“माफ कीजिएगा माननीय विकास पुरुष जी। जब आपके घर आंगन की तस्वीर ऐसी दिखेगी, जहां बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर इस तरह पढ़ाई करेंगे तो आप खुद अपने विकास का अंदाजा इस तस्वीर को देखकर लगा सकते हैं कि आखिर किसकी लापरवाही से 15 साल बाद भी ऐसी हालत देखने को मिल रही है।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (राजीव रंजन)। यह माजरा है बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के सरमेरा प्रखंड स्थित मध्य विद्यालय मीर नगर सह संकुल संसाधन केंद्र(CRC) की।
यह अस्थावां विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां करीब 15 वर्षों से लगातार डॉ.जितेंद्र कुमार विधायक का सेहरा पहनते आ रहे हैं और यहां के नौनिहाल अपना इस जर्जर भवन में जान जोखिम में डालकर करीब 5 सालों से पढ़ाई कर रहे हैं।
बच्चें बताते हैं कि विद्यालय में भवन का अभाव रहने के कारण दो चार वर्ग के बच्चे एक साथ बरामदे में बैठ कर अपना भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।
हद तो यह हो गई छोटे-छोटे बच्चे विद्यालय के यमराज कमरा में बैठकर अपनी शिक्षिका से विद्या ग्रहण कर रहे हैं। यहां न जाने कब कोई अप्रिय घटना घट जाए, मगर इसकी परवाह किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधि को नहीं है।
विभागीय अधिकारी इस विद्यालय में सिर्फ अपना कमीशन उठाने आते हैं और बच्चों के भविष्य की चिंता छोड़ चले जाते हैं। शायद उनके बच्चें तो इस विद्यालय में पढ़ते नहीं, मरेगें या भविष्य बिगड़ेगें आमजन के बच्चों का।
विद्यालय के नए भवन के निर्माण के बारे में ग्रामीण उमेश सिंह, निरंजन सिंह, सुधीर सिंह, राजीव रंजन, श्याम किशोर सिंह, श्याम सुंदर कुमार, विनोद महतो, कृष्ण राम, मुसाफिर पासवान आदि जानकारी देते हैं कि इस विद्यालय के भवन का निर्माण निजी कंपनी के द्वारा करीब 5 वर्षों से कराया जा रहा है। इस दौरान कमीशन के लालच में अफसरों द्वारा दो कंपनी को बदला गया। बावजूद अभी भी विद्यालय का भवन पूर्ण रूप से बनकर तैयार नहीं हुआ।
वहीं ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार बिहार के मुखिया नितीश कुमार खुद इसी रास्ते एक बार 2013-14 के बाढ़ सर्वेक्षण के दौरान और एक बार लोकसभा चुनाव के प्रचार प्रसार के दौरान क्षेत्र की जनता को ठगने की कोशिश की एवं इस विद्यालय के भवन निर्माण का आश्वासन दिए और करीब 5 सालों से निजी कंपनी के द्वारा भवन निर्माण का कार्य कराया जा रहा है, जो आज तक पूरा नहीं किया गया।
जबकि ग्रामीणों के समक्ष हाल ही में भवन निर्माण के ठेकेदार 31 मार्च 2018 तक भवन को विद्यालय के नाम सुपुर्द करने की बात की थी, जो महज ठेंगा साित हुआ।
सोचनीय बात यह है कि जब राज्य के मुखिया इस दृश्य को अपनी आंखों से देख कर भी इस नौनिहाल के भविष्य की चिंता नहीं कर सके तो निचले स्तर के विभागीय अधिकारी इसकी क्या सुध लेंगे।
जब एक्सपर्ट मीडिया न्यूज़ की टीम विद्यालय के नए भवन निर्माण के ठेकेदार टुनटुन सिंह से बात किया तो उन्होंने बताया कि चड्ढा चड्ढा कंपनी के द्वारा करीब सालों से भवन निर्माण का कार्य चल रहा है और कंपनी के द्वारा बिल रुक जाने के कारण भवन निर्माण में देरी हुई है। बहुत जल्द ही विद्यालय का भवन पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो जाएगा।
सवाल उठता है कि यदि इस भवन निर्माण का कार्य विभागीय स्तर पर प्रधानाध्यापक या कोई शिक्षक के द्वारा किया जाता है तो निश्चित तौर पर भवन निर्माण कार्य में देरी होने पर उनके वेतन को रोक दिया जाता है। उनके वेतन से कटौती की जाती।
लेकिन जब एक बड़ी कंपनी इस कार्य को कर रही है तो उसकी सुध कोई भी विभागीय अधिकारी ना ले तो सबवाल उठना लाजमि है कि आखिर यह कैसा सुशासनिक विकास है।
जब राज्य के मुखिया के गृह जिले के बच्चे इस तरह जर्जर भवन में बैठकर दो चार क्लास के बच्चे एक साथ अपना भविष्य इस तरह जान जोखिम में डालकर संवारेगें तो पूरे राज्य में विकास पुरुष के विकास का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।