सिलाव (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। देश-दुनिया में अपने स्वादिष्ट खाजा के लिये मशहूर नालंदा जिले का सिलाव नगर बाजार एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार उस पर गंगा-यमुना तहजीब को लेकर उंगली उठी है। लेकिन यह उंगली किसी अमन-पंसद ने नहीं उठाई है, बल्कि पुलिस-प्रशासन के रहनुमाओं ने विधि-व्यवस्था के नाम पर उत्पन्न की है।
शुरुआती दौर में दो समुदाय के बीच टकराव की स्थिति की खबरें आई। बाद में यह साफ हुआ कि स्थानीय प्रशासन की गलती को ढकनें में माहिर आला हुकुमदारों की हिटलरशाही ने सारा बेड़ा गर्क किया है। अमन-चैन के पैरोकार प्रशासन ने ही सारे सिलाव को तनाव और खौफ के साये में ढकेल दिया है।
बहरहाल, प्रशासन की गलती और हिटलरशाही रवैये से सिलाव के लोग काफी क्षुब्ध दिख रहे हैं। समूचा सिलाव बाजार पूर्णतः बंद है। यह बंद अनिश्चितकालीन बताया जा रहा है। लोगों के चेहरे पर खाकी का खौफ साफ दिख रहा है। फिर भी वे प्रशासन के साथ आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं।
बंद समर्थकों का साफ कहना है कि पुलिस ने दर्जनों निर्दोष लोगों को को पकड़ कर हवालात में डाल रखा है। उसे जेल भेज दिया है और अपना धर-पकड़ अभियान जारी रखे हुये है। पहले निर्दोष लोगों को तत्काल रिहा किया जाये और पुलिस-प्रशासन की उत्पीड़न बंद हो। सरकार सारे मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषी
और जिम्मेवार सरकारी मुलाजिमों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।
सिलाव के अनेक प्रबुद्ध लोगों ने एक्सपर्ट मीडिया न्यूज के साथ अपनी बातचीत में स्पष्ट तौर पर कहा कि बीते कल बुधवार को यहां जो कुछ भी हुआ, उसके लिये सिर्फ और सिर्फ पुलिस-प्रशासन के लोग जिम्मेवार हैं।
रामनवमी शोभा यात्रा में सभी समुदाय के लोग शरीक थे। सब के सब आपसी सौहार्द और भाईचारा की मिसाल पेश कर रहे थे कि अचानक पुलिस-प्रशासन के लोग बीच में आ धमके और माहौल को प्रदुषित कर दिया। उनके आचरण भड़काने वाले थे।
सिलाव नगर पंचायत परिषद के अध्यक्ष विजय सिंह कहते हैं कि पुलिस-प्रशासन के लोग अपनी गलती छुपाने के लिये मनमानी कार्रवाई कर रही है। 30-40 निर्दोष लोगों को पकड़ लिया है। एकतरफा मनमानी कर रही है। सरकार को इस पर तत्काल कड़ाई से संज्ञान लेनी चाहिये। अन्यथा इसके नतीजे अच्छे नहीं होगें।
बकौल विजय सिंह, अभी पुलिस थाना में प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता चल रही है। सकारात्मक संकेत के बाद ही अनिश्चितकालीन बंद सिलाव बाजार के बारे कुछ कहा जा सकता है। सारे बाजारवासी पुलिस-प्रशासन के विरुद्ध एकजुट हैं।
सबकी मांग है कि निर्दोष लोगों को तत्काल छोड़ा जाये और सारे मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषी प्रशासनिक लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।
सिलाव दक्षिण से जिला परिषद सदस्य सत्येन्द्र कुमार पासवान बताते हैं कि समूचे सिलाव में प्रशासनिक भय का माहौल उत्पन्न हो गया है। पुलिसिया खौफ से महिलाएं तक घरों से नहीं निकल पा रही है। स्कूली बच्चे-बच्चियां तक को भय है कि कहीं पुलिस उसे भी दबोच न ले। अभी तक पुलिस ने जितने लोगों को पकड़ा है, उसमें पता नहीं कि किसे कहां ले जाकर रखा गया है। जोकि प्रायः निर्दोष हैं।
श्री पासवान कहते हैं कि पुलिस-प्रशासन के लोगों ने ही अपनी हरकतों से शोभा यात्रा में शामिल लोगों को भड़काया। बाद में उसे सिर्फ ताकत के बल दमन करने की नीति अपना ली हैं। यह एक गंभीर मसला है। अगर प्रशासन समय रहते अपनी गलतियां स्वीकार कर नहीं चेती तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होगें।