नालंदा(संवाददाता)। सुशासन बाबू, देखिए अपने जिले का हाल आपके जिले में ‘आम’ क्या अब ‘खास’ भी सुरक्षित नहीं हैं। जिले में अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है। पहले से ही नालंदा में चोरी,हत्या और लूट की घटनाएँ तेजी से बढ़ी हुई थी। वही अभी दिनदहाडे सरेराह एक मुखिया और उनके चचेरे भाई की हत्या से नालंदा की धरती हिल गई है।
जिस नालंदा पर गर्व करता है बिहार, उसी नालंदा की धरती पर पंचायत प्रतिनिधियों की हत्या का सिलसिला थम नही रहा है। जिले में अपराधियों की बहार है ।आम आदमी को तो छोड़ दीजिए इस जिले में जनता के प्रतिनिधि मुखियों की हत्या से नालंदा की धरती रक्तरंजित हो रही है।
सुबह के दस बज रहा था। नूरसराय बाजार में चाय पीकर और समाचार पत्र लेकर बोलेरो वाहन पर सवार नूरसराय प्रखंड के नीरपुर-बेलसर पंचायत के मुखिया शिवेन्द्र प्रसाद अपने चचेरे भाई अशोक के साथ बेलसर लौट रहे थे। जैसे ही उनका वाहन बिहारशरीफ -दनियांवा रेल खंड के नूरसराय रेल क्रासिंग के पास धीमा हुआ, तभी एक अपाचे बाइक और एक बोलोरो पर सवार अपराधियों ने मुखिया को गोली मार दी। अपराधियों ने उन्हें तीन गोलियाँ मारी। जिनसे उनकी मौत घटना स्थल पर ही हो गई। वहीं अपराधियों ने उनके चचेरे भाई को दो गोली मारी। जिन्हें घायल अवस्था में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई। अपराधियों की संख्या दर्जन भर बताई जा रही है। घटना स्थल से पुलिस को कुछ खोखे भी मिले है ।
अपराधियों ने बोलेरो चालक को भी गोली मारकर घायल कर दिया। जहाँ उसका इलाज नूरसराय पीएचसी में चल रहा है। इस घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन के पैरो तले धरती सी हिल गईं। जंगल में आग की तरह मुखिया और उनके भाई की हत्या की खबर फैल गई। हजारों लोगों का हुजूम मौके वारदात पर पहुँच गई। आक्रोशित लोगों ने बिहारशरीफ -पटना मार्ग को घंटों जाम रखा। घटना की सूचना मिलते ही जिले के कई थानों की पुलिस, वरीय पुलिस अधिकारी और बाद में पुलिस कप्तान कुमार आशीष भी घटना स्थल पर पहुँच कर मामले की छानबीन में जुट गई। हालाँकि पुलिस हत्याओं की गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है ।
मुखिया शिवेन्द्र प्रसाद की हत्या की गुत्थी को सुलझाने में पुलिस लगी हुई है। प्रथम दृष्टया मामला चुनावी रंजिश की बतायी जाती है।
बताया जाता है कि मृतक मुखिया पेशे से ठेकेदार भी थे। वाटर सप्लाई काम के अलावा जिले के विधान पार्षद के योजनाओं का काम भी देखा करते थे। पुलिस ठेकेदार वर्चस्व को लेकर भी मामले की छानबीन कर रही है ।
बताते चलें कि ढाई साल पहले भी इसी पंचायत के मुखिया को अपराधियों ने नूरसराय बाजार में गोली मारकर हत्या कर दी थी।
वहीं छह माह पूर्व इसी साल जून में हरनौत के कोलावा पंचायत के नवनिर्वाचित महिला मुखिया पूनम देवी की हत्या भी अपराधियों ने दिनदहाडे कर दी थी। मृतक मुखिया शपथ भी नहीं ले सकी थी। वही जूलाई 2006 में चंडी पंचायत के मुखिया का0 दशरथ ठाकुर की भी हत्या गोली मारकर कर दी गई थी।
इससे पहले भी नालंदा में आधा दर्जन से ज्यादा पंचायत प्रतिनिधियों की हत्याएं हो चुकी है। और इन हत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है ।
इस हत्या के बाद उन पंचायत प्रतिनिधियों की चिंता बढ़ गई है। कभी भी किसी अप्रिय हादसे की चिंता उनमें सताने लगी है। उनके परिजन भी सुरक्षा को लेकर चिंतित है।
अपराधियों ने मुखिया के साथ उनके चचेरे भाई को भी मौत की नींद सुला दी। एक साथ एक ही परिवार की दो महिलाएँ विधवा हो गई और उनके बच्चे अनाथ। आखिर नालंदा में मुखियों की हत्या का दौर कब थमेगा, शायद प्रशासन भी इसका नहीं जबाब नहीं दे सकती।