रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। इन दिनों सोशल साइटों पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। यह वीडियो खूंटी के आदिवासी बहुल इलाके का बताया जा रहा है। इस वीडियो में बच्चों को जो कुछ भी सिखाया-पढ़ाया जा रहा है, वह निश्चित तौर पर राजद्रोह है।
वायरल वीडियो में एक टीचर नन्हे-मुन्ने बच्चों को पढ़ा रहा है, ‘घ’ से ‘घंटी’ और ‘घंटी’ का वाक्य है – घंटी बजानेवाला ब्राह्मण बुड़बक है। ‘ड.’ से ‘अंग’ और ‘अंग’ का वाक्य है – ‘अंग’ – ‘अंग’ में रुढ़ि व्यवस्था है। ‘च’ से ‘चोर’ और ‘चोर’ का वाक्य है – चाचा नेहरु चोरों का प्रधानमंत्री था।
जाहिर है कि आखिर ये कौन लोग हैं? जो बच्चों के सफेद दिमाग में काला विषरोपण करने में जुटे हैं। जानकारों का मानना है कि वे नक्सलवाद और मिशनरियों के साम्राज्य का विस्तार करने में लगे हैं, जिसमें पत्थलगड़ी प्रथा ने उनके इस काम को और गति दे दी हैं।
खबर है कि खूंटी के कई इलाकों में जहां-जहां पत्थलगड़ी चल रहे हैं, वहां अब सरकारी स्कूलों में बच्चे नहीं दिखाई पड़ रहे हैं और इन बच्चों को पढाने का काम उन इलाकों में युवाओं ने संभाल लिया हैं और वे हर प्रकार का विषवमन कर रहे हैं।
जानकार मानते है कि चूंकि कुछ महीने पहले राज्य सरकार ने धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए जो विधेयक लाया था।
उस विधेयक के कारण कई इलाकों में धर्मांतरण में लगे ईसाई मिशनरियों को बहुत बड़ा धक्का लगा है। जिससे वे एक नये तरीके से राज्य सरकार को चुनौती देने में लगे है।
इधर पत्थलगड़ी को लेकर अब हर जगहों पर दो गुट बन गये हैं, एक गुट जो पत्थलगड़ी में लगे लोगों का समर्थन कर रहा है तो दूसरा गुट पत्थलगड़ी के इस प्रकार के नये प्रचलन का विरोध कर रहा है। दोनों गुट अब आमने-सामने है।
कुछ लोगों का मानना है कि मुख्यमंत्री का यह कहना कि पत्थलगड़ी में लगे लोग राष्ट्रविरोधी है, ऐसी हरकतों से एक तरह से सिद्ध हो गया है।
क्योंकि जिस तरह की कुशिक्षा बच्चों को दी जा रही है, उससे साफ स्पष्ट है कि पत्थलगड़ी की आड़ में खूंटी में किस प्रकार विषवमन किया जा रहा है?
किस प्रकार नफरत के बीज बोये जा रहे है? और किस प्रकार समाज को खतरे में डाला जा रहा हैं?
हालांकि कुछ लोग यह भी आशंका प्रकट कर रहे हैं कि शरारती तत्व किसी खास समुदाय और गुट को बदनाम करने के लिये इस तरह के वीडिियो वायरल करने की मुहिम में जुटे हैं। ताकि शासन द्वारा सीधे निशाने पर उन्हें लिया जा सके।