“भारतीय जनता पार्टी को कोल्हान में स्थापित करने वाले नेताओं में उनकी गिनती की जाती रही है। जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर तीन बार विधायक बने दीनानाथ पांडे उर्फ बाबा जनसंघ के जमाने से भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता रहे….”
जमशेदपुर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। कभी कोल्हान की राजनीति पर एकछत्र राज करने वाले दीनानाथ पांडेय अब इस दुनिया में नहीं रहे। रह गई तो केवल उनकी यादें !
बाबा के निधन से पूरी लौह नगरी मानो थम सी गई। कभी बाबा के साथ उंगली पकड़कर राजनीति से सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाले मुख्यमंत्री रघुवर दास के अंत्येष्टि कार्यक्रम में पहुंचने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री के नहीं पहुंचने से लौहनगरी के लोगों में निराशा हुई।
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और झारखंड सरकार के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय भी इस शव यात्रा में शामिल नहीं हुए। हां जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो ने बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की, लेकिन वे भी श्मशान घाट तक नहीं पहुंचे।
भाजपा के दूसरी पंक्ति के नेताओं ने बाबा को पार्टी के झंडे में लपेट कर श्मशान घाट तक पहुंचाया। बाबा की मौत से पूरी नगरी मर्माहत नजर आई। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, झारखंड विकास मोर्चा समेत कई सामाजिक संगठनों ने बाबा की शव यात्रा में शिरकत की और उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
कयास लगाए जा रहे थे कि बाबा को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा, लेकिन वह भी ना हो सका। बाबा के बेटे ने मुखाग्नि देकर रस्म पूरा किया। जिधर से बाबा का पार्थिव शरीर गुजर रहा था, हर आंखें नम नजर आ रही थी।
हर किसी के आंखों से आंसू छलक रहे थे। बाबा अब हमारे बीच नहीं रहे। जिंदगी भर मजदूरों की लड़ाई लड़ने वाला मसीहा सदा के लिए सो गया। हर मजदूर आज रो रहा था, लेकिन पार्टी के कद्दावर नेताओ ने अपने वरिष्ठ नेता को सम्मान देना जरूरी नहीं समझा।
बड़े चेहरों में पार्टी से अलग चल रहे भाजपा नेता अमरप्रीत सिंह काले, सतीश सिंह भाजयुमो के जिलाध्यक्ष गुरुदेव सिंह राजा, मीडिया प्रभारी अंकित आनंद भोजपुरिया सरीखे नेताओं की मौजूदगी जरूर रही, लेकिन कांग्रेसी नेता अजय सिंह, जगदीश नारायण चौबे झामुमो जिला अध्यक्ष रामदास सोरेन आदि ने भी बड़ी शिद्दत के साथ बाबा की अर्थी को कांधा दिया और अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
टाटा मोटर्स के किसी भी अधिकारी का शव यात्रा कार्यक्रम में नहीं पहुंचना भी चर्चा का विषय रहा, जबकि बाबा ने पूरी जिंदगी टाटा मोटर्स के लिए समर्पित कर दिया था। चाहे यूनियन का किसी प्रकार का भी विवाद हो बाबा के कहने पर मजदूर अपना आंदोलन वापस ले लिया करते थे।
आज टाटा मोटर्स ने भी बाबा को भुला दिया। मजदूर नेताओं ने जरूर बाबा की शव यात्रा में शिरकत की इसमें भारतीय मजदूर संघ ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।