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हंगामा, मारपीट, उपद्रव व आगजनी के बीच भारत बंद का बिहार में व्यापक असर

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पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ब्यूरो )। सुप्रीम कोर्ट की ओर से SC -ST एक्ट में संशोधन के खिलाफ घोषित भारत बंद का बिहार में काफी व्यापक असर देखा गया। बिहार के कई जिलों में भारत बंद का असर देखा गया। भारत बंद के दौरान उपद्रव,हंगामा, मारपीट तथा आगजनी देखने को मिला।

बंद समर्थकों ने हाजीपुर में एक एम्बुलेंस को भी रास्ता नहीं दिया जिस कारण एक नवजात शिशु की मौत हो गई। वही बंद समर्थकों ने सासाराम के डीएम और नवादा के सिविल जज को भी नही बख्शा। उनके खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की।

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वहीं तमाम विपक्षी दलों के साथ सतारूढ दल के दलित नेताओं ने भी भारत बंद को समर्थन दिया तथा सड़क पर उतरे। बिहार विधानसभा के सामने जदयू विधायक श्याम रजक के नेतृत्व में सभी दलों के नेताओं ने मानव श्रृखंला बनाकर एससी -एसटी एक्ट में बदलाव का विरोध किया।

वही प्रतिपक्ष नेता तेजस्वी यादव अपने भाई तेजप्रताप के साथ सड़क पर उतरे।सांसद पप्पू यादव भी भारत बंद के समर्थन में डाकबंगला चौराहा पर बंद समर्थकों के साथ सड़क पर उतर कर विरोध जताया ।

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को जारी अपने एक आदेश में एससी तथा एसटी एक्ट के दुरूपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए इसके तहत तत्काल गिरफ्तारी का आपराधिक मामला दर्ज करने पर रोक लगाने की बात कही थीं। इसी मामलों को लेकर विभिन्न दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया था।

भारत बंद के दौरान बिहार के लगभग सभी जिलों में सुबह से ही बंद समर्थकों ने मोर्चा संभाल रखा था । सबसे पहले बंद समर्थकों ने रेल परिचालन को बाधित करने का प्रयास किया । भारत बंद को देखते हुए बड़े वाहन चालकों ने पहले ही अपने वाहन खड़ा कर दिया था। बंद समर्थकों ने पटना की लाइफलाइन उतरी बिहार सड़क मार्ग को भी पूरी तरह ठप्प कर रखा थ।

बंद समर्थकों ने एम्बुलेंस चालकों को भी नहीं छोड़ा ।उन्हें भी घंटों सड़क पर जाम हटने का इंतजार करना पड़ा। जिस कारण महनार के अंबेदकर चौक पर एक नवजात शिशु की मौत हो गई।

इतना ही नहीं बिहार के कई जिलों से बंद समर्थकों के द्वारा उपद्रव की सूचना मिली है।

बंद समर्थकों की गुंडागर्दी से राहगीर और ट्रेन यात्री सहमे दिखें। गया में घंटों कई जगह पर बंद समर्थकों ने रेल परिचालन को अपने कब्जे में कर लिया था।

नवादा में ट्रेन पकड़ने जा रहे यात्रियों के साथ बंद समर्थकों ने मारपीट की। इस घटना में एक यात्री पटरी पर गिरकर बेसुध हो गया ।

बाद में रेलवे पुलिस ने घायल यात्री को अस्पताल में भर्ती कराया। वही स्थिति नालंदा और बाढ़ में भी देखने को मिला। सुबह से ही बंद समर्थकों ने रेल परिचालन बाधित रखा। बंद समर्थकों के मूड को देखते हुए लोगों ने बाहर जानें के बजाय घर में ही रहना मुनासिब समझा।

 

बेतिया में बंद समर्थकों ने पेट्रोल पंप पर हमला कर तोड़फोड़ किया। वहीं मोतिहारी में भी बंद समर्थकों का उपद्रव देखने को मिला। बंद समर्थकों ने राज्य परिवहन निगम की लगभग दर्जन भर बसों में तोड़फोड़ की।

