बिहार शरीफ (राजीव रंजन)। यह तस्वीर उसी 10 एकड़ 77 डिसमिल की है, जहां तटबंधों को तोड़कर खनन माफिया अपना बालू का काला कारोबार करता था।
महीना दिन बाद भी पांच लोग खुलेआम घूम रहे हैं। अभी तक किसका संरक्षण है यह तो पुलिस जानती है, लेकिन अब सवाल उठता है कि आखिर चिन्हित माफिया अभी भी गिरफ्त से दूर हैं और इन माफियाओं के काले कारोबार में जो क्षति हुई उसे प्रशासन अपनी सरकारी राशियों से भरपाई करने में जुटी है।
वर्तमान की जो तस्वीर वहां से सामने आई है वह स्पष्ट यही बयां करती है कि शासन और सुशासन घुटने टेक दिया है इन खनन माफियाओं के विरुद्ध, जिसने सरकारी तटबंध को भी काटकर अपने बालू के अवैध कारोबार करने का रास्ता बना लिया था और तभी तो सरकारी राशि से यू बोरे मिट्टी भरकर करीब 200-300 मीटर तक बांध का निर्माण करा दिया गया, लेकिन प्रशासन ने तो टूटे हुए तटबंध की मरम्मत कर अपनी वाह बाही जरूर लूटी आखिर गांव को डूबने से जो बचा लिया।
ऐसी है सुशासन बाबू की जिला प्रशासन, जो सरकारी राशियों को लुटा कर गांव को डूबने से बचा लिया, लेकिन चिन्हित माफियाओं का क्या हुआ, जो आज भी इतनी क्षति देकर खुलेआम घूम रहे हैं। आखिर प्रशासन इसी के लिए सबको छूट दे रखी है तुम लूटो। हम सरकारी राशि का वारा न्यारा करेंगे?