पटना (संवाददाता)। बिहार में पिछले दो माह से सरकार की नई खनन नीति के सियासत के बीच सरकार अचानक बैकफुट पर आ गई।
बिहार में जारी बालू की किल्लत को दूर करने और बेहतर बंदोबस्त करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार शाम ही अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर नए सिरे से विचार-विमर्श करने का निर्णय लिया। बैठक में सरकार बैकफुट पर चली गई। सरकार ने बैठक के बाद यूटर्न लेते हुए राज्य में पुरानी बालू नीति ही लागू रहने की बात कही।
हाजीपुर पटना महात्मा गांधी सेतु पूरी तरह जाम होने से एक महिला मरीज की मौत हो गई तो वहीं कटिहार में भी बंद की वजह से एक लिपिक की मौत हो गई। राजद के बिहार बंद को जदयू के बागी नेता शरद यादव का भी समर्थन मिला हुआ था।
कई स्थानों पर बंद समर्थकों ने सड़कों पर आगजनी कर रास्तों को अवरुद्ध कर दिया। कई स्थानों पर ट्रेनें भी रोकी गई, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
बंद समर्थक सुबह से ही सड़कों पर उतर आए थे।इस बंद में राजद सुप्रीमों को मोर्चा संभालना था। लेकिन वह इस बंद में शामिल नहीं हो सकें। उनकी जगह उनके पुत्र ने मोर्चा संभाला।
राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव आज बिहार बंद के दौरान ट्रैक्टर पर सवार होकर बंद कराने निकले थे।
इसी दौरान तेजप्रताप यादव और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सह बिहार विधानसभा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को पटना के डाकबंगला चौराहे पर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया। तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार के बालू और खनन नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान अपनी गिरफ्तारी दी ।
पटना के बस स्टैंड के पास भी राजद कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर टायर जलाकर इस नई नीति का विरोध किया।नवादा, बांका, दरभंगा, मधुबनी , शेखपुरा,सीवान, खगडिया, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, सुपौल, अररिया, बाढ़, नवादा, मोतिहारी, नालंदा सहित कई जिलों में भी लोग सड़कों पर उतरे और सड़क जाम कर प्रदर्शन किया।
दरभंगा, बांका , शेखपुरा और पटना में रेलों का भी परिचालन बाधित किया गया। बंद समर्थकों ने बंद की आड़ में कई स्थानों पर तोड़ फोड़ एवं आगजनी कर सड़क को अपने कब्जे में रखा। विभिन्न जिलों से एक्सपर्ट मीडिया न्यूज को मिली खबर में बंद समर्थकों ने राष्ट्रीय राज्य मार्ग को पूरी तरह ठप्प कर रखा था।
राजद नेताओं का बिहार बंद का मिला जुला असर देखा गया। हालाँकि बिहार बंद के मद्देनजर लोग सड़क पर कम निकलें। ऑफिस, सरकारी कार्यालयों के लोगों को काफी फजीहत उठानी पड़ी। कहीं कही सड़क जाम में लोग घंटों फंसे रहे।
राजद द्वारा आहूत बिहार बंद के दौरान मानवता भी शर्मशार हुई। सियासत की संवेदनशीलता खत्म होती देखी गई। बंद के दौरान राजद के जश्न में जाम में फंसी एक महिला मरीज की मौत हो गई।
बंद समर्थकों ने गांधी सेतु को जाम कर सड़क पर बैठकर ढोल मंजीरे बजाते रहे और जाम में फंसी एक एम्बुलेंस पर बीमार महिला दर्द से तडपती रही। लेकिन किसी ने उसकी एक नहीं सुनी। और वह दुनिया से विदा हो गई। कटिहार से ऐसी ही एक घटना सामने आई, जहाँ जाम में फंसे एक बीमार लिपिक की मौत हो गई।
राजद की बंदी को लेकर राज्यभर में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे। 350वें प्रकाशोत्सव के समापन समारोह ‘शुकराना समारोह’ को लेकर बाहर से आए सिख समुदाय के लोगों को कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए प्रशासन द्वारा खास ख्याल रखा जा रहा था । बावजूद सिक्ख श्रद्धालुओं को बंद के दौरान परेशानी का भी सामना करना पड़ा ।
क्या कोई मरीज घंटों सड़क जाम में फंसे रहकर आखिर मौत को गले लगा लेनें। जबकि बंद के दौरान एम्बुलेंस के आवागमन की खुली छूट रहती है।
राजनीतिक दलों को सोचना होगा कि बंद से आखिर किसका भला होता है? चाहे वह कोई भी राजनीतिक दल हो। बिहार बंद के दौरान दो लोगों की मौत जाम में फंसकर हो गई।
आने वाले समय में सभी राजनीतिक दलों को मंथन करना होगा, बंद के लिए सड़क जाम, तोड़फोड़ की जगह जनता में अपना स्थान बनाने के लिए कुछ और विकल्प तलाश करने होंगे।