आरा में भी बंद समर्थकों का बेरहम चेहरा देखने को मिला। पहले तो इनके उपद्रव से आरा रेल स्टेशन पर यात्री सहमे डरे इधर उधर भागते दिखें। बंद समर्थकों ने इसके बाद आरा के कोर्ट में वकीलों के चैम्बर में घुसकर कुर्सियां और टेबुल तोड़ दी।

भागलपुर में राजद समर्थकों तथा दलित संगठनों के बीच जमकर मारपीट हुई। दोनों अपने -अपने तरीके से बंद का नेतृत्व करना चाह रहे थे जिसको लेकर दोनों गुट आपस में ही उलझ गए।

सासाराम में बंद समर्थकों ने डीएम अनिमेष परासर के वाहन को रोक दिया तथा उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

 

बंद समर्थकों ने ‘डीएम वापस जाओ’ के नारे लगाए । डीएम के वाहन को रोके जाने के बाद पुलिस महकमा बंद समर्थकों से डीएम को जाने देने की मिन्नत करते रहें लेकिन बंद समर्थकों ने उन्हें रास्ता नहीं दिया।

अंत में डीएम बिना कार्यालय गए वापस लौट गए। कुछ इसी तरह की घटना नवादा के शांति चौक पर देखने को मिली। जहाँ वहाँ के सिविल जज को गया जाना था लेकिन बंद समर्थकों ने भी उन्हें रास्ता नहीं दिया ।दो घंटे बाद पुलिस वाले उन्हें दूसरे रास्ते से निकाल लें गए।

बिहार की राजधानी पटना में भी इस बंद का व्यापक असर देखने को मिला। पटना में भीम सेना तथा अखिल भारतीय दलित विकास संघ के समर्थकों ने सड़क पर उतरकर जमकर बबाल काटा।

बंद को देखते हुए पटना के सभी छोटे बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद थें। सड़क पर लोगों की आवाजाही काफी कम देखी गई ।कार्यालय में भी सन्नाटा पसरा रहा।

 

भारत बंद को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और समर्थकों ने भी सड़क पर उतरकर इस एक्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

बिहार विधानसभा के सामने दलित विधायकों ने श्याम रजक के नेतृत्व में मानव श्रृखंला बनाकर विरोध जताया तथा राज्यपाल से मिलकर एक्ट के खिलाफ एक मांगपत्र सौंपा।

वही प्रतिपक्ष नेता तेजस्वी यादव और उनके भाई तेजप्रताप यादव भी सड़क पर उतरें। उन्होंने कहा कि दलितों के साथ किसी प्रकार का अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि सरकार भारत बंद से डर गई हैं तभी तो सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है जो सिर्फ दिखावे के लिए है।

वही सासंद पप्पू यादव ने भी डाकबंगला चौराहा पर मोर्चा संभाला। उन्होंने भी इस एक्ट में संशोधन को वापस लेने की मांग की।

इधर भारत बंद के दौरान हंगामा,  उपद्रव,  यातायात बाधित करने तथा अव्यवस्था फैलाने पर हाईकोर्ट ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए पटना एएसएसपी को तोड़फोड़ करने तथा ट्रैफिक बाधित करने वाले लोगों के विरुद्ध एफआईआर का निर्देश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा कि इस प्रकार का बंद संवैधानिक व्यवस्था के विरुद्ध है ।

डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने भारत बंद को बेवजह का बंद बताया। उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार कोर्ट में री पेटिशन दाखिल कर चुकी है तो इस तरह का बंद बुलाकर देश की जनता को परेशान करना कहां तक उचित है।

वही पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष मांझी ने कहा कि दलित आंदोलन से मोदी सरकार डर गई हैं। तभी तो सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।

अब सवाल यह उठता है कि समाज का कोई भी वर्ग जो अपने शोषण के खिलाफ बंद, तोड़फोड़ तथा आगजनी पर उतर आता है।

दरअसल इनसे असल शोषण और नाईंसाफी किसके साथ होता है।आमलोगों  के साथ। उसी जनता को परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिसके न्याय के लिए लोग सड़क पर उतरते हैं वो इस बात को भूल कर अपनी ही जनता के साथ अन्याय कर बैठते हैं।

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