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विकास के पापाओं को यूं मुंह चिढ़ा रहा है विश्वविख्यात नालंदा रेलवे स्टेशन

ताजा बदहाली कथा कहती है यह वीडियो….

इस रेलखंड को वर्ष 1903 इस्वी में मार्टिन लाइट रेलवे द्वारा बख्तियारपुर-बिहार के नाम से लाइट रेलवे के नाम से चौड़ी छोटी लाइन, 762 मिलीमीटर आमान के साथ खोला गया था। वर्ष 1911 में इसे राजगीर तक बढ़ाया गया था। पुनः 1962 में इसे ब्रॉड गेज में परिवर्तित किया गया…..”

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज़ (राजीव रंजन)। आज ऐसे विश्वविख्यात रेलवे स्टेशन के बारे में बता रहे हैं, जहां आज भी एक प्लेटफार्म पर से दूसरे प्लेटफार्म पर जाने के लिए अदद ओवरब्रिज तक नहीं बन सका है। इस पर किसी रहनुमाओं की नजर भी अब तक नहीं पड़ा है।

nalanda railway station 2

जी हां,  वह ऐतिहासिक पर्यटन स्थल स्टेशन है नालंदा। विश्वविख्यात पर्यटन नगरी नालंदा रेलवे स्टेशन आज भी सुविधा विहीन है। खुद सीएम नीतिश कुमार भी रेलवे मंत्री रह चुके हैं। लेकिन उनकी नजर भी इस ओर कभी नहीं उठी। अन्य निकम्मे-नकारे स्थानीय जनप्रतिनिधियों का ध्यान भी कभी इस ओर नहीं गया। 

यह अपनी विकास का बाट जोह रहा है और इंतजार कर रहा है कि किसी रहनुमा की इस पर नजर पड़े। प्रतिदिन हजारों की संख्या में पर्यटक यात्रियों का आवागमन इस स्टेशन से होता है। यहां से प्रतिदिन 3 एक्सप्रेस ट्रेनें तथा 4 पैसेंजर ट्रेनें गुजरती है, जो बिहार शरीफ हरनौत बख्तियारपुर दनियावां फतुहा पटना दानापुर वाराणसी नई दिल्ली तक जाती है।

फिर भी इस स्टेशन में विकास के नाम पर रेल मंत्रालय के द्वारा केवल ठगने का काम किया गया है। पर्यटन के क्षेत्र में विश्वविख्यात ज्ञान तथा भगवान बुद्ध एवं महावीर की भूमि नालंदा के रेलवे स्टेशन में आज भी एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाने के लिए ओवर ब्रिज की सुविधा नहीं है और यात्रियों को जान जोखिम में डालकर पटरी के सहारे एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म बदलना पड़ता है, जिससे की जान-माल की क्षति होने की संभावना बनी रहती है।

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज़ टीम को यहां मौजूद यात्रियों ने बताया कि हम सबों को जब अचानक स्टेशन मास्टर के द्वारा सूचना मिलती है कि गाड़ी एक नंबर पर नहीं बल्कि दो नंबर पर आएगी तो तुरंत पटरी क्रॉस कर ही जान जोखिम में डालकर एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाना पड़ता है, मगर इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

बता दें कि बिहार का यह नालंदा, यहां प्राचीन विश्वविद्यालय जैसी पुरातन धरोहर हैं। यह प्राचीन काल में एक प्रसिद्ध महाविहार था। इसे विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त है। यहां विदेशों जैसे चीन कोरिया तिब्बत एवं मध्य एशिया आदि के छात्र पठन-पाठन के लिए आते थे। यहां करीब 10000 छात्रा और 2000 शिक्षक रहने की क्षमता थी।

नालंदा प्रारंभ में एक छोटा गांव था। जहां भगवान बुद्ध प्रवचन देने आते थे। यहां उनके दो प्रमुख शिष्य में से एक सारिपुत्र का भी जन्म स्थल है। यह भी माना जाता है कि जैन तीर्थंकर महावीर ने नालंदा में 14 वर्षा ऋतु व्यतीत किए थे।

पर्यटक क्षेत्र के दृष्टिकोण से नालंदा में विश्वविद्यालय भग्नावशेष के अलावे नालंदा पुरातत्व संग्रहालय ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल छठ पूजा के लिए प्रसिद्ध सूर्य मंदिर इत्यादि पर्यटक दर्शनीय स्थल हैं। फिर भी विश्व पर्यटक स्थल नालंदा का रेलवे स्टेशन आज तक इतना सुविधा विहीन कैसे है, एक बड़ा सवाल है।

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