इसके बाद यहा सरकारी बोर्ड भी लगाया गया है और इस परिसर को सरकारी संपत्ति घोषित किया गया है । इसके बाद से यहां किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य को अतिक्रमण माना जाएगा लेकिन आज विधायक प्रतिनिधि ने अपने एक अन्य सहयोगी के साथ ढलाई का काम शुरू किया।
इस बाबत जब जिलाधिकारी और अनुमंडल पदाधिकारी को जानकारी मिली तो उन्होंने सदर सीओ को निर्माण स्थल पर कार्य रोकने के लिए भेजा।
सदर सीओ ने पहले तो कहा कि इनके ऊपर FIR दर्ज कर जेल भेजा जाएगा, लेकिन थोड़ी देर के बाद वह दूसरा राग अलापने लगे की द्वितीय तल के निर्माण की अनुमति एसडीओ से प्राप्त है।
जब इस बाबत पत्रकारों ने आदेश की कॉपी देखने के लिए मांगी तो सी ओ ने दिखाने से मना कर दिया।
इस मामले में एसडीओ आदेश नहीं दे सकते ऐसा जानकारों का कथन है। क्योंकि यह जमीन खास महाल की है इसलिए इस संबंध में उपायुक्त ही आदेश पारित कर सकते हैं।
लेकिन यहां मामला दूसरा है। यह संपत्ति केंद्र सरकार की है और माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में मुख्यमंत्री ने यहां हस्तक्षेप कर रोक लगाई है।
ऐसे में कोई एसडीओ किस प्रकार आदेश पारित कर सकते हैं और अगर एसडीओ ने यह आदेश पारित किया है तो वह यहां रह रहे अन्य गरीब लोगों के पक्ष में भी आदेश पारित करें ।
हालांकि तीन दिन पहले मनोज गुप्ता ने उपायुक्त से मिलकर जानकारी दी थी तो उन्होंने अस्वासन दिया था कि ऐसा नही होगा, लेकिन हो गया।
अब श्री गुप्ता ने फिर से जनसंवाद का दरवाज़ा खटखटाने का फैसला लिया है। वही भ्रस्टाचार विरोधी मंच के अध्यक्ष ने भी इस संबद्ध में फोनकर मुख़्य मंत्री से मिलने का समय मांगा है । (स्रोतः हजारीबाग के वरिष्ठ पत्रकार टी पी सिंह की फेसबुक वाल)