“आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी गांव के माली हालात में कोई सुधार नहीं हो रहा है। यहाँ विकास के साथ मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। स्कूल, बिजली, सड़क, पानी आदि मूलभूत सुविधाओं का भी मुकम्मल व्यवस्था भी सरकार नहीं करा पाई है।”
आज भी इस गांव में जाने के लिए कोई न कोई पक्की सड़क है न ही बच्चों के पढ़ाई के लिए विद्यालय है न ही उपस्वास्थ्य केंद्र, न ही गांव में पक्की गली व नाली है। गांव आने-जाने के लिए एक मात्र सहारा पगडण्डी है, जो बारिश के दिनों में काफी कठिन राह बन जाती है।
वयोवृद्ध गांव वासी बदरू गोप कहते हैं, “बउआ आंखों पथराई गइल लेकिन आजादी के सात दशक बाद भी गांव में कोई विकास नही देखे को मिला। अब तो उम्र भी हो चुका है, लेकिन आज भी इंतजार है कि कोई बाबू साहब अइहे और गांव के विकास करीहे।“
वे बताते हैं कि “गांव आने का कोई रास्ता नही होने से न जाने अब तक कितने लोग अकाल मौत चल बसे। कच्ची पगदंडी की वजह से चारपाई के सहारे बीमारों को अस्पताल ले जाना पड़ता हैं। लेकिन कितने रोगियों की सुसमय अस्पताल नहीं पहुंचने की वजह से मौत हो चुकी है”
क्या कहते है ग्रामीणः
ग्रामीण जबाहर प्रसाद, अशोक कुमार धर्मेन्द्र कुमार,चंद्र भूषण कुमार बताते हैं, “यहां की आबादी लगभग 900 है। इस गांव में हर तबके के लोग निवास करते हैं। फिर भी गांव में सिर्फ 195 लोग की अपना मताधिकार का प्रयोग करते हैं। बीएलओ मतदाता सूची में ग्रामीण का नाम भी नहीं जोड़ते है”।
अब वोट बहिष्कार करने के मूड में है ग्रामीण
ग्रामीण कहते हैं कि “हमलोग गांव के विकास, बच्चों के पढ़ाई के लिए विद्यालय आदि जरूरी मूलभूत सुविधाओं के लिए उनके बार प्रखंड से लेकर जिला प्रशासन, स्थानीय विधायक तक लिखित आवेदन दिया लेकिन, अब तक किसी ने गांव के विकास को लेकर कोई सार्थक पहल नहीं किया। चुनाव के समय नेताओं के चमचे विकास की बात कर वोट मांग लेते हैं। अब आगे चुनाव में चुनाव बहिष्कार तो करेंगे ही और जो चमचा इस गांव में वोट मांगने आएगा उसको जूता चप्पल की माला से स्वागत करेंगे”।
वार्ड सदस्या फूलमती देवी बताती है, “एक आंगनवाड़ी भी नही है इस गांव में सब केवल आश्वासन देते हैं”।
गांव में विद्यालय नहीं रहने के कारण नही पढ़ रहे बच्चे
गांव में विद्यालय नहीं रहने के कारण बच्चे पढ़ नही पाते हैं। बच्चे को पढ़ाई के लिए दूसरे गांव (गोराइपुर बलबा) जाना पड़ता है। दूरी करीब 1.5 किलोमीटर होने के बजह से छोटे छोटे बच्चे पढाई करने नही जाते।
सबसे जायदा परेशानी बरसात के मौसम में होता है गांव से विद्यालय जब पढ़ाई करने बच्चे जाते है तो रास्ते में पाइन मिलता है और बारिश के मौसम में पाइन में पानी हो जाने से बच्चों को विच में ही अपना पढ़ाई छोड़ना पड़ता है।
स्कूल के लिये विधायक से की है बातः मुखिया
पंचायत के मुखिया विमला देवी ने बताया कि श्रीरामचमक-महतोचक दोनों गांव एक ही वार्ड के अंतर्गत आते है। उक्त वार्ड को मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत चयन किया गया है। गांव में नल जल का कार्य चालू है। जल्द ही गांव में पक्की गली पक्की नाली का कार्य शुरू हो जाएगा। जहां तक विद्यालय की बात है तो विद्यालय के लिए स्थानीय विधायक से बात किया गया है। गांव में आंगनवाड़ी केंद्र है।
स्कूल विधायक स्तर की बातः बीडीओ
प्रखंड क्षेत्र के ऐसे सभी पिछड़े गांव को प्राथमिकता के तहत मुख्यमंत्री सात निश्चय योजनाओं में चयन कर गांव का विकास किया जा रहा है। श्रीरामचक-महतोचक गांव को मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत चयन किया गया है।
गांव में नल जल का कार्य चालू है। विद्यालय नही होने पर कहा कि ये विधायक स्तर की बात है। लेकिन फिर भी गांव में विद्यालय को लेकर उच्य अधिकारी को लिखेंगे व समस्याओं से अगवत करायेंगे।
स्कूल और सड़क से अनभिज्ञ हैं शिक्षा मंत्री रह चुके विधायक
स्थानीय विधायक हरिनारायण सिंह ने श्रीरामचक-महतोचक गांव के सड़क निर्माण पर अनभिज्ञ जताते हुए कहा कि सड़क निर्माण को लेकर सड़क का सेन्सन होने वाला है। गांव में विद्यालय नही होने पर भी अनभिज्ञ जताया और कहा कि गांव में विद्यालय होना चाहिए। हम अपने स्तर से देखते हैं।