रांची (इंद्रदेव लाल)। झारखंड हाईकोर्ट के लोकप्रिय वकील राजीव कुमार जनहित याचिकाओं के जरिये झारखंड सरकार के माननीयों और अफसरों की पोल-पट्टी खोलने में लगे रहते हैं। वे बड़ी निर्भीकता से ऐसे लोगों को एक्सपोज करते रहे हैं। इस कारण वे झारखंड में बड़े चर्चित वकील माने जाते हैं।
पिछले दिन उन्होंने एक टीवी चैनल में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ओएसडी गोपालजी तिवारी की कुंडली खोल कर रख दी थी। इसके कारण उन्हें सीएमओ से चलता कर दिया गया।
झारखंड की एक खबरिया चैनल पर वकील राजीव ने कहा था कि झारखंड मंत्रालय के सभी विभागीय सचिव सौ करोड़ के क्लब के मेम्बर हैं।
उन्होंने ये भी कहा कि वे मीडिया के प्रति अपना दायित्व निभा रहे हैं। अब जो करना है सरकार को करना है। लेकिन उनकी भी छवि आईने की तरह साफ दिखे, ये भी जरूरी है। आज उनका स्टेट्स कहां से कहां पहुंच गया है, इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए।
2007 से पूर्व अपनी और अपने परिवार की हैसियत उन्हें बतानी चाहिए। उनकी लेनदारी-देनदारी के बारे में 2020 में अपनी संपत्ति को भी सार्वजनिक कर लोगों के सामने मिसाल पेश करनी चाहिए।
इसलिए कि वे राजनीति में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने में पूरे हिंदुस्तान में जाने जाते हैं। इसलिए उन्हें अपनी संपत्ति की स्वघोषणा करनी चाहिए।
किसी भी आइएएस ने प्रतिरोध क्यों नहीं किया?:
यहां के अफसर सामान्य तौर पर 100 करोड़ क्लब वाले हैं। दिलचस्प बात यह है कि किसी भी आइएएस ने इसका प्रतिरोध क्यों नहीं किया? राजीव कुमार द्वारा सचिव स्तर के किसी भी आईएएस अधिकारी ने अब तक इसका खंड़न नहीं किया है।
इसका मतलब कि राजीव कुमार जो अफसरों पर जो आरोप लगाया है, वो सही है? कहीं राजीव जी भी तो सौ क्लब के मेम्बर में शामिल नहीं हैं?
राजीव कुमार ने टीवी चैनल में कहा कि यह सही बात है कि हम टैक्स देते हैं। इसलिए अगर भ्रष्टाचार होगा तो हमको बोलने का हक है।
पूजा सिंघल को भी कोई आपत्ति नहीं:
राजीव कुमार 2008 के पहले और उसके बाद कितना टैक्स वो अबतक दे चुके हैं, ये उन्हें बताना चाहिए। उन्होंने पूजा सिंघल पुरवार जैसी आइएएस का नाम लेकर कहा कि वो 100 के ऊपर वाले मेम्बर है।
यहां भी दिलचस्प बात ये है कि पूजा सिंघल ने कोई आपत्ति नहीं की। अगर उन्होंने आपत्ति नहीं की तो सरकार को उनसे स्पष्टीकरण पूछना चाहिए था।
12 साल पूर्व राजीव की हैसियत क्या थी?:
राजीव कुमार ने एदलहातू के निचली बस्ती में 7 कट्ठा जमीन में दो गायों से खटाल शुरू किया था।
2009 तक उनके पास 10-12 गायों का एक खटाल हो गया। दूध बेचने का काम शुरू हो गया। इस काम में दुर्गा मुंडा उर्फ दुर्गा उरांव ने उनकी भरपूर मदद की।
कहते हैं दोनों मिलकर जमीन का कारोबार भी किया करते थे। उस दौरान उनके पास लेम्ब्रेटा स्कूटर हुआ करता था। इसके बाद 800 मारुति कार हो गई। इसके बाद मार्शल जीप और अभी वर्तमान में उनके पास इनोवा है।
अरगोड़ा स्टेशन के निकट गौरी शंकर नगर में राजीव कुमार के पास एस्बेस्टस शीट के दो कमरे का मकान हुआ करता था। आज वहां आलीशान बिल्डिंग है।
दुर्गा मुंडा के नाम से राजीव कुमार ने कई जनहित याचिका दायर कर रातों रात दुर्गा मुंडा जैसे मामूली इंसान को एक झटके में आसमान का सितारा बना दिया।
यह सवाल तो अब भी सत्ता के गलियारे में उठता है कि केस करने के लिए राजीव कुमार ने दुर्गा उरांव जैसे लोग को ही क्यों चुना?
बहरहाल, राजीव कुमार के इस रहस्य पर से पर्दा जरूर उठना चाहिए वहीं आइएएस लॉबी पर लगे इल्जाम पर भी इसका स्पष्टीकरण आना चाहिए। भ्रष्टाचार पर प्रहार करनेवाले वकील को अपने बारे में जरूर बताना चाहिए।
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