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रामविलास के बाद मांझी भी चलेंगे लालू की राह,परिवाद में फंसे ही हैं नीतिश

” बिहार की राजनीतिक समीकरण बदलते ही सबसे पहले लोजपा सुप्रीमों और केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान को अपने भाई पशुपति नाथ पारस को नीतीश मंत्रिमंडल में मंत्री बनाने की याद आई।जबकि बिहार विधानसभा में लोजपा के दो विधायक पहले से हैं। उनके भाई फिलहाल किसी सदन के सदस्य नहीं हैं ।बाबजूद कल तक लालू के परिवार वाद पर पानी पीकर कोसने वाले केन्द्रीय मंत्री ने अपने भाई को मंत्रिमंडल में शामिल करा लिए।”

Paswan Jitan Ram Manjhपटना (हमारे वरीय संवाददाता जय प्रकाश का विष्लेश्न)। बिहार की राजनीति में परिवार वाद कोई नया अध्याय नहीं है।सरकार आती रहे या फिर चली जाएं, बिहार की राजनीति में वंशवाद का दौर खत्म होता नहीं दिखता । अगर कहा जाए बिहार की राजनीति वंशवाद की राह अग्रसर है तो कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी।
कल तक विपक्ष के रूप में बीजेपी ,लोजपा और हम जैसे सरीखे राजनीतिक दल लालू प्रसाद यादव के परिवार वाद,भाई भतीजा वाद और पुत्र मोह का विरोध करते थकती नहीं थी।आज वही राजनीतिक दल गठबंधन बदलते ही इसका विरोध करने वाले ही अब भाई भतीजावाद और पुत्र मोह में फंसते दिख रहे हैं ।

वही दूसरी ओर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी जो सीएम नीतीश के सबसे घोर राजनीतिक शत्रु माने जाते रहें हैं ।यह वहीं मांझी हैं जब पूर्व सीएम नीतीश ने इन्हें पार्टी और सरकार से बर्खास्त किया था तब श्री मांझी नीतीश कुमार को कंस, रावण,राक्षस और न जाने कैसे कैसे उपमा से अलंकृत करते रहें थे ।

जब बिहार की सियासी उठापटक में गठबंधन बदला तो पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को समझ नहीं आया कि आखिर करें तो क्या ।जिस व्यक्ति को सार्वजनिक मंच से बुरा भला बोलते रहे हैं उनसे मुलाकात कैसे करें ।कई दिनों तक वे दिल्ली में ही अपना अड्डा जमाए रहा ।उन्हें बीजेपी की ओर से मंत्री बनने का मनुहार की गई ।लेकिन वे किसी राज्य में राज्यपाल बनने की महत्वाकांक्षा पाले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात करते रहें ।

लेकिन मंगलवार को पूर्व सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात के लिए पहुँचे ।पहले तो उन्होंने ने सीएम को बीजेपी के साथ आने के लिए बधाई दी ।दोनों के बीच थोड़ी देर के लिए विचार विमर्श भी हुआ ।
सीएम नीतीश से मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई कि आखिर दोनों के बीच क्या बात हुई ।
राजनीतिक गलियारें में चर्चा तेज रही कि लालू प्रसाद यादव की तरह ही श्री मांझी अपने पुत्र के राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं ।

उन्हें भी पुत्र मोह ने घेर लिया ।वे अपने पुत्र संतोष कुमार सुमन के राजनीतिक भविष्य को पटरी पर लाने के लिए बेचैन हैं ।अपने पुत्र को नीतीश मंत्रिमंडल में स्थान दिलाना चाह रहे हैं ।वैसे भी नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार शीघ्र होने वाला हैं ।ऐसे में मांझी कोई राजनीतिक भूल नहीं करना चाहते हैं ।

अगर संतोष कुमार सुमन को नीतीश मंत्रिमंडल में जगह मिल जाती हैं, तो कल तक विपक्ष लालू प्रसाद यादव के पुत्र मोह को लेकर हमलावर थी ,विरोध कर रही थी।आज वही राजनीतिक दल सत्ता मिलते ही वंशवाद और परिवार वाद को भूल जाती हैं ।

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