हाथों में अडानी के समर्थन और विरोध की तख्तियां लिए लोग पूरे कार्यक्रम के दौरान बवाल काटते नजर आए। कार्यक्रम शुरू हुए 20 मिनट हुआ ही था कि माइक न मिलने के कारण एक महिला द्वारा आपत्ति दर्ज की गई।
इसके थोड़ी देर बाद अन्य लोगों ने भी अपनी बात रखने की अपील की, मगर मौका फिर भी नहीं दिया गया। बार-बार अडानी समर्थकों को ही माइक दिए जाने की कहानी अडानी का विरोध कर रहे लोगों को रास नहीं आई।
जब लोगों ने आपत्ति तेज कर डाली तो पुलिस ही वहां खड़े लोगों से उलझने लगी। जिसके तत्काल बाद कार्यक्रम स्थल रणभूमि बन गया। कुर्सियां फेंकने का सिलसिला शुरु हुआ तथा अडानी के खिलाफ नारेबाजी तेज हो गई।
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल द्वारा तत्काल बल प्रयोग शुरू हुआ तो दूसरे तरफ से पत्थरबाजी शुरू हो गई। इसके बाद माहौल पूरी तरह से अनियंत्रित हो गई। इसके बाद पुलिस बल द्वारा लाठी चार्ज किया गया तथा 10-12 आंसू गैस फायर किया गया।
लोगों का आरोप है कि पर्यावरणीय जनसुनवाई का मंच पूरी तरह से अडानी पदाधिकारियों द्वारा हाइजेक कर लिया गया था। जितने लोगों को बोलने का मौका दिया गया वो सभी अडानी समर्थक थे।