“एक सप्ताह तक सोशल मीडिया पर भारत बंद को लेकर अफवाह उडती रही ।लेकिन न तो सरकार ने और न ही पुलिस प्रशासन ने इस अफवाह पर ध्यान नहीं दिया। सोशल मीडिया की अफवाह पर भारत बंद हो जाएँ तो इससे सोशल मीडिया की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है।”
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ब्यूरो)। 2अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में विभिन्न दलित संगठनों के द्वारा आहूत भारत बंद के जवाब तथा जातिगत आरक्षण के विरोध में 3 अप्रैल से सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर 10 अप्रैल को सामान्य वर्ग के द्वारा भारत बंद को लेकर पोस्ट आने लगे थे।
इस भारत बंद का आयोजन कौन सा संगठन या राजनीतिक दल कर रहा है,इसकी जानकारी नहीं दी जा रही थी। सोशल मीडिया पर आरक्षण के खिलाफ भारत बंद का आह्वान किया जाने लगा।
सोशल मीडिया पर इस अफवाह को लोग हल्के में अन्य फेक न्यूज की तरह ले रहे थे। सामान्य वर्ग के द्वारा 10 अप्रैल को भारत बंद की धमकी के बीच एक बार फिर सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल होने लगे कि अगर आरक्षण के विरोध में सामान्य वर्ग के लोग भारत बंद करते हैं तो एससी-एसटी की ओर से एक बार फिर भारत बंद 14 अप्रैल को किया जाएगा।
भले ही लोग या पुलिस प्रशासन सोशल मीडिया की इस अफवाह को हल्के में ले रहे थे, लेकिन जिस तरह से आज आरक्षण के विरोध में आहूत भारत बंद का बिहार में जो असर देखा गया उसका आकलन शायद ही किसी ने किया होगा।
भारत बंद के दौरान बिहार के कई जिलों में बंद का व्यापक असर देखा गया। कई जिलों में हंगामा, आगजनी, गोलीबारी, पत्थरबाजी तथा मारपीट की घटना हुई। जिसमें दो दर्जन से ज्यादा बंद समर्थकों को चोटे आई है।
सीएम के गृह जिला नालंदा में भी बंद का व्यापक असर रहा। आवागमन स्वतः बंद रहा। नालंदा में भाजपा समर्थकों ने बंद को लेकर अपनी भागीदारी दी। वहीं हाजीपुर में बंद समर्थकों ने केंद्रीय राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के साथ अभद्र व्यवहार किया ।
आरक्षण के विरोध में सोशल मीडिया द्वारा आहूत ‘भारत बंद’ के मद्देनजर सुबह से ही बंद समर्थकों ने सड़क पर उतर कर यातायात को प्रभावित करना शुरू कर दिया। सड़क को अवरुद्ध कर कई जगहों पर आगजनी तथा हंगामा किया।
शेखपुरा के सिरारी में बंद समर्थकों ने ट्रेन के इंजन पर चढ़कर नारेबाजी की।नालंदा में भी कई जगहों पर ट्रेन परिचालन को बाधित किया गया। दरभंगा से नई दिल्ली जाने वाली सम्पूर्ण क्रांति सुपर फास्ट ट्रेन को कई घंटे रोक कर रखा गया।
बिहार के कई राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर वाहनों का परिचालन बंद रहा। पटना के सभी निजी स्कूल भी बंद रहे। भारत बंद का सबसे ज्यादा असर भोजपुर में देखा गया। आरा के कई स्थानों पर बंद समर्थकों ने हंगामा तथा आगजनी की।
आरा के श्री टोला में बंद समर्थकों पर गोली चलाई गई है। इसमें कोई हताहत नहीं हुआ है। पुलिस को मौके से कई खाली खोखे मिले हैं। इसके साथ ही शहर के गिरजा मोड़ पर बंद समर्थकों और विरोधियों के बीच जमकर पथराव हुआ है।
उधर हाजीपुर में रालोसपा सुप्रीमो तथा केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के वाहन को बंद समर्थकों ने आगे जाने नहीं दिया।
श्री कुशवाहा पीएम मोदी के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मोतिहारी जा रहे थे। बंद समर्थकों ने उन्हें सुबह से ही हाजीपुर के लोमा गाँव के पास रोके रखा उनके साथ बंद समर्थकों द्वारा अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगा है।
बंद समर्थकों ने पटना के सगुना मोड़ पर सड़क पर आगजनी की तथा सड़क जाम कर दिया। फतुहा में भी सड़क जाम कर दिया गया । राष्ट्रीय राज्य मार्ग संख्या 31 तथा 30ए पूरी तरफ जाम की चपेट में रहा।
बंद समर्थकों ने मुजफ्फरपुर के भगवानपुर ओवरब्रिज पर आगजनी की । बीवीगंज के सामने आरके टावर पर हाईवे बंद को बंद कर रखा।यहाँ तक कि बाइक-साइकिल सवार और मरीज तक को भी बंद समर्थकों ने कोई रियायत नहीं दी ।
भभुआ-मोहनिया सड़क पर आगजनी की गई हजाम के कारण पटना और वाराणसी जाने वाली बसें फंसी रही।वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में बंद के चलते लॉ की परीक्षा स्थगित की गई।
बंद समर्थकों ने बक्सर के कई जगहों पर आगजनी कर सड़क जाम कर दिया । रेल परिचालन को भी बाधित किया गया।
छपरा के मलमलिया पथ एन एच 101 पर पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा नैनी, फखुली, बसडिला, कोठेया में सड़कों पर वाहनों को लगाकर जाम किया गया है। इसके अलावा नवादा, बाढ़, गया, लखीसराय समेत सवर्ण बाहुल्य जिलों में भी बंद का असर दिखा।
नालंदा के सभी राज्य मार्ग पर बंद समर्थकों का हुजूम देखा गया। राजगीर, पावापुरी, हरनौत, चंडी तथा हिलसा में बंद का सबसे ज्यादा असर रहा।
नालंदा में सवर्ण बाहुल्य क्षेत्रों में बंद का असर दिखा। कई जगहों पर ग्रामीण इलाकों के लोग आकर बंद को अपना समर्थन दिया।
कहने को भले ही यह भारत बंद को किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं मिला। लेकिन नालंदा में भाजपा के समर्थक बंद में शामिल हुए।
भारत बंद को देखते हुए बिहार के सभी जिलों में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गई थीं।कई जिलों में सुरक्षा व्यवस्था नाम मात्र की थी।
बंद समर्थकों द्वारा हंगामा और जाम की सूचना पर पुलिस पहुँची तो जरूर लेकिन जाम हटाने का प्रयास उनकी ओर से नहीं किया गया।
एक सप्ताह तक सोशल मीडिया पर भारत बंद को लेकर अफवाह उडती रही। लेकिन न तो सरकार ने और न ही पुलिस प्रशासन ने इस अफवाह पर ध्यान नहीं दिया।
सोशल मीडिया की अफवाह पर भारत बंद हो जाएँ तो इससे सोशल मीडिया की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
तीन अप्रैल के बाद से सोशल मीडिया पर यह अफवाह भी उड़ रही है कि अगर जेनरल वाले दस अप्रैल को भारत बंद रखते हैं तो इसके विरोध में 14 अप्रैल को फिर से एससी-एसटी वाले भारत बंद करेंगे। अब इसमें कितनी सच्चाई है इसका पता तो 14 अप्रैल को ही चलेगा।