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भू-माफिया के खिलाफ ऐसा नहीं करने तक राजगीर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी का वेतन बंद

पैसा-पैरवी-पहुंच के आगे जिम्मेवार अफसर पंगु बन जाते हैं। वे प्रभावशाली सफेदपोश लोगों की गिरेवां में हाथ डालने के बजाय उसे येन-केन-प्रकेरेण बचाने की जुगत भिड़ा डालते हैं। राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि के बड़े अतिक्रमणकारियों के मामले में कुछ ऐसा ही होता रहा है, लेकिन बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी…….अब प्रमंडलीय आयुक्त के आदेश के बाद उनकी गर्दन नपती नजर आ रही है”

-: मुकेश भारतीय :- 

ANAND KISHORE
बिहार लोक शिकायत निवारण प्रथम अपीलीय प्राधिकार सह पटना प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर…….

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। बिहार लोक शिकायत निवारण प्रथम अपीलीय प्राधिकार सह पटना प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर ने नालंदा जिले के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर स्थित मलमास मेला सैरात भूमि पर काबिज एक बड़े अतिक्रमणकारी से जुड़े मामले की सुनवाई के बाद दिये अंतरिम आदेश में लोक प्राधिकार को कड़ी फटकार लगाई है और आदेश के पालन तक उनके वेतनादि पर रोक लगा दी है।

श्री आनंद किशोर ने लोक प्राधिकार राजगीर नगर पंचायत के वर्तमान कार्यपालक पदाधिकारी विपिन कुमार सिंह को कड़ी फटकार लगाते हुये अतिक्रमणकारी शिवनंदन प्रसाद पर अवैध राजगीर गेस्ट हाउस होटल निर्माण करने के दौरान हुई 10 लाख रुपये के जुर्माना की राशि वसूल होने एवं संतोषजनक तथ्य प्रस्तुत करने तक उनके वेतनादि की निकासी पर रोक लगाई है। इस सुनवाई के क्रम में श्री शर्मा के बार-बार गलत व भ्रामक तथ्य प्रस्तुत करने से श्री आनंद काफी क्षुब्ध भी दिखे।

राजगीर नगर के बीचली कुआं निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट पुरषोतम प्रसाद ने पटना प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय सह प्रथम अपीलीय प्राधिकार श्री आनंद किशोर के समक्ष विषयगत नालंदा जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा मामले को सुनने से इंकार करने को लेकर अनन्य वाद दायर कर रखी है।

इस वाद की पिछली सुनवाई बीते 14 अगस्त 18 हुई थी। जिसके अंतरिम आदेश मूल विवरण इस प्रकार है….

राजगीर नगर के बीचली कुआं निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट पुरषोतम प्रसाद ….

आदेश का विवरण:  1. अपीलार्थी उपस्थित। जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, नालंदा एवं कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, राजगीर उपस्थित।

  1. अपीलार्थी ने यह अपील जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, नालंदा के निर्णय के विरूद्ध दायर किया है। जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, नालंदा ने अपने आदेश में बताया है कि यह वाद इस कार्यालय से संबंधित नहीं है, अतः जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, नालंदा ने वाद की कार्यवाही समाप्त कर दी है।
  2. अपीलार्थी का कहना है कि नगर पंचायत राजगीर कार्यालय के ज्ञापांक संख्या 1603 दिनांक 08.05.2017 से निर्माण कार्य  को बंद करते हुए कार्यालय को लिखित रूप से सूचित करने का आदेश दिया गया था लेकिन न तो कार्य बंद किया गया और न ही सूचना दी गयी है।
  3. इस प्राधिकार द्वारा दिनांक 17.07.2018 को सुनवाई की गई थी, जिसमें परिवादी द्वारा उपस्थित होकर बताया गया था कि कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, राजगीर द्वारा निर्गत सूचना ज्ञापांक-1649, दिनांक-02.06.2017 का अनुपालन नहीं किया जा रहा है।

नगर प्रबंधक, नगर निगम, राजगीर द्वारा उपस्थित होकर बताया गया था कि कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, राजगीर के संदर्भित ज्ञापांक के द्वारा श्री शिवनंदन प्रसाद, पिता-स्व. रामचंद्र प्रसाद राजगीर गेस्ट हाउस, राजगीर कुंड एरिया, वार्ड नं.-19 को नोटिस निर्गत किया गया है कि नगर पंचायत, राजगीर के कार्यालय ज्ञापांक सं.-1603, दिनांक-08.05.2017 से निर्माण कार्य बंद करते हुए कार्यालय को लिखित रूप में सूचित करने का आदेश दिया गया था, लेकिन न तो कार्य बंद किया गया और न ही सूचना दी गई। फिर भी निर्माण कार्य किया जा रहा है, जो गलत है।

पत्र प्राप्ति के तुरंत बाद अपना निर्माण कार्य बंद करते हुए अपने जमीन से संबंधित सभी दस्तावेज के साथ दिनांक-06.06.2017, दिन-मंगलवार को कार्यालय अवधि में अधोहस्ताक्षरी के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखें। अन्यथा की स्थिति में बिल्डिंग बायलॉज की धारा-313, 315 एवं नगरपालिका अधिनियम, 2007 की उक्त धारा-324 के आलोक में सरकार के आदेश के अवहेलना एवं नगर प्रशासन द्वारा निर्गत आदेश की अवमानना करने के विरूद्ध निर्माण को ध्वस्त करने तथा 10 लाख रूपये जुर्माना वसुलने की बाध्यता होगी।

नगर प्रबंधक, राजगीर द्वारा यह भी बताया गया था कि उक्त मामले में व्यवहार न्यायालय, बिहारशरीफ द्वारा विपक्षी को स्टे दिया गया है, जिसके कारण उक्त नोटिस का अनुपालन नहीं कराया जा सका है।

परिवादी द्वारा बताया गया था कि उक्त नोटिस के विरूद्ध व्यवहार न्यायालय द्वारा कोई  स्टे/स्थगन आदेश नहीं दिया गया है। कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, राजगीर को निदेश दिया गया था कि वे दो सप्ताह के अंदर संपूर्ण मामले की समीक्षा करें तथा किन किन मामलों में व्यवहार न्यायालय द्वारा स्टे किया गया है तथा उन मामलों की अद्यतन स्थिति क्या है, इस बिंदु पर प्रतिवेदन के साथ सुनवाई की अगली तिथि दिनांक-31.07.2018 को उपस्थित रहेंगे।

  1. इस प्राधिकार द्वारा दिनांक 31.07.2018 को सुनवाई की गई थी, जिसमें कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, राजगीर द्वारा उपस्थित होकर पत्रांक-890, दिनांक- 30.07.2018 के माध्यम से प्रतिवेदित किया गया था कि परिवादी के परिवाद के आलोक में वार्ड सं.-19 में अवस्थित राजगीर गेस्ट हाउस के निर्माण कार्य को बन्द करने हेतु नाटिस निर्गत किया गया था।

राजगीर गेस्ट हाउस के भू-भाग पर व्यवहार न्यायालय, बिहारशरीफ में टी.एस. वाद सं0.-173/17 विचाराधीन है, जिसमें माननीय व्यवहार न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश पारित किया गया है। कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, राजगीर द्वारा माननीय व्यवहार न्यायालय द्वारा पारित स्थगन आदेश का उल्लेख किया गया था।

साथ ही यह भी बताया गया था कि इस मामले में नगर पंचायत, राजगीर को पार्टी नहीं बनाया गया है। कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, राजगीर को निदेश दिया गया था कि वे दो सप्ताह के अंदर व्यवहार न्यायालय में उक्त वाद में पार्टी बनते हुए पारित स्थगन आदेश के विरूद्ध अपील दायर करें तथा कृत प्रतिवेदन के साथ सुनवाई की अगली तिथि दिनांक-14.08.2018 को उपस्थित रहेंगे।

  1. आज दिनांक-14.08.2018 को सुनवाई की गई। कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, राजगीर द्वारा उपस्थित होकर पत्रांक-967, दिनांक-13.08.2018 के माध्यम से प्रतिवेदित किया गया है कि प्रश्नगत भूमि पर न्यायालय अवर न्यायाधीश प्रथम, बिहारशरीफ में दायर स्वत्व वाद सं.-173/17 शिवनंदन प्रसाद बनाम बिहार सरकार में न्यायालय द्वारा पारित स्थगन आदेश को रद्द करने हेतु अपील दायर किया गया है।

शिवनंदन जैसे अतिक्रमणकारी भू-माफिया को शह देने वाले तात्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी……

परिवादी द्वारा उपस्थित होकर बताया गया कि प्रश्नगत भूमि पर हुए निर्माण कार्य को यथास्थिति बनाये रखने हेतु कोर्ट द्वारा स्थगन आदेश दिया गया है, जबकि उनका परिवाद बिल्डिंग वायलॉज  की धारा-313, 315 एवं नगरपालिका अधिनियम, 2007 की धारा-324 के आलोक में प्रश्नगत भूमि पर अवैध भवन निर्माण करने वाले निर्माणकर्ता से 10 लाख रूपये के जुर्माना वसूलने हेतु निर्गत नोटिस के अनुपालन के संबंध में है। जुर्माना वसूलने पर कोर्ट द्वारा कोई स्थगन आदेश पारित नहीं है ।

एक तरफ प्रशासन नेटिश पर नोटिश देने की रस्म निभाता रहा, दूसरी तरफ शिवनंदन जैसे अतिक्रमणकारी ने तब कानून को ठेंगा दिखाते हुये अपने होटल का विस्तार जारी रखा……

परिवादी पुरषोतम प्रसाद ने  कोर्ट  द्वारा पारित आदेश की प्रति साक्ष्य के रूप में उपलब्ध कराई गई। इस मामले में न्यायालय द्वारा पारित स्थगन आदेश से स्पष्ट होता है कि अपने आदेश में जुर्माना वसूलने के निर्णय पर स्थगन नहीं दिया गया है।

इसके बाद बिहार लोक शिकायत निवारण प्रथम अपीलीय प्राधिकार सह पटना प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर ने माना कि कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, राजगीर द्वारा सुनवाई के क्रम में गलत एवं भ्रामक तथ्य उद्धृत करते हुए सुनवाई को भ्रमित करने का प्रयास किया गया है। कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, राजगीर का उक्त कृत अनुशासनहीनता एवं सरकारी आचार नियमावली के प्रावधानों के प्रतिकूल है।

अतः निदेश दिया जाता है कि उक्त कृत के लिए कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, राजगीर से स्पष्टीकरण पूछा जाय तथा स्पष्टीकरण स्वीकृत होने तक उनका वेतन भुगतान स्थगित किया जाता है।

साथ ही यह निदेश दिया जाता है कि वे एक सप्ताह के अंदर निर्धारित दण्ड शुल्क की वसूली हेतु आवश्यक कानूनी कार्रवाई करते हुए सुनवाई की अगली तिथि दिनांक-21.08.2018 को प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहेंगे।

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