पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। BPSC प्रश्न पत्र लीक मामले को लेकर आज मुख्य सचिव और बीपीएससी के अध्यक्ष की अध्यक्षता में बिहार के सभी डीएम के साथ बैठक हुई है जिसमें परीक्षा के स्वच्छ संचालन को लेकर विस्तृत चर्चा हुई है।
वही दूसरी ओर आर्थिक अपराध इकाई का अनुसंधान एक जगह आकर ठहर गया है और अब सवाल खड़े होने लगे हैं कि आरा से गिरफ्तारी कही आई वास तो नहीं है।
वही आईएएस अधिकारी रंजीत कुमार सिंह भले ही प्रश्नपत्र लीक मामले में अपना संवैधानिक दायित्व के निर्वाहन की बात कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह उठना शुरू हो गया है कि एक आईएएस अधिकारी कैसे खुद कोचिंग चला सकता है और इसके लिए वो सरकार से अनुमति लिए हैं, या फिर सर्विस कोड उन्हें यह करने कि अनुमति देता क्या है।
बात पहले आरा से हुई गिरफ्तारी की करते हैं बरहरा के बीडीओ जयवर्धन गुप्ता ,वीर कुंवर सिंह कॉलेज के उप केंद्र अधीक्षक योगेंद्र प्रसाद सिंह, सहायक केंद्र अधीक्षक कुमार सहाय और परीक्षा उप नियंत्रक सुशील कुमार सिंह की गिरफ्तारी पर अब सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि जो आरोप लगाया जा रहा है कि ये सारे पदाधिकारी छात्रों को मदद करने के लिए दो तीन कमरे में पहले प्रश्न पत्र दे दिया और अन्य कमरे में प्रश्न पत्र बाटा ही नहीं ।
इस संदर्भ में जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार आरा के उस केंद्र पर जितने छात्रों का सेंटर था उतना प्रश्न पत्र बीपीएससी द्वारा मुहैया ही नहीं कराया गया था। जैसे ही झात हुआ आरा के उस सेंटर पर मौजूद अधिकारी ने तुरंत इसकी सूचना जिला मुख्यालय स्थिति नियंत्रण कक्ष को दिया।
जिला नियंत्रण कक्ष तुरंत प्रश्न पत्र भेजने कि बात करते हुए परीक्षा शुरू करने का निर्देश दिया,इसी निर्देश के आलोक में प्रश्न पत्र बांटना शुरू कर दिया गया था, लेकिन प्रश्न पत्र जब तक आता तब तक दूसरे कमरे में प्रश्न पत्र का इन्तजार कर रहे छात्रों ने हंगामा शुरु कर दिया।
अगर यह मामला नहीं था तो हंगामे की सूचना के बाद स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक पदाधिकारी आरा के उस परीक्षा केन्द्र पर पहुंचे उस समय छात्र चीख चीख कर कह रहा था कि कॉलेज वाले कुछ छात्रों को पहले प्रश्न पत्र देकर मदद पहुंचा रहा था, उस समय डीएसपी और अनुमंडल पदाधिकारी मौजूद थे।
उन्होंने इतने गंभीर आरोप को अनसुना कैसे कर दिया जबकि छात्रों के इस तरह के बयान के बाद आरा पुलिस को एफआईआर दर्ज करके तत्काल छात्रों का बयान लेकर लाभ उठा रहे छात्रों को हिरासत में लेकर जांच उस दिशा में बढ़ानी चाहिए थी । लेकिन आरा पुलिस ने ऐसा तो कुछ भी नहीं किया।
आर्थिक अपराध इकाई तो घटना के 24 घंटे बाद एफआईआर दर्ज किया है। इतने समय तक आरा पुलिस क्यों सोयी रही ऐसे में सवाल उठना लाजमी है ।
हालांकि, आर्थिक अपराध इकाई ने इन चारों को प्रश्न पत्र लीक मामले में गिरफ्तार नहीं किया है इन्हें सूचना प्रौद्योगिकी कानून और बिहार परीक्षा आचरण कानून, 1981 की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया है।
प्रश्न पत्र कम होने का मामला सिर्फ आरा में ही नहीं हुआ है बेगूसराय,अरवल सहित बिहार के एक दर्जन से अधिक जिलों में इस तरह प्रश्न पत्र छात्रों की संख्या से कम पहुंचा है और बाद में स्थानीय स्तर पर इसको मैनेज किया गया और यही वजह रही है कि कई जिलों के कई परीक्षा केन्द्र पर 12.45 मिनट पर परीक्षा शुरू हुआ है।
जानकार बता रहे हैं कि अगर इस तरह की गड़बड़ी हुई है तो इसके लिए आयोग पूरी तरह जिम्मेदार है क्यों कि आयोग को पता है कि जिले के किस परीक्षा केन्द्र पर कितना छात्र परीक्षा दे रहा है और उस हिसाब से उन्हें प्रश्न पत्र मुहैया करना है।