“गांवों के हालात में सुधार व जरुरतमंदों को रोजगार के अवसर प्रदान करने वाली केंद्र सरकार के महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) नगरनौसा प्रखंड में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। यहाँ सरकारी मापदंडों के अनुरूप कोई कार्य नही होता। सर्वत्र सिर्फ लूट-खसोंट दिखती है”
मनरेगा के तहत अगर कोई कार्य भी हो रहा है तो उस योजना से सम्बंधित बोर्ड नही लगाया जाता और जब काम खत्म और राशि निकलते ही योजना से सम्बंधित बोर्ड नजर आने लगता है।
अगर हम बात करें मनरेगा के तहत पाइन खुदाई की तो पाइन खुदाई में 10 मजदूर को लगा योजना में 100 मजदूर दिखाया जाता है।
योजना में पाइन की गहराई 4 फ़िट करना है तो पाइन को तीन से पांच इंच महज खोद कर या सिर्फ़ घास छिलाई कर पाइन की ऊपरी भाग को छिलाई कर चार फीट दिखा दिया जाता है और ये सब सभी अधिकारियों के मिलीभगत से होता है।
उसके बाद योजनाओं से सम्बंधित प्रकलन के अनुरूप योजना के 85% से 90% का एमबी बना राशि का भुगतान कर राशि का बंदरबांट कर लिया जाता है।
हद तो तब हो जाती हैं जब अधिकारी व अभिकर्ता बिना कोई योजना किये ही पूरी राशि को गटक जाते हैं।
इस संबंध में वर्तमान मनरेगा पदाधिकारी से जानकारी लेने पर वे सत्य हरिचंद्र बन कहते है कि उनके रीजन मनरेगा की योजन योजनाओं में कहीं कोई गड़हड़ी नहीं हुई है। सर्वत्र पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ काम हुआ है।
लेकिन समूचे प्रखंड में मनरेगा के तहत क्रियान्वयन योजना के देखने से साफ स्पस्ट होता है कि इनके कार्यकाल में तो योजना में सरकारी राशि की बंदरबांट की इंतहा हो गई है।
सूत्रों की मानें तो इनके कार्यकाल में मनरेगा की योजनाओं को लूटने के लिए नया तरकीब ईजाद प्रायः मनरेगा से जुड़े कार्य करने वाले अभिकर्ता मानसून के प्रतीक्षा में रहते हैं। ताकि मानसून आते ही पाइन खुदाई कार्य किये बिना ही अफसरों के मेल से योजना को पूर्ण रूप से निगलने में कोई दिक्कत न हो।