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यह तस्वीर नरेश राउत के शव का नहीं, जनप्रतिनिधि-प्रशासन की मृत्यु शय्या की है

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बिहार शरीफ (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। इस कोरोना काल में मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली यह तस्वीर सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के परबलपुर प्रखंड के सिनावां गांव की है।

This picture is not of the body of Naresh Raut the death of public representative administration has been done3यहाँ एक 60 वर्षीय नरेश राउत का शव मौत के बाद 24 घंटे तक पढ़ा रहा। उसके बाद कुछ लोगों ने प्लास्टिक लपेटकर अर्थी को कंधा दिया और फतुहा गंगा घाट ले जाने के बजाय गाँव के बाहर ही शवदाह कर अंतिम संस्कार किया।

खबर है कि नरेश राउत की कथित कोरोना से मौत के बाद शव को उठाने के लिए भी पीपी किट नहीं मिलने के बाद लोगों ने अपने शरीर को पॉलिथीन के सहारे ढककर शव का अंतिम संस्कार किया।

ग्रामीणों ने इसके लिए स्थानीय विधायक से भी मदद मांगी, लेकिन उनसे भी कोई मदद नहीं मिली। उसके बाद जिले के एकलौते मंत्री एवं सीएम नीतीश कुमार के चहते नालंदा विधायक श्रवण कुमार से बात करने की भी कोशिश की गई।

लेकिन मंत्री के फोन से दो टूक जवाब आया कि मंत्री कोरेंटिन है। उसके बाद सिविल सर्जन को भी फोन लगा गया, जहां सिविल सर्जन का फोन बंद बताया गया। यह घटना बीते गुरुवार की दोपहर की है।

वेशक यह घटना बिहार में येन-केन-प्रकेरेण पद्स्थ भाजपा-जदयू की सरकार की कोविड व्यस्था को सीएम नीतीश कुमार के जिले में नंगा ही करती, बल्कि विधायक-मंत्री समेत पूरे प्रशासन-तंत्र के मुंह पर थूकती है।

आखिर सरकार और उसका तंत्र है किस लिए। लोग विधायक-मंत्री और सरकार चुनते हैं किस लिए?

माना कि ऐसे गंभीर मामलों में उस क्षेत्र का विधायक नकारा है। लेकिन जो मंत्री अमुमन चोर-उच्चकों की पैरवी और ठेकेदारों की वसूली के लिए 24 घंटे उपलब्ध हो, उनका फोन भी कोरेंटिन हो गया?

वहीं वे साहसिक युवक हौसला अफजाई और गर्व के पात्र हैं, जिन्होंने खुद सेनेटाइज कर, बाजार से खुद प्लास्टिक खरीद अपने शरीर को ढक गांव के श्मशान घाट में शव का दाह संस्कार किया।

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