Home झारखंड यहां प्रायः 14 संसदीय सीटों पर साफ दिख रहा त्रिकोणीय संघर्ष

यहां प्रायः 14 संसदीय सीटों पर साफ दिख रहा त्रिकोणीय संघर्ष

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एक्सपर्ट मीडिया न्यूज।  झारखंड की कुल 14 संसदीय सीटों में से राजग को अपनी 12 सीटें बचाए रखने के लिए महागंठबंधन के उम्मीदवारों से टक्कर लेनी पड़ रही है।

जमशेदपुर, चाईबासा, गिरिडीह, धनबाद, दुमका, गोड्डा को छोड़ अन्य सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष जैसी स्थिति बनी है। चौथे चरण और पांचवें चरण में नामांकन पत्रों की जांच के बाद राज्य की आधी सीटों पर अब तसवीर साफ हो गयी है।central election

रांची, पलामू, चतरा, कोडरमा, हजारीबाग, खूंटी, लोहरदगा में अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन और महागंठबंधन के उम्मीदवार कड़े संघर्ष में चुनावी बेड़ा पार करने पर अपनी जुगत लगा रहे हैं।

चतरा को छोड़ अन्य जगहों पर भाजपा के विरुद्ध महागंठबंधन ने उम्मीदवार दिये हैं। ये सभी सीटें पहले से भाजपा के खाते में थी।

अब भाजपा को इन सीटों पर पुन: कमबैक करना है। वहीं चतरा, कोडरमा, लोहरदगा और पलामू में महागंठबंधन के उम्मीदवार भाजपा को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

रांची में निर्वतमान सांसद रामटहल चौधरी के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरने से मामला दिलचस्प हो गया है।यहां पर भाजपा प्रत्याशी के रूप में संजय सेठ हैं। इन्हें भाजपा के पारंपरिक वोटरों में सेंधमारी का डर सता रहा है।

वहीं कांग्रेस प्रत्याशी सुबोध कांत सहाय, जो 2014 में दूसरे स्थान पर थे। वह अपनी ताल ठोंक रहे हैं। समर्थकों का मानना है कि भाजपा से वोटरों की नाराजगी उनके लिए मददगार साबित हो सकती है।

खूंटी जो भाजपा की पारंपरिक सीट रही है। निर्वतमान सांसद कड़िया मुंडा की जगह अर्जुन मुंडा को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। यहां पर पार्टी के प्रत्याशी को झारखंड पार्टी के अजय टोपनो और झारखंड सेंगेल पार्टी की ब्लादीमीन केरके ट्टा से चुनौती मिल रही है।

वैसे भी भाजपा के लिए यहां पर अपने सरना वोटरों को बरकरार रखने की कठिनाईयां भी सामने आ रही हैं। कांग्रेस उम्मीदवार कालीचरण मुंडा पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर थे, और इस बार भाजपा को सीधी टक्कर देने की स्थिति में हैं।

लोहरदगा में कांग्रेस पार्टी की तरफ से सुखदेव भगत को टिकट दिये जाने से मामला पेचिदा हो गया है। सुखदेव भगत को अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का साथ नहीं मिल रहा है।

वहीं विधानसभा सदस्य चमरा लिंडा का भी साथ उन्हें नहीं मिल रहा है। यहां पर सुखदेव की टक्कर भाजपा के निर्वतमान सांसद और केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत से है।

यहां झारखंड पार्टी के देवकुमार धान और बसपा के श्रवण कुमार पन्ना से भाजपा और कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी का डर सता रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हजारीबाग में केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा को दूसरी पारी में शतकवीर बनने के लिए भाकपा के भुवनेश्वर मेहता और कांग्रेस के गोपाल साहू से टक्कर लेना पड़ेगा।

ये त्रिकोणीय संघर्ष में फंसे हैं। वहीं कोडरमा में महागंठबंधन के उम्मीदवार और झाविमो के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के लिए संसद तक का सफर आसान नहीं लग रहा है।

यहां पर उन्हें भाकपा माले के राजकुमार यादव और भाजपा की अन्नपूर्णा देवी से टक्कर मिल रही है। तिकोने संघर्ष में फंसे बाबूलाल मरांडी को यादव जाति और भूमिहार जाति के वोटरों पर अधिक भरोसा है।

वहीं पलामू में भाजपा के बीडी राम को राजद के घूरन राम, भाकपा माले की सुषमा मेहता और निर्दलीय जोरावर राम से टक्कर मिल रही है।

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