” पूर्व सहकारिता मंत्री भी सीबीआई के राडार पर, बड़े-बड़े पत्रकार भी हाथ जोड़ते थे अमित और प्रिया के सामने, हर दल के नेताओं का संरक्षण था सृजन के संपोषकों को, दिखावे के लिए कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाते थे अमित कुमार “
बहुचर्चित सृजन महाघोटाले की जांच की आंच में पूर्व सहकारिता मंत्री आलोक मेहता भी तप सकते हैं। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक इस घोटाले की जांच अपने हाथ लेने के बाद सीबीआई सबसे पहले उन राज नेताओं और अधिकारियों के चित्र और चरित्र का मंथन करने में जुटी है जिन्होंने इसमहा घोटाले में परोक्ष या अपरोक्ष रुप से सहायक की भूमिका निभायी।
इस मामले में पूर्ववर्ती महागठबंधन की सरकार में सहकारिता मंत्री रहे आलोक मेहता पर भी गाज गिर सकती है। आलोक मेहता के कार्यकाल और उनके सृजन कार्यालय और इस सहकारी संस्था के कई आयोजनों में तत्कालीन मंत्री की उपस्थिति के बाद घोटाला और परवान चढ़ा। यहां तक कि इस घोटाले में सबसे ज्यादा सहकारिता विभाग की ही भूमिका रही।
सृजन में घोटाला वर्ष 2003 से ही हो रहा था। पर 14 वर्षों तक न तो किसी अधिकारी को इसकी खबर लगी न ही किसी अखबार या पत्रकार को। अब प्रतिदिन इस मामले को उठाने वाले अखबार व पत्रकारों की भूमिका पर भी संदेह लाजिमी है।
सवाल यह उठता है कि भागलपुर जहां से कई प्रतिष्ठित समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं के संपादकों या पत्रकारों को उनके नाक के नीचे होने वाले इस महाघोटाले की खबर क्यूं नहीं लगी! और लगी थी तो उन्होंने इस खबर को दाब क्यों दिया?
अब जरा नीचे तस्वीर पर गौर करें आप खुद समझ जाएंगे कि जिन घोटालेबाज (अमित कुमार व प्रिया कुमार) के घर कई अखबार के संपादक और बड़े पत्रकार दावत उड़ाते हों और उनके आगे हाथ जोड़ खड़े रहते हों भला वो ऐसे घोटाले का खुलासा करने की जुर्रत कैसे करेंगे।
हो सकता है कि ‘चांदी की जूती की चमक ने उनकी कलम की ताकत को फीका कर रखा होगा।’ सृजन घोटाले को लेकर हर राजनीतिक दलों द्वारा आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है पर अबतक जो सच्चाई सामने आ रही है वह यह दर्शा रहा है कि हमाम में सभी नंगे हैं। कोई दल ऐसा नहीं जिसके राजनेताओं का लगाव या जुड़ाव सृजन के सृजनकर्ताओं से नहीं।
इस महाघोटाले के महानायक व स्व. मनोरमा देवी के पुत्र अमित कुमार जो एक अंग्रेजी पत्रिका के प्रकाशक और संपादक भी हं ने भगलपुर सहित कई जगहों पर ‘कुमार क्लासेज’ के नाम पर कोचिंग ठंस्टीट्यूट भी खोल रखा है।
बताया जाता है कि सीबीआई ने इनके इन इंस्टीट्यूट को भी अपने रडार पर ले रखा है। इस घोटाला मामले में झारखंड (गोड्डा) के सांसद निशिकांत दूबे का नाम आने पर सांसद ने यह बयान दिया था कि उनका अमित या सृजन से कोई तालुक्कात नहीं है पर सृजन या अमित कुमार से सांसद का क्या संबंध रहा है, इसका खुलासा तस्वीरें बयां कर रही है, जिसमें अमित कुमार ने सांसद के जन्मदिन पर उन्हें सचित्र शुभकामना संदेश भेजा है।
बहरहाल आज यानी सोमवार को सीबीआई की टीम भागलपुर पहुंच रही है। जहां वह इस मामले की पूर्व से जांच कर रही एसआईटी से मामले को अपने हाथ में लेकर नए सिरे से प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ कर देगी।