस दायरे से केवल पटना के फुलवारी शरीफ में स्थित इस्लामिया टीटी बीएड अल्पसंख्यक कॉलेज को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दे दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने इस कॉलेज को सेल्फ एडमिशन प्रोसेस ने नामांकन की छूट दे दी। नये सत्र के लिए यही एकमात्र अपवाद रहा। जिसे कट ऑफ डेट के बाद भी अपनी पसंद से नामांकन लेने की छूट मिल गई।

सुनवाई में नालंदा ओपेन युनिवर्सिटी के वकील नवीन प्रसाद सिंह ने कहा कि प्रदेश के 340 बीएड कॉलेजों में पहले से बड़ी संख्या में सीट रिक्त हैं। अब यदि एफिलियेशन के पूर्व छात्रों को नामांकन गलत साबित हुआ तो सफल हुए छात्रों को बड़ा झटका लगेगा। इससे छात्रों का एक सत्र बेकार चला जाएगा।’

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