“पृथक झारखंड राज्य के 19 साल के सियासत में जितने भी मुख्यमंत्री रहे हैं, उन सभी को चुनावी मैदान में मात मिल चुकी है। बाबूलाल मरांडी से लेकर हेमंत सोरेन तक सियासी रण में हार चुके हैं। ऐसे में मौजूदा मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी सीट से भाजपा के बागी सरयू राय के मैदान में आने पर रघुवर दास रिकॉर्ड तोड़ेंगे या फिर मुख्यमंत्रियों की हार का इतिहास दोहराएंगे………”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। झारखंड विधानसभा चुनाव की जंग अब तेज हो गई है। आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। इन सब के बीच झारखंड का एक दिलचस्प तथ्य चर्चा में है। रघुवर के खिलाफ सरयू के चुनावी मैदान में आने के बाद यह चर्चा और तेज हो गया है।
झारखंड में अब तक रघुवर दास पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा करके नया इतिहास रचा है। जबकि, इससे पहले राज्य में बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधू कोड़ा, हेमंत सोरेन सीएम बन चुके हैं। लेकिन इनमें से कोई भी मुख्यमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया था।
2014 में गिरिडीह और धनवार सीट से बाबूलाल मरांडी मैदान में उतरे, लेकिन उनको दोनों सीट पर हार का सामना करना पड़ा था।
अर्जुन मुंडा को झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी दशरथ गागराई ने 11 हजार 966 मतों से हराया था।
इसी प्रकार वर्ष 2009 में शिबू सोरेन तमाड़ विधानसभा के उप चुनाव में झारखंड पार्टी के प्रत्याशी राजा पीटर ने 8,973 मतों से हरा गए थे। 2013 में हेमंत सोरेन झारखंड के सीएम बने थे।
सीएम रहते हुए हेमंत सोरेन ने 2014 के विधानसभा चुनाव में दो विधानसभा सीटों से किस्मत आजमाया था। 2014 विधानसभा चुनाव में हेमंत ने बरहेट और दुमका दो सीटों से चुनाव लड़ा था। इसमें वे बरहेट से जीत गए थे, पर अपनी परंपरागत सीट दुमका में उनकी हार हुई थी।
दुमका में बीजेपी की डॉ. लुईस मरांडी ने हेमंत सोरेन को 5262 मतों से हराया था।
जबकि, बरहेट से हेमंत ने बीजेपी के हेमलाल मुर्मू को 24087 मतों से मात दिया था। आजसू से अपना सियासी सफर शुरू करने वाले मधु कोड़ा पहली बार 2005 में विधायक बने और सीएम की कुर्सी तक पहुंचे।
2014 के विधानसभा चुनाव में मधु कोड़ा चाईबासा की मंझगांव विधानसभा सीट से जय भारत समानता पार्टी से मैदान में उतरे थे।
कोड़ा को जेएमएम के नीरल पूर्ति ने 11,710 मतों से मात दिया था।
अब रघुवर दास के सामने जमेशदपुर पूर्वी सीट से चुनावी जंग फतह कर इतिहास बदलने की चुनौती है और वे भी सरयु राय जैसे वरिष्ठ नेता के साथ कड़े मुकाबले में फंसे दिख रहे हैं।