एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। बिहार में सुशासन की सरकार के दावे किये जाते रहे हैं। ऐसे में नीतिश सरकार के नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा व उनके समर्थकों ने पश्चिम बंगाल के महाप्रसिद्ध आस्था स्थल तारापीठ के एक होटल में जिस तरह की हरकतें की, वे राज्य के बाहर भी अच्छे संकेत नहीं देते।
इसके साथ और भी कई सवाल खड़े हो गए हैं। मंत्री सुरेश शर्मा के अनुसार कि सूचना के बाद भी पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रोटोकाल के तहत जरुरी इंतजमात नहीं किए।
वैसे वीरभूम के कलेक्टर पी मोहन गांधी का यह बयान आ चुका है कि उन्हें बिहार के मंत्री के किसी दौरे की जानकारी नहीं दी गई थी। घटना की जांच एसडीएम को करने को कहा गया है।
इस मामले को लेकर करीब तीन मिनट का वीडियो वायरल हो रहा है। जोकि होटल में लगे सीसीटीवी फुटेज है। तारापीठ के होटल सोनार बंगला में यह वीडियो तब उजागर हुआ, जब जांच करने को आए पुलिस अफसर होटल में लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहे थे।
हालांकि अब मंत्री के लोग भी मान रहे हैं कि रुम दिखाने को लेकर झगड़ा स्टार्ट हुआ । बात बढ़ी तो मंत्री के लोग पैसा वापस चाहते थे। कोई 15000 रुपये की बात थी। इसी दावे में स्पष्ट किया गया कि होटल सोनार बंगला में रुम की बुकिंग ऑनलाइन की गई थी।
यहां पर स्पष्ट कर दें कि मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मुजफ्फरपुर शहर क्षेत्र के विधियाक सुरेश शर्मा फिलहाल जदयू-भाजपा की नीतिश सरकार में दुसरे बड़े धनी मंत्री के रुप में उभर कर सामने आये हैं।
श्री शर्मा फिलहाल कई बड़े कारोबार के मालिक हैं। मुजफ्फरपुर में इनका भी एक आलीशान एयरकंडीशन्ड होटल है। ऐसे में मंत्री जी खुद बता सकते हैं कि क्या उनके होटल में ठंढ के मौसम में एयरकंडीशन्ड रुम का किराया कम वसूलते हैं। जहां तक जानकारी मिली है कि मंत्री के आधुनिक होटल में भी सालो भर सामान किराया वसूले जा ते हैं।
दूसरी बात यह समझ से परे है कि डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने वाली पार्टी भाजपा के मंत्री सुरेश शर्मा क्या इतने बड़े अज्ञानी हैं कि उन्हें यह भी पता नहीं कि ऑनलाइन पेमेंट की वापसी भी ऑनलाइन ही होती है।
सवाल उठता है कि ऑनलाइन पेमेंट की कैश में वापसी मंत्री सुरेश शर्मा क्यों चाहते थे। अब मंत्री की ओर से दुनिया को यह भी बता ही देना चाहिए कि सोनार बंगला में ऑनलाइन बुकिंग किसके खाते / माध्यम से की गई थी।
वैसे सुरे
श शर्मा बिहार विधान सभा के सदस्यों में सबसे धनवान सदस्यों की लिस्ट में शामिल हैं, सो उनकी आर्थिक हैसियत की कोई बात निश्चित तौर पर बेमानी होगी।
वायरल वीडियो में साफ स्पष्ट है कि….
- मंत्री सुरेश शर्मा भी होटल के रिसेप्शन काउंटर पर मौजूद हैं। मतलब सारा झगड़ा-रगड़ा उनके सामने स्पष्ट हुआ है।
- बात बढ़ती जा रही है। मंत्री के साथ रहे लोग बहुत तैश में आ गये हैं। जिस व्यक्ति के सिर में बाल कम है, बंडी / जैकेट पहने है, टीका लागए हैं, वह सबसे पहले होटल के स्टाफ को कागज उठाकर मारता है।
- अब पीछे से कोई लाठी/डंडा लिए चला आया है। वह काउंटर पर इसे पटकता है। फिर भीतर की ओर घुसने को जाता दिखता है। ऐसे लाठी-डंडे बिहार में राजनेताओं की गाड़ी में होते हैं। यहां होटल का स्टाफ बैठा है।
- अब बिहार पुलिस के सिक्योरिटी गार्ड ने सीधा कार्बाइन / स्टेनगन तान दिया। लेकिन वीडियो में दिख रही महिला है, जो गार्ड को रोकती दिख रही है।
- अब गदर बढ़ गया है। दोनों ओर से मारपीट शुरु हो चुकी है। मंत्री भी निकलते दिख रहे हैं। यह वीडियो होटल में लगे एक सीसीटीवी कैमरे का है। अन्य सारे वीडियो आगे की जांच के लिये वीरभूम पुलिस ने अपने कब्जे में कर लिया है।
बहरहाल, बिहार के मंत्री सुरेश शर्मा पिटे या बचे। सबाल इसका नहीं है। मूल सबाल है कि सुशासन के ढिढोंरे पीटने वाली सरकार के मंत्री ने के सामने सामने क्या हुआ और मंत्री ने क्या किया।
सूत्र बताते हैं कि विवाद का मूल कारण कुछ और है, जो कि पुलिस अनुसंधान के बाद सब कुछ स्पष्ट हो पायेगा। वीडियो में दिख रही महिला को लेकर विवाद शुरु हुआ है, ऐसा लोग दबी जुबान बता रहे हैं।
बात तब और बिगड़ गई, वीडियो में दिख रही महिला मंत्री जी के साथ कमरे में शिफ्ट होना चाह रही थी, जबकि उस महिला के आधार कार्ड में पति का नाम कुछ और था। होटल वाले ऐसा होना नहीं देना चाह रहे थे। बात यहीं से शुरु हुई और विवाद बढ़ता चला गया। नौबत होटल वाले व मंत्री समर्थकों के बीच मार-पीट तक पहुंच गई और इस दौरान मंत्री जी भी कूटा गये।
अब देखना है कि घटना की सूचना मिलते ही सुरेश शर्मा सरीखे अपने मंत्री का हाल-चाल लेने वाले बिहार के सीएम नीतिश कुमार सारी सच्चाई सामने आ जाने के बाद क्या कदम उठाते हैं।
चूकि श्री शर्मा वर्तमान उप मुख्यमंत्री शुशील मोदी के काफी करीबी माने जाते हैं और भाजपा से आते हैं, इसलिये उनके लिये राज्य को समूचे देश में बदनाम कर देने वाली ऐसी घटना पर ठोस निर्णय लेना आसान नहीं होगा। हांलाकि सीएम विपरित परिस्थितयों में भी कठोर निर्णय लेने से नहीं हिचकते